Karnal News: करनाल के कृषि विज्ञानियों ने विकसित की गेहूं की दो नई प्रजाति, जानें क्या है इसकी खासियत

नरेन्द्र सहारण, करनाल: Karnal News: भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि विज्ञानियों ने छह साल के शोध के बाद गेहूं की दो नई प्रजातियां विकसित की हैं। पैदावार कम पानी में होंगी। डीबीडब्ल्यू 377 (DBW 377) और डीबीडब्ल्यू 359 (DBW ) नाम दिया गया है। सितंबर के अंतिम सप्ताह से वितरित किया जाएगा। डीबीडब्ल्यू 377 का दाना अभी तक की गेहूं की सभी प्रजातियों से मोटा है, वहीं डीबीडब्ल्यू 359 केवल दो पानी में ही अधिकतम पैदावार देगी। दोनों प्रजातियों को सभी तरह के रोगों से लड़ने में सक्षम बनाया गया है। इससे पहले संस्थान की ओर से बीते सीजन रिलीज की गई गेहूं की प्रजाति डीबीडब्ल्यू 370, 371 और 372 ने अब तक की सर्वाधिक 33.7 क्विंटल प्रति एकड़ तक की पैदावार दी है।

महाराष्ट्र समेत कई राज्यों के लिए उत्तम

डीबीडब्ल्यू (DBW) 359 प्रजाति कम पानी में अधिक पैदावार देगी। इस प्रजाति को कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। सामान्य तौर पर गेहूं की फसल को चार से पांच बार सिंचाई की जरूरत होती है, जबकि इस प्रजाति में केवल दो ही सिंचाई से फसल ली जा सकती है। इसी प्रजाति की पैदावार 56 से 58 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है।

जानें क्या है डीबीडब्ल्यू 377 की विशेषता

डीबीडब्ल्यू 377 प्रजाति का दाना अब तक की गेहूं की सभी प्रजाति से मोटा है। हालांकि इस प्रजाति में नाइट्रोजन समेत अन्य खाद दूसरी प्रजाति की तुलना में डेढ़ गुना लगता है, लेकिन इससे पैदावार भी बढ़ती है। इस प्रजाति की पैदावार 65 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। जो सर्वाधिक है।

रोटी होगी सफेद और स्वादिष्ट

इन किस्मों की रोटी अन्य किस्मों से सफेद होगी। आटा गूंथने में भी आसानी होगी और समय भी बचेगा। इनकी रोटियां ज्यादा स्वादिष्ट भी होंगी। सितंबर महीने से शुरू होगा वितरण दोनों नई प्रजातियों का वितरण सितंबर के अंतिम सप्ताह से शुरू किया जाएगा। इसके लिए किसानों को संस्थान के पोर्टल पर आवेदन करना होगा। प्रति आधार कार्ड पांच किलोग्राम बीज दिया जाएगा। ताकि अधिक से अधिक किसानों को गेहूं का उन्नत बीज प्राप्त हो सके।

पानी की कमी वाले क्षेत्रों के लिए किया विकसित

करनाल के गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. रतन तिवारी ने कहा डीबीडब्ल्यू 359 प्रजाति को पानी की कमी वाले क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है। यह प्रजाति अगेती और समय से बिजाई के लिए उपयुक्त हैं। गेहूं की पैदावार दाने के आकार पर निर्भर करती है। डीबीडब्ल्यू 377 का दाना सबसे अधिक मोटा है। छह वर्ष के शोध के बाद दोनों प्रजातियों को विकसित किया गया है।

 

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