शंभू बॉर्डर खोलने पर बैठक रही बेनतीजा, किसानों ने कमेटी के सामने 12 मांगें रखी; डल्लेवाल बोले- भूख हड़ताल शुरू करूंगा

हरियाणा भवन में पहुंचे किसान नेता।

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Kisan Andolan: हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर फरवरी से बैठे किसानों की मांगों पर चर्चा के लिए सोमवार, 4 नवंबर को चंडीगढ़ में हरियाणा भवन में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक की अध्यक्षता रिटायर्ड जस्टिस नवाब सिंह ने की। हालांकि, किसान आंदोलन के प्रमुख नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल इस बैठक में उपस्थित नहीं हुए। पंधेर ने मीटिंग में शामिल होने से मना कर दिया, जबकि डल्लेवाल की तबियत खराब होने के कारण उनके सदस्य मीटिंग में शामिल हुए।

किसानों ने बैठक में अपनी 12 प्रमुख मांगें सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के सामने रखीं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, उनका संघर्ष जारी रहेगा। इस बीच, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने चेतावनी दी कि आने वाले संसद सत्र में वह भूख हड़ताल शुरू करेंगे।

बैठक में सरकार की ओर से उपस्थित लोग

बैठक में जस्टिस नवाब सिंह के अलावा कई प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया, जिनमें पूर्व IPS अधिकारी पीएस संधू, गुरु नानक यूनिवर्सिटी, कृषि और आर्थिक विशेषज्ञ रणजीत सिंह, अमृतसर के प्रोफेसर देवेंद्र शर्मा, डॉ. सुखपाल सिंह और हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर बीआर कम्बोज शामिल थे। इसके अतिरिक्त, हरियाणा और पंजाब के चीफ सेक्रेटरी और DGP भी मीटिंग में मौजूद रहे।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कमेटी के न्योते को ठुकराते हुए कहा कि समस्या का मूल कारण हरियाणा सरकार की नीतियां हैं, न कि किसानों का प्रदर्शन। उनका कहना था कि रास्ता किसानों द्वारा नहीं, बल्कि सरकार द्वारा रोका गया है।

फरवरी से जारी किसान संघर्ष

किसानों का यह संघर्ष फरवरी 2024 से शुरू हुआ, जिसमें उनकी मुख्य मांगें फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी को लेकर हैं। हरियाणा सरकार ने सुरक्षा कारणों से शंभू बॉर्डर पर बैरिकेड्स लगा दिए हैं, जिससे यहां आवाजाही बाधित हो गई है। इसके चलते स्थानीय व्यापारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, खासकर अंबाला के व्यापारियों ने इस समस्या के समाधान के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बॉर्डर खोलने का आदेश दिया, लेकिन इसके बाद सरकार ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इस प्रकार, स्थिति और भी जटिल होती जा रही है, जिससे किसानों और सरकार के बीच संवाद स्थापित करना आवश्यक हो गया है।

किसानों की स्थिति

किसानों ने स्थायी रूप से शंभू बॉर्डर पर मोर्चा बना लिया है, जिससे वे अपनी मांगों को लेकर सजग हैं। उनकी स्थिति लगातार मीडिया में सुर्खियों में बनी हुई है, और उनकी परेशानियों के समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। इससे किसानों में आक्रोश बढ़ रहा है और उन्होंने ठान लिया है कि वे अपनी मांगों के लिए अंत तक लड़ाई जारी रखेंगे।

भूख हड़ताल की चेतावनी

 

बैठक में किसानों के मुद्दों पर चर्चा करते हुए, यह स्पष्ट हुआ कि किसानों की समस्याएं समाधान की राह तलाश रही हैं, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इससे किसान आंदोलन में और भी तेजी आ सकती है, खासकर जब डल्लेवाल ने भूख हड़ताल की चेतावनी दी है।

इन परिस्थितियों में, किसानों के आंदोलन और उनकी मांगों का क्या परिणाम होगा, यह देखने वाली बात होगी। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे, और यह आंदोलन एक नई दिशा की ओर अग्रसर हो सकता है।

 

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