जानें कैसे पुलिसकर्मी से बाबा बना सूरजपाल उर्फ भोले बाबा, जिसकी सत्संग में मची भगदड़

अलीगढ़, बीएनएम न्यूज : पुलिसकर्मी से कथित बाबा बने सूरजपाल ने सत्संग के लिए ही एसआइ की नौकरी छोड़ी थी। वह अक्सर वर्दी में ही प्रवचन देने लगता था। महकमे में सवाल उठे तो उसने सत्संग में ही रमने का मन बना लिया। पिछले 17 वर्ष से वह सत्संग कर रहा था। वह नारायण साकार विश्व हरि (भोले बाबा) के नाम से जरूर पुकारा जाता है, लेकिन मंच पर कोट-पैंट पहन कर ही पहुंचता था। साथ में पत्नी भी होती थी। वह हमेशा सफेद कपड़ों में दिखते हैं। भोले बाबा पायजामा कुर्ता, पैंट-शर्ट और सूट तक में नज़र आते हैं। भोले बाबा का आश्रम 30 एकड़ में है। उसने खुद की आर्मी बना रखी है। यौन शोषण समेत 5 मुकदमे दर्ज हैं। उसकी एक झलक के लिए भीड़ उमड़ पड़ती थी। सत्संग वाले बाबा की असली कहानी किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं है।

भोले बाबा हर समागम में अपनी पत्नी के साथ सत्संग करते नजर आते हैं।

पदोन्नत होकर एसआइ बने

उत्तर प्रदेश में कासगंज जिले के बहादुरनगर गांव के रहने वाले सूरजपाल के पिता किसान थे। प्रवचन के प्रति बचपन से ही उसकी रुचि थी। 75 साल के सूरजपाल उर्फ़ भोले बाबा तीन भाई हैं। सबसे बड़े सूरजपाल है। दूसरे नंबर पर भगवान दास हैं, जिनकी मौत हो चुकी है जबकि तीसरे नंबर पर राकेश कुमार हैं, जो पूर्व में ग्राम प्रधान भी रह चुके हैं। सूरजपाल पुलिस में सिपाही के रूप में भर्ती हुआ और पदोन्नत होकर एसआइ बना। उत्तर प्रदेश के 18 थानों के अलावा लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआइयू) में भी तैनात रहा। करीब 28 साल पहले छेड़खानी के एक मामले में अभियुक्त होने के कारण निलंबन की सजा मिली। निलंबन के कारण सूरजपाल जाटव को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।

एक समागम में प्रवचन करते भोले बाबा।

2002 में नौकरी से ले लिया वीआरएस

इसके बाद प्रवचन-सत्संग शुरू कर दिया। इसके साथ ही नाम बदलने का निर्णय लिया। नया नाम रखा नारायण साकार विश्व हरि। पुलिस सेवा से बर्खास्त होने के बाद सूरजपाल अदालत की शरण में गए फिर उनकी नौकरी बहाल हो गई लेकिन 2002 में आगरा जिले से सूरजपाल ने वीआरएस ले लिया।

इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार बताते हैं कि छेड़खानी वाले मामले में सूरजपाल एटा जेल में लंबे समय तक कैद रहा और जेल से रिहाई के बाद ही सूरजपाल बाबा की शक्ल में लोगों के सामने आया। उत्तर प्रदेश के साथ ही राजस्थान और मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में उसके अनुयायी हैं। बाबा और उनके अनुयायी मीडिया से दूरी बनाकर रखते हैं।

ये राजस्थान में भोले बाबा के समागम की पुरानी फोटो है। गाड़ियों के पीछे काली पोशाक में दौड़ रही बाबा की प्राइवेट आर्मी है।

बाबा के पास अपनी टीम

 

बाबा की खुद की एक टीम है, जिसमें शामिल लोग काले रंग की पोशाक में रहते हैं। अनुयायियों में तमाम महिला-पुरुष ऐसे हैं, जो सत्संग में व्यवस्थाएं संभालने के लिए यूनीफार्म में आते हैं। जहां सत्संग होता है, वहां जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसलिए बाबा के अनुयायी व्यवस्था संभालते हैं। पुलिस के साथ डंडा लेकर मुस्तैद खड़े नजर आते हैं।

बड़े-बड़े भक्त होने का दावा

बाबा दावा करता था कि नौकरी छोड़ने के बाद भगवान से साक्षात्कार हुआ। उसके भक्तों में आइएएस और आइपीएस अफसर भी शामिल हैं। कई दिग्गज नेता उनके सत्संग में शामिल हो चुके हैं। उसके यूट्यूब चैनल के हजारों सब्सक्राइबर हैं। फेसबुक पर भी बाबा सक्रिय है।

सूरजपाल जाटव

बिना दान दक्षिणा के कई आश्रम

 

दिलचस्प ये भी है कि नारायण साकार अपने भक्तों से कोई भी दान, दक्षिणा और चढ़ावा आदि नहीं लेते हैं लेकिन इसके बावजूद उनके कई आश्रम स्थापित हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश में कई दूसरे स्थानों पर स्वामित्व वाली जमीन पर आश्रम स्थापित करने का दावा भी किया जा रहा है। नारायण साकार हरि अपने सत्संगों में भक्तों की सेवा सेवादार बनकर करते नज़र आते हैं। बहुत संभव है कि ये सब वह अपने भक्तों में लोकप्रिय होने के लिए सोच समझकर करते हों।

 

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