Loksabha Election 2017: UP में सपा ने कांग्रेस को इतने सीटें देने का किया प्रस्ताव, क्या बनेगी सहमति?
नई दिल्ली, BNM News। Loksabha Election 2017: विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (INDIA) की हाल ही में दिल्ली में हुई बैठक के सीटों के बंटवारे के लिए राज्य स्तर पर साथी दलों ने होमवर्क शुरू कर दिया है। जिस तरह बिहार में राजद और जदयू के बीच सहमति लगभग तय है, उसी तरह उत्तर प्रदेश में अपने अनुसार क्षमता आंकते हुए गठबंधन के प्रमुख घटक दल समाजवादी पार्टी ने मोटा-मोटा खाका खींच लिया है। सपा वहां कांग्रेस को 15 सीटों पर लड़ने का प्रस्ताव दे सकती है। 5 या 6 सीटें राष्ट्रीय लोकदल और 1 सीट भीम आर्मी के लिए छोड़ते हुए सपा लगभग 58 सीटों पर दावा ठोक सकती है।
अखिलेश ने प्रतिशोध की आग को ठंडा कर दिया
लोकसभा चुनाव में भाजपा को तीसरी बार सत्ता में आने से रोकने के लिए देश के प्रमुख विपक्षी दलों ने इस बार हाथ मिलाया है। यूं तो इनके बीच सीटों के बंटवारे को सबसे बड़ी चुनौती शुरुआत से ही माना जा रहा था, लेकिन जिस तरह से मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और सपा के बीच तालमेल गड़बड़ाया और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने बयानों से प्रतिशोध का संकेत दिया, उसके बाद लग रहा था कि पिछले लोकसभा चुनावों के प्रदर्शन के आधार पर वह कांग्रेस को शायद संतोषजनक सीटें न दें। मगर, मध्य प्रदेश सहित राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार ने जैसे अखिलेश के अंदर जल रही प्रतिशोध की आग को कुछ ठंडा कर दिया। अब वह बड़ा दिल दिखाने के लिए तैयार नजर आ रहे हैं।
सपा में इसे लेकर बन चुकी है आंतरिक सहमति
5 राज्यों के विधानसभा चुनाव बीतने के बाद पिछले दिनों गठबंधन में शामिल विपक्षी दलों की बैठक के बाद सीटों के बंटवारे की रूपरेखा बनाने पर काम शुरू हो गया। सपा के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि पार्टी में इसे लेकर आंतरिक सहमति बन चुकी है कि खास तौर पर कांग्रेस को कितनी सीटों का प्रस्ताव दिया जाए। बताया गया है कि अखिलेश जल्द ही कांग्रेस और रालोद के नेताओं के साथ बैठक कर 15 सीटें कांग्रेस को देने का प्रस्ताव रखेंगे। रालोद को लेकर अभी स्पष्टत: तय नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा है कि जयंत चौधरी को 5 सीटों का प्रस्ताव दिया जा सकता है। आपसी सहमति के आधार पर नगीना लोकसभा सीट INDIA में शामिल न होने के बावजूद भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर के लिए दलित समीकरण साधने के उद्देश्य से छोड़ी जा सकती है।
कांग्रेस हाईकमान ने भी मांगी टीम यूपी से रिपोर्ट
उल्लेखनीय है कि यूपी में कांग्रेस की जमीन लगभग सिमट चुकी है। 2014 में पार्टी के दो सर्वोच्च नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही चुनाव जीत सके थे, लेकिन अमेठी और रायबरेली की दो पारंपरिक सीटों में से अमेठी भी 2019 में राहुल गांधी हार गए। वोट प्रतिशत भी 2014 में 7.53 प्रतिशत रह गया था, जो कि 2019 में घटकर 6.36 पर सिमट गया। ऐसी ही दुर्गति 2022 के विधानसभा चुनाव में हुई और कांग्रेस कुल 403 में से सिर्फ दो विधानसभा सीटें जीत पाई। माना जा रहा है कि इस प्रदर्शन के आधार पर कांग्रेस 15 सीटों पर आसानी से सहमत हो जाएगी। एक-दो सीटें बढ़ाने-घटाने की गुंजाइश सपा ने भी रखी है। इसके इतर, कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय नेतृत्व ने यूपी कांग्रेस से रिपोर्ट मांगी है कि किन-किन सीटों पर दावा किया जाना चाहिए? जीत की संभावना का आधार क्या है और कौन मजबूत प्रत्याशी हो सकते हैं। संभव है कि नागपुर रैली के बाद अब नए प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय लखनऊ पहुंचें और यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के साथ इस पर विमर्श कर रिपोर्ट तैयार कराएं।
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