UP से मल्लिकार्जुन खरगे को चुनाव लड़ाकर दलितों को साधना चाहती है कांग्रेस, जानें किस सीट से लड़ सकते हैं चुनाव

नई दिल्ली, BNM News। Loksabha Election 2024: कांग्रेस की प्रबल इच्छा के बावजूद कुछ सहयोगी दलों के हठ ने विपक्षी गठबंधन INDIA में बसपा के शामिल होने की संभावनाओं को काफी सीमित कर दिया है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में लगभग 19-20 प्रतिशत आबादी वाले दलित वर्ग को साधने के लिए प्रदेश कांग्रेस अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर दांव लगाना चाहती है। इसी लिहाज से हाईकमान को यह प्रस्ताव दिया गया है कि नगीना सीट से वह खुद उतरें, निर्णय की प्रतीक्षा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय मुख्यालय में विभिन्न राज्यों के प्रमुख नेताओं के साथ गुरुवार को हुई बैठक में पार्टी ने सीटों के बंटवारे पर मंथन तेज किया है।

प्रदेश कांग्रेस दे चुकी है हाईकमान को प्रस्ताव

 

सूत्रों ने बताया कि सपा सहित कुछ दल बसपा से गठबंधन पर सहमत नहीं हो रहे हैं, इसलिए आगे की रणनीति उसी के अनुरूप बनाने पर विचार चल रहा है। ऐसे में सर्वाधिक 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश की रणनीति को लेकर भी विमर्श चल रहा है कि वहां बिना बसपा के जातीय समीकरणों को कैसे मजबूत किया जाए। इसमें किसी को संदेह नहीं है कि अपनी तमाम योजनाओं के आकर्षण से भाजपा ने बसपा के माने जाते रहे दलित वोट बैंक में सेंध लगाई है। जब बसपा लगातार कमजोर होती नजर आ रही है तो कांग्रेस भी खुद को इस वर्ग के मतदाताओं के सामने मजबूत विकल्प के रूप में प्रस्तुत करना चाहती है। इसी रणनीति के तहत कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई ने विचार किया है कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में मल्लिकार्जुन खरगे की काफी सभाएं कराई जाएं।

नगीना सीट है पहली पसंद, आगरा और बहराइच भी विकल्प

 

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, प्रस्ताव दिया गया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे बिजनौर की नगीना संसदीय सीट से लड़ें। उत्तर प्रदेश के रणनीतिकारों ने विकल्प के रूप में दलितों की राजधानी कहे जाने वाले आगरा और बहराइच को भी विकल्प के तौर पर रखा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों पर जोर इसलिए है क्योंकि यहां दलितों और मुस्लिमों की आबादी बहुतायत में है। दलित-मुस्लिम गठजोड़ काफी प्रभावशाली रहता है। नगीना सीट पर मुस्लिम आबादी लगभग 50 प्रतिशत तो दलित 21 प्रतिशत हैं। हालांकि, सीट पर फैसला मुश्किल है क्योंकि गठबंधन से बाहर रहते हुए भी यह सीट भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर के लिए छोड़े जाने पर लगभग सभी सहयोगी दलों में सहमति है। इधर, खरगे पर भी निर्भर करेगा कि वह दक्षिण भारत छोड़कर उत्तर भारत आना चाहेंगे या अपनी पारंपरिक सीट कर्नाटक की गुलबर्गा के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की किसी सीट से भी लड़ें।

 

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