Loksabha Election 2024: निर्दलीय प्रत्याशियों को मिलेंगे 190 चुनाव चिह्न, इन चुनाव निशानों की सूची में रखने से किया परहेज
नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Election Symbol: हरियाणा में लोकसभा चुनावों के लिए नामांकन शुरू होते ही निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी रण में कूदने लगे हैं। साथ ही, छोटे-छोटे दलों की ओर से भी नामांकन की होड़ लगी है। मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों और क्षेत्रीय दलों के लिए जहां चुनाव चिह्न पहले से आरक्षित हैं, वहीं निर्दलीय और छोटे-मोटे राजनीतिक दलों के लिए चुनाव आयोग ने पहली बार जूते-चप्पल और कूड़ेदान से लेकर चूड़ियों और कानों की बालियों को भी शामिल किया है।
करीब 190 चुनाव निशान तय किए
लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों को आवंटित करने के लिए करीब 190 चुनाव निशान तय किए गए हैं। पिछले चुनावों में प्रत्याशियों की पहली पसंद रहे बुलडोजर और जेसीबी जैसे चुनाव चिन्ह इस बार आवंटित नहीं होंगे। हालांकि इसकी जगह क्रेन, रोड रोलर, आटो रिक्शा तथा ट्रक चुनाव चिह्न के तौर पर प्रत्याशियों को जरूर दिए जाएंगे। पिछले कुछ समय से अतिक्रमण हटाने और दबंग लोगों की अवैध संपत्ति को ढहाने के लिए जिस तरह बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया है, संभवतः उसे देखते हुए चुनाव आयोग ने इसे चुनाव निशानों की सूची में रखने से परहेज किया है, ताकि कोई प्रत्याशी इसका चुनावी लाभ न उठा सके।
सूची में आधुनिकता के साथ विरासत का अनूठा संगम
उपयोग से विलुप्त हो चुकी कई चीजों को भी चुनाव आयोग ने चुनाव चिन्हों में शामिल करते हुए सूची में आधुनिकता के साथ विरासत का अनूठा संगम पेश किया है। चुनाव चिह्नों में खिलौने और साग-सब्जियों से लेकर फलों और महिलाओं के श्रृंगार की चीजों की भरमार है। विलुप्ति के कगार पर पहुंची हाथ से चलाई जाने बाली चक्की, डोली, टाइपराइटर, खाट (चारपाई) और कुआं जैसी चीजें सूची में हैं तो एयरकंडीशनर, लैपटाप, कंप्यूटर, माउस, कैलकुलेटर, सीसीटीवी कैमरा, ड्रिल मशीन, वैक्यूम क्लीनर, पेन ड्राइव, ब्रेड टोस्टर, पेट्रोल पंप तथा रिमोट सहित तमाम नए जमाने की चीजें भी चुनाव चिह्न में शामिल हैं।
महिलाओं के श्रृंगार का सामान चुनाव चिह्नों में शामिल
महिलाओं के श्रृंगार को भी चुनाव आयोग ने पूरा महत्व दिया है। उनके श्रृंगार से जुड़ी चीजें यथा कानों की बालियां, हाथों की चूड़ियां, गले का हार तथा लेडीज पर्स को चुनाव चिह्नों में शामिल किया गया है। इसके अलावा सेब, फलों की टोकरी, अखरोट, केक, आइसक्रीम, नूडल्स भरा कटोरा, शिमला मिर्च, फूल गोभी, अंगूर, हरी मिर्च, कटहल, भिंडी, मूंगफली, नाशपाती, मटर तथा तरबूज जैसे चुनाव चिह्न निर्दलीय प्रत्याशियों को दिए जाएंगे।
इसलिए दिए जाते हैं चुनाव चिह्न
राजनीतिक दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों को चुनाव चिह्न दिए जाने की परंपरा देश में शिक्षा की कमी के कारण शुरू हुई। साल 1951-52 के प्रथम लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने महसूस किया कि कम-पढ़े लिखे लोगों के लिए चुनाव चिन्ह बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए अशिक्षित लोगों को विभिन्न दलों और प्रत्याशियों के बीच फर्क कराने के लिए या यूं कहें कि पहचान कराने के लिए चुनाव चिन्ह देने की परंपरा शुरू की गई। ऐसे चुनाव चिन्ह जिन्हें आसानी से पहचाना जा सके और जिनमें धार्मिक एंगल यथा गाय, मंदिर, राष्ट्रीय ध्वज आदि न हो।
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