Mahakumbh 2025: प्रयागराज संगम पर श्रद्धालु लगा रहे हैं आस्था की डुबकी, दो दिनों में पांच करोड़ लोग पहुंचे

कुंभनगर, बीएनएम न्यूजः 3 जनवरी से शुरू हुए 45 दिवसीय महाकुंभ के तीसरे दिन भी श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम पर पवित्र डुबकी लगाना जारी रखा। पृथ्वी पर मनुष्यों की सबसे बड़ी भीड़ माने जाने वाले इस कुंभ के पहले दो दिनों में पांच करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाई है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने हेलीकॉप्टरों से भव्य पुष्प वर्षा का आयोजन किया, जिसमें संगम तट पर मौजूद लाखों श्रद्धालुओं पर गुलाब की पंखुड़ियां बरसाई गईं।

प्रयागराज में 13 जनवरी पौष पूर्णिमा से शुरू हुए 45 दिनों के महाकुंभ के तीसरे दिन भी त्रिवेणी संगम पर श्रद्धालुओं का आना जारी है। आज भी श्रद्धालु संगम तट पर स्नान कर रहे हैं। पहले दो दिनों में 5 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाई।

3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

अखाड़ों के आचार्य, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर सज-धज कर रथों से संगम तक पहुंचे। देश ही नहीं, दुनियाभर के संस्कृति प्रेमी एक तट पर इस दुर्लभ घड़ी का साक्षी बनने के लिए ब्रहम मुहूर्त में ही उमड़ पड़े। आस्था की लहरों ने ऐसी हिलोरे ली कि देर रात तक 3.5 करोड़ श्रद्धालु डुबकी लगा चुके थे। अब मौनी अमावस्या पर 29 जनवरी को दूसरा अमृत स्नान, जबकि वसंत पंचमी पर तीन फरवरी को तीसरा अमृत स्नान होगा।

आचार्यों मंडलेश्वरों, महामंडलेश्वरों की छटा

देश ही नहीं, एशिया से लेकर यूरोप तक के संस्कृति प्रेमी एक तट पर पुण्य की डुबकी लगाने और उस दुर्लभ घड़ी का साक्षी बनने के लिए उमड़ पड़े। आस्था की लहरें हिलोरें मारने लगीं। तीर्थराज में उजाले की एक किरण तक नहीं निकली थी कि हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बीच महाकुंभ नगर में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
अमृत स्नान के लिए देश-विदेश से करोड़ों लोग गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर पहुंचे। पवित्र स्नान का यह दृश्य भारतीय संस्कृति और परंपरा की गहराई को दर्शाता नजर आ रहा था। सबसे पहले अखाड़ों का शाही स्नान हुआ। पंचायती निर्वाणी अखाड़े के नागा साधुओं ने भाला, त्रिशूल और तलवारों के साथ अपने शाही स्वरूप में अमृत स्नान किया।

महानिर्वाणी अखाड़े ने सबसे पहले लगाई डुबकी

सबसे पहले रथ पर सवार होकर महानिर्वाणी अखाड़े के नागा संन्यासी और महामंडलेश्वर अमृत स्नान के लिए पहुंचे। उनके पोछे भस्म से लिपटे अटल अखाड़े के नागा तलवार, भालों के साथ जयकारा लगाते चल रहे थे। सबसे अंत में 3:50 बजे निर्मल अखाड़े के संतों ने स्नान किया।

चहुंओर श्रद्धालु

सिर पर गठरी, बगल में झोला लेकर आधी रात से ही गंगा की तरफ श्रद्धालु लपकते बढ़ रहे थे। नागवासुकि मंदिर और संगम क्षेत्र में तड़के से ही सड़कों पर सिर्फ सिर ही सिर नजर आने लगे। संगम की ओर बढ़ने वाली सभी सड़कें श्रद्धालुओं से भरी नजर आ रही थीं।

घाटों से लेकर पांटून पुलों तक चाक-चौबंद सुरक्षा

हर मार्ग पर बैरिकेडिंग लगाकर वाहनों की जांच की जाती रही। चप्पे-चप्पे पर पुलिस और अर्ध सैनिक बलों की तैनाती रही। पुलिस टीम ने घोड़े के साथ मेला क्षेत्र में पैदल मार्च किया और अखाड़ों के अमृत स्नान के लिए रास्ता खाली कराते रहे।

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