जर्मनी-इटली वाले कैथल में मनरेगा मजदूर, लोग बोले- फर्जी जॉब कार्ड बनाए; 30 लाख का घोटाला

जिला परिषद की डिप्टी सीईओ ऋतु लाठर!

नरेन्‍द्र सहारण , कैथल : Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले के ककराला इनायत गांव में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में बड़े घोटाले का मामला सामने आया है। शिकायतों के अनुसार, इस योजना के तहत जर्मनी, इटली, फ्रांस, पुर्तगाल और मलेशिया जैसे देशों में रह रहे लोगों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनाए गए। इन जॉब कार्ड्स पर उनकी हाजिरी लगाई गई और लाखों रुपये सरकारी खजाने से निकाल लिए गए।

शिकायतकर्ता अमरीक सिंह ने आरोप लगाया है कि यह घोटाला अकेले उनके गांव तक सीमित नहीं है। इसमें मेट और संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से मनरेगा के उद्देश्य को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है। उनके अनुसार, इस घोटाले से सरकार को करीब 30 लाख रुपये का नुकसान हुआ है।

328 फर्जी जॉब कार्ड, असल में केवल 40 मजदूर

 

शिकायतकर्ता अमरीक सिंह ने बताया कि ककराला इनायत गांव में असल मजदूरों की संख्या केवल 40 है, लेकिन कागजों पर 328 व्यक्तियों के जॉब कार्ड बनाए गए हैं। इनमें से करीब 20-22 व्यक्तियों के नाम उन लोगों के हैं जो वर्तमान में विदेश में रह रहे हैं।

इन जॉब कार्ड्स का इस्तेमाल कर उनके नाम पर फर्जी हाजिरी लगाई गई और उनके बैंक खातों में पैसे भेजे गए। यह घोटाला 2022 से चल रहा है और अब तक लाखों रुपये हड़प लिए गए हैं।

मजदूरों को नहीं मिल रहा काम, घोटाले का पैसा मेट और अधिकारी हड़प रहे

अमरीक सिंह ने बताया कि मनरेगा का मुख्य उद्देश्य गांव के गरीब मजदूरों को रोजगार देना है। लेकिन इस योजना का लाभ असल मजदूरों तक नहीं पहुंचा। इसके बजाय, फर्जी जॉब कार्ड्स के जरिए मेट और अधिकारियों ने पैसे हड़प लिए।

शिकायतकर्ता का आरोप है कि संबंधित मेट मजदूरों को केवल 1,000 रुपये देता है और बाकी धनराशि खुद और अधिकारियों के बीच बांट ली जाती है।

पहले भी हो चुकी है शिकायत, कार्रवाई का इंतजार

अमरीक सिंह ने इस घोटाले की शिकायत जुलाई 2023 में उपायुक्त (DC) और मुख्यमंत्री विंडो पर की थी। लेकिन शिकायत के तीन महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

अमरीक सिंह ने मांग की है कि फर्जी जॉब कार्ड बनाकर घोटाला करने वालों से पूरी रकम की वसूली की जाए। साथ ही, इस घोटाले में शामिल अधिकारियों और मेट के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।

सरपंच और प्रशासन की प्रतिक्रिया

गांव के सरपंच मलक सिंह ने कहा कि उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। उनका कहना है कि मनरेगा से संबंधित मामलों में मेट की भूमिका अधिक होती है और वही इस मामले की सटीक जानकारी दे सकता है।

इस मामले में जिला परिषद की डिप्टी सीईओ ऋतु लाठर ने कहा कि शिकायत उनके संज्ञान में आई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी जाएगी। यदि शिकायत में लगाए गए आरोप सही पाए जाते हैं, तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

घोटाले का पूरा विवरण

मनरेगा के तहत गांवों में गरीब मजदूरों को रोजगार देकर उनकी आजीविका सुधारने का प्रयास किया जाता है। लेकिन इस योजना के तहत ककराला इनायत गांव में बड़े पैमाने पर धांधली की गई।

कैसे हुआ घोटाला?

विदेशों में रह रहे 20-22 लोगों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनाए गए।
इन जॉब कार्ड्स पर कागजों में हाजिरी लगाई गई।
सरकारी खजाने से उनकी हाजिरी के पैसे निकाले गए और खातों में ट्रांसफर किए गए।
असली मजदूरों को काम देने के बजाय मेट और अधिकारियों ने पैसा आपस में बांट लिया।

डिप्टी सीईओ ने जांच का दिया आश्वासन

डिप्टी सीईओ ऋतु लाठर ने कहा कि बीडीपीओ (खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी) डेंगू से ग्रस्त होने के कारण छुट्टी पर हैं। उनके लौटने के बाद जांच की प्रगति का आकलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।

क्या कहते हैं आंकड़े?

कुल मजदूर: 40 (असल में कार्यरत)
फर्जी जॉब कार्ड: 328
लागत: लगभग 30 लाख रुपये का गबन

योजना का उद्देश्य विफल

ककराला इनायत गांव में मनरेगा योजना का उद्देश्य पूरी तरह से विफल हो गया है। गरीब मजदूरों को लाभ पहुंचाने के बजाय, यह योजना अधिकारियों और मेट के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई।

यह मामला न केवल सरकार की योजनाओं के प्रति लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े करता है। डिप्टी सीईओ के जांच आश्वासन से उम्मीद है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और इस घोटाले में शामिल सभी लोगों को कानून के कटघरे में लाया जाएगा।

 

 

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