कैथल में गलत खाते में भेजे रुपए: स्टेट बैंक के कर्मचारी की मिलीभगत से 1.92 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी, पुलिस कर रही जांच

नरेंद्र सहारण, कैथल: Kaithal News: भारत में डिजिटल और बैंकिंग लेनदेन के बढ़ते प्रचलन के साथ साइबर अपराध और धोखाधड़ी की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। इन अपराधों का शिकार अक्सर सामान्य नागरिक ही होते हैं, जो अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित समझकर बैंकिंग सिस्टम का भरोसा करते हैं। परन्तु कैथल जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक बैंक कर्मचारी की मिलीभगत से करीब 1 करोड़ 92 लाख रुपये एक ही समय में अचानक ट्रांसफर कर दिए गए। यह घटना न केवल बैंकिंग सिस्टम की सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह बैंकिंग धोखाधड़ी के नए-नए तरीके भी उजागर करती है।

मामले का संक्षिप्त विवरण

 

यह मामला कैथल के मुख्य स्टेट बैंक शाखा से जुड़ा है जहां एक बैंक कर्मचारी ने अपने पद का दुरुपयोग कर चार खाताधारकों के करोड़ों रुपये अपने पास रखे खातों में ट्रांसफर कर दिए। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन खाताधारकों को इस घटना की कोई सूचना भी नहीं दी गई थी। जब उन्हें बैंक से लाखों रुपये की ट्रांजेक्शन का मैसेज मिला, तब उन्हें अपने साथ हुई धोखाधड़ी का पता चला।

मुख्य पीड़ित और ट्रांसफर की रकम

तितरम निवासी जगरूप फौजी (आर्मी रिटायर्ड): 26 लाख रुपये से अधिक
बालू निवासी सुभाष चंद्र (रिटायर पटवारी): लगभग 79 लाख 23 हजार रुपये
कैथल निवासी डॉक्टर अनिल कुमार मित्तल: लगभग 64 लाख 32 हजार रुपये
भैणी माजरा निवासी नरेन्द्र: लगभग 23 लाख रुपये
यह रकम इनके खातों से शाम 3 से 3:30 बजे के बीच ट्रांसफर की गई, यानी मात्र 30 मिनट के भीतर।

फर्जी मेल और कोर्ट ऑर्डर का झांसा

 

मामले की शुरुआत एक फर्जी मेल से हुई, जिसमें लिखा गया कि उनके खातों से रकम ट्रांसफर करने के लिए कोर्ट का आदेश है। इस मेल में एक फर्जी कोर्ट ऑर्डर की कॉपी भी भेजी गई थी ताकि बैंक कर्मचारी इस निर्देश को सत्य मानकर बिना किसी शक के कार्रवाई कर सके।

बैंक कर्मचारी का भूमिका

रूपलाल नामक बैंक कर्मचारी जो मुख्य शाखा में काम करता था इस धोखाधड़ी के मुख्य आरोपी के रूप में सामने आया है। आरोप है कि उसने इन कथित कोर्ट ऑर्डर का फर्जी मेल देखकर तुरंत ही इस आदेश को मान लिया और बिना सत्यापन के अपने अधिकार का दुरुपयोग करते हुए इन चार खाताधारकों के खातों से रकम ट्रांसफर कर दी।

रकम का ट्रांसफर

यह सभी लेनदेन 3:00 बजे से 3:30 बजे के बीच हुए। आरोपी ने इन रकम को अपने साथ ही रखे खातों से लेकर केरल की एक कंपनी, कलूर फूड एंटरप्राइजिज प्राइवेट लिमिटेड के खाते में ट्रांसफर कर दिया। यह कंपनी एक फर्जी कंपनी प्रतीत होती है, जिसका पता और पंजीकरण भी संदिग्ध है।

पीड़ितों के अनुभव और प्रतिक्रिया

 

जैसे ही पीड़ितों को अपने खातों से इतनी बड़ी रकम ट्रांसफर होने का मैसेज मिला उन्होंने तुरंत ही अपने नजदीकी बैंक शाखा में पहुंचकर अधिकारियों से बात की। सभी ने अपने खातों का स्टेटमेंट देखा और यह भांप लिया कि उनके खाते से लाखों रुपये गायब हैं।

बैंक की भूमिका और लापरवाही

 

इन पीड़ितों का आरोप है कि बैंक ने इस फर्जी लेनदेन के बारे में उन्हें पहले नहीं बताया और न ही किसी तरह की सतर्कता बरती। इस प्रकार बैंक के कर्मचारी की मिलीभगत और लापरवाही ने इन लोगों को बड़ी धोखाधड़ी का शिकार बना दिया।

पीड़ितों का बयान

 

जगरूप फौजी का कहना है कि उन्हें कभी भी इस तरह का कोई लेनदेन सूचित नहीं किया गया।
सुभाष चंद्र ने कहा कि उन्हें किसी भी तरह की कोई सूचना नहीं दी गई, और अचानक उनके खाते से इतना बड़ा पैसा कट जाना उनके लिए बड़ा झटका है।
डॉक्टर अनिल कुमार मित्तल का कहना है कि उनके खाते से 64 लाख रुपये ट्रांसफर होने के बाद ही उन्हें पता चला कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है।
नरेन्द्र ने बताया कि उनके खाते से 23 लाख रुपये गायब हैं, और यह भी उन्होंने बैंक से जानकारी ली।

पुलिस की कार्रवाई और जांच

 

सिविल लाइन थाना से मौके पर पहुंचे एडिशनल एसएचओ साहिल ने बताया कि इस पूरे मामले की सूचना पुलिस को मिली है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए, बैंक से संबंधित अधिकारी और आरोपी कर्मचारी का विवरण जुटाया है।

मामले की जांच

पुलिस इस पूरे मामले की तह तक जाने में लगी है। आरोप है कि इस धोखाधड़ी में सिर्फ एक कर्मचारी ही शामिल नहीं है, बल्कि इसके पीछे कुछ और संदिग्ध संदिग्ध भी हो सकते हैं।

आरोपी की गिरफ्तारी के प्रयास

पुलिस का कहना है कि वे इस पूरे मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और अपराधियों को जल्द पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही है। साथ ही, बैंकिंग प्रणाली में सुरक्षा खामियों को दूर करने के लिए भी कदम उठाए जाएंगे।

धोखाधड़ी के पीछे के कारण और सावधानियां

 

यह घटना दिखाती है कि साइबर और फाइनेंसियल धोखाधड़ी अब कितनी जटिल और संगठित हो चुकी है। फर्जी मेल, झूठे कोर्ट ऑर्डर, और फर्जी कंपनियों के माध्यम से लाखों रुपये हड़पने की रणनीति ने आम जनता को बहुत ही नुकसान पहुंचाया है।

सावधानियां और सुझाव

 

कोर्ट ऑर्डर या किसी भी सरकारी दस्तावेज की सत्यता जांचें।
बैंक से कोई भी ट्रांजेक्शन बिना सत्यापन के न करें।
असामान्य या संदिग्ध मेल से सतर्क रहें।
बैंक में तुरंत शिकायत करें यदि कोई भी अनजान ट्रांजेक्शन हो।
साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता जरूरी है।
आगे की दिशा: क्या कदम उठाने चाहिए?
संबंधित बैंक प्रबंधन की जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
सभी खाताधारकों को सतर्क किया जाना चाहिए कि किसी भी फर्जी मेल या निर्देश पर बिना सत्यापन के कोई भी कदम न लें।
साइबर अपराधी तत्वों पर कठोर कार्रवाई हो।
सभी बैंकिंग संस्थानों में साइबर सुरक्षा मजबूत की जाए।
आम जनता के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं।

गंभीर सवाल

यह मामला हमारे देश में बैंकिंग सिस्टम की सुरक्षा, साइबर अपराध की बढ़ती जटिलता और बैंक कर्मचारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करता है। पुलिस की त्वरित कार्रवाई से उम्मीद है कि आरोपी जल्द पकड़े जाएंगे, और पीड़ितों को न्याय मिलेगा। साथ ही, इस तरह की घटनाओं से बचाव के लिए जनता और बैंक दोनों को सतर्क रहने की जरूरत है।

सावधानी ही सुरक्षा है। अपने बैंक खातों की सुरक्षा के लिए सतर्क रहें, संदिग्ध मेल या लिंक पर क्लिक न करें, और समय-समय पर अपने खातों का स्टेटमेंट जांचते रहें।

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