MPT Course: PGI में मास्टर आफ फिजियोथेरेपी कोर्स कर सकेंगे छात्र, एमपीटी कोर्स वाला उत्तर भारत का पहला संस्थान बनेगा

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़ : MPT Course: पीजीआइ में फिजियोथेरेपी के अलग विभाग बनने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। स्टैंडिंग एकेडमिक कमेटी (एसएसी) ने इसकी मंजूरी दे दी है और अब स्टेंडिंग फाइनेंस कमेटी (एसएफसी) से मंजूरी मिलेगी। एसएफसी से अप्रूवल के बाद हेल्थ मिनिस्ट्री की मंजूरी मिलते ही पीजीआइ में फिर से फिजियोथेरेपी का अलग विभाग शुरू होगा। फिजियोथेरेपी के छात्र लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे।

विभाग में टीचिंग के लिए फैकल्टी के आठ पदों को भी मंजूरी

 

स्टूडेंट एसोसिएशन आफ फिजियोथेरेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. अनिरुद्ध उनियाल वह लंबे समय से नए विभाग की मांग कर रहे थे। इससे पहले वर्ष 1989-99 तक फिजियोथेरेपी का एक अलग विभाग था, लेकिन बाद में आर्थोपेडिक्स विभाग में फिजिकल एंड रिहेबिलिटेशन मेडिसिन (पीआरएम) का नाम देकर इसे अलग विंग बना दिया गया। कमेटी से मिली मंजूरी के बाद विभाग में टीचिंग के लिए फैकल्टी के आठ पदों को भी मंजूरी दे गई गई है।

बीपीटी कोर्स की समय अवधि ह साढ़े चार साल

फिजियोथेरेपी का अलग विभाग शुरू होने से फैकल्टी की भर्ती होगी और पोस्ट ग्रेजुएट मास्टर आफ फिजियोथेरेपी (एमपीटी) कोर्स शुरू होगा। अभी पीजीआइ में बैचलर आफ फिजियोथेरेपी (बीपीटी) का कोर्स होता है, जिसकी समय अवधि साढ़े चार साल है। 60 छात्र यह कोर्स कर रहे हैं, लेकिन फैकल्टी और क्लासरूम नहीं है। बीपीटी कोर्स के बाद एमपीटी जरूरी है। पीजीआइ में एमपीटी कोर्स न होने की वजह से छात्रों को एमपीटी कोर्स के लिए निजी संस्थानों में जाना पड़ता है। पीजीआइ में एमपीटी कोर्स शुरू होता है तो उत्तर भारत का यह पहला संस्थान बन जाएगा। जहां से मास्टर आफ फिजियोथेरेपी कर पाएंगे।

ओपीडी में रोजाना आ रहे 200 से 250 मरीज

फिजियोथेरेपी विभाग की ओपीडी में रोजाना 200 से 250 मरीज आते हैं। ओपीडी में ज्यादा रेफरल मरीज होते हैं, जिन्हें दूसरे विभागों से रेफर किया जाता है। ज्यादातर मरीज न्यूरोसर्जरी, लकवा, पोस्ट सर्जरी, गायनी व जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों के होते हैं। इसके अलावा वार्ड, आइसीयू में भर्ती मरीजों को भी फिजियोथेरेपी दी जाती है, जिनकी संख्या 500 तक रहती है। अलग विभाग बनने से मरीज सीधा ओपीडी में इलाज करवा सकेंगे।

500 से 13,150 रुपये हुआ वेतन

फिजियोथेरेपी और संबंधित स्वास्थ्य पाठ्यक्रम के छात्रों का वेतन भी बढ़ाया गया है। स्टूडेंट्स पढ़ाई के साथ-साथ मरीजों को भी देखते हैं। इसके लिए पीजीआइ प्रशासन की तरफ से उन्हें 500 रुपये प्रतिमाह वेतन के तौर पर दिया जाता था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 13,150 रुपये किया गया है। इस फैसले से लगभग 400 छात्रों को फायदा हुआ है। हालांकि नर्सिंग स्टूडेंट्स के वेतन को केंद्र ने पहले ही देशभर में बढ़ा दिया था, लेकिन फिजियोथेरेपी और स्पिच थेरेपी स्टूडेंट्स को कम वेतन मिलता था।

देश को अच्छे फिजियो मिलेंगे

स्टूडेंट एसोसिएशन आफ फिजियोथेरेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. अनिरुद्ध उनियाल ने कहा कि फिजियोथेरेपी के अलग विभाग के लिए हमने बहुत संघर्ष किया है। इस फैसला का स्वागत है। मास्टर इन फिजियोथेरेपी कोर्स शुरू होने से देश को अच्छे फिजियो मिलेंगे, जो मरीजों का अच्छा इलाज करेंगे।

 

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