बिहार के शूटरों से चलता था मुख्तार अंसारी का नेटवर्क, बृजेश, अजय राय और धनंजय सिंह थे सबसे बड़े दुश्मन
लखनऊ, बीएनएम न्यूजः Mukhtar Ansari Death News: पूर्वांचल के माफिया डॉन के तौर पर चर्चित पूर्व बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी अब इस दुनिया में नहीं है। बांदा जेल में दिल का दौरा पड़ने से मुख्तार अंसारी की मौत हो चुकी है। मुख्तार और उसका परिवार बार-बार गाजीपुर में 23 साल पहले हुए बहुचर्चित उसरी चट्टी कांड का जिक्र करता रहा है। दावा यह किया जाता रहा कि उसरी चट्टी के चर्चित मामले में मुख्तार अंसारी की गवाही को रोकने के लिए जेल में उसकी हत्या की साजिश रची जा रही है। उसरी चट्टी के चर्चित मामले में मुख्तार अंसारी के काफिले पर माफिया बृजेश सिंह और उसके साथी त्रिभुवन सिंह द्वारा जानलेवा हमला कराए जाने का आरोप है।
इस मुकदमे में मुख्तार अंसारी खुद वादी और गवाह दोनों था। मुख्तार अंसारी की गवाही पर बृजेश सिंह को उम्र कैद और फांसी तक की सजा हो सकती थी। उसरी चट्टी का मामला क्या है और मुख्तार की मौत से इसका कनेक्शन कैसे जोड़ा जा रहा है, इसे इस खास रिपोर्ट के जरिए समझिए।
पूर्वांचल में दो बड़े माफिया की कभी न खत्म होने वाली दुश्मनी
वर्ष 1988 में मुख्तार और साधु सिंह ने ठेकेदार सच्चिदानंद राय और त्रिभुवन सिंह के भाई राजेंद्र सिंह की हत्या कर दी, जिसने पूर्वांचल में दो बड़े माफिया की कभी न खत्म होने वाली दुश्मनी को जन्म दिया। दोनों एक-दूसरे के करीबियों को ठिकाने लगाते रहे। मुख्तार और उनके भाई ने राजनीति में अपनी पैठ बनाई तो बृजेश सिंह ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय से नजदीकी बढ़ानी शुरू कर दी। सत्ता के संरक्षण की वजह से अंसारी बंधुओं का पलड़ा भारी पड़ा तो बृजेश को यूपी छोड़ना पड़ गया। वहीं कृष्णानंद राय की हत्या के बाद मुख्तार का पूर्वांचल के अंडरवर्ल्ड में एकछत्र राज हो गया।
मुख्तार और बृजेश के गैंग में कई बार हुई टकराहट
पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह की अदावत किसी से छिपी नहीं है। दोनों के गैंग में कई बार टकराहट हो चुकी थी। तमाम लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी हैं। बृजेश सिंह इन दिनों जेल से बाहर है। वह विधान परिषद का सदस्य रह चुका है। सत्ता पक्ष के कई लोगों से उसकी नजदीकियां हैं। यही वजह है कि मुख्तार अंसारी को बृजेश और उसके गुर्गों से लगातार डर सता रहा था. उसरी चट्टी की घटना के जरिए बृजेश सिंह को सजा होने की आशंका माफिया के इस डर को और बढ़ा रही थी।
ऊसरचट्टी कांड में पलड़ा था भारी
23 साल पहले गाजीपुर के ऊसरचट्टी में बृजेश सिंह ने मुख्तार के काफिले पर स्वचालित हथियारों से हमला किया था। इसमें मुख्तार के गनर रामचंद्र समेत तीन लोगों की मौत हो गयी थी। इस मामले की अदालती लड़ाई में मुख्तार का पलड़ा भारी होता जा रहा था और उसकी गवाही बृजेश के लिए मुश्किल का सबब बनने वाली थी। हाल ही में मुख्तार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई दूसरे राज्य में कराने की अर्जी दाखिल की गयी थी, जिसकी सुनवाई आगामी 3 अप्रैल को होनी थी।
अजय राय और धनंजय सिंह ने खुलकर दुश्मनी मोल ली
अगर मुख्तार के दुश्मनों की बात करें तो तीन नाम सामने आते हैं। पहला बृजेश सिंह, दूसरे अवधेश राय के भाई अजय राय और तीसरा धनंजय सिंह। मुख्तार ने अवधेश राय की नृशंस तरीके से हत्या कराई, जिसके बाद अजय राय ने कई सालों तक अदालती लड़ाई लड़ी। इस बीच लखनऊ विश्वविद्यालय में बेहद करीबी माने जाने वाले अभय सिंह और धनंजय सिंह के बीच कटुता बढ़ी, जिसने पूर्वांचल के अंडरवर्ल्ड के समीकरण बदल दिए। अभय ने मुख्तार के पाले में जाने का फैसला लिया तो धनंजय ने लखनऊ के दिलकुशा कांड के बाद बृजेश सिंह का समर्थन कर मुख्तार से खुलकर दुश्मनी मोल ले ली। इसके बाद तमाम ठेके-पट्टे में दोनों गुटों के बीच तनातनी रही, लेकिन मध्यस्थों की वजह से काम बंटते गए। वहीं कृष्णानंद राय का परिवार भी मुख्तार को सजा कराने के लिए प्रयासरत रहा, हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली। गवाहों की मौत होने और मुकरने की वजह से उसे दिल्ली की अदालत ने बरी कर दिया था।
बिहार से चलता था शूटरों का नेटवर्क
मुख्तार के पास बिहार के शूटरों का बड़ा नेटवर्क था। उसने अधिकतर कांड इन शूटरों की मदद से अंजाम दिए। बिहार के माफिया शहाबुद्दीन से उसके करीबी संबंध बताए जाते थे। यही वजह थी कि मुख्तार ने कभी बिहार में अपना वर्चस्व स्थापित करने का प्रयास नहीं किया और शहाबुद्दीन ने यूपी की तरफ नहीं देखा। मुख्तार पर कानूनी शिकंजा कसना शुरू हुआ तो एसटीएफ ने बिहार की जेलों पर नजर रखनी शुरू कर दी। दरअसल, उसके तमाम शूटर बिहार की जेलों में बंद थे, जिनके खर्च और जमानत का प्रबंध मुख्तार करता था। मुख्तार के शूटर नौशाद कुरैशी को वर्ष 2005 में यूपी एसटीएफ ने फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था। नौशाद शहाबुद्दीन का शूटर था, जिसे बिहार में हुए एक हत्याकांड के बाद मुख्तार ने पनाह दी थी।
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