खरक पांडवां से एम्स तक: हरियाणा के शिवम सहारण की सेल्फ स्टडी की अनूठी विजय गाथा, NEET 2025 में शानदार सफलता

शिवम सहारण
नरेंद्र सहारण, कैथल: NEET 2025: हर साल जब राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) के परिणाम घोषित होते हैं तो भारत के लाखों युवाओं और उनके परिवारों की धड़कनें थम जाती हैं। यह केवल एक परीक्षा का परिणाम नहीं बल्कि डॉक्टर बनने के प्रतिष्ठित सपने वर्षों की कड़ी मेहनत और करोड़ों की लागत वाले कोचिंग उद्योग के प्रभाव का लिटमस टेस्ट होता है। अखबारों के पन्ने और शहरों के होर्डिंग्स कोचिंग संस्थानों के मुस्कुराते हुए टॉपर्स की तस्वीरों से पट जाते हैं, जो इस धारणा को और पुख्ता करते हैं कि सफलता का रास्ता इन्हीं महंगी और प्रतिस्पर्धी कक्षाओं से होकर गुजरता है।
जनरल कैटेगरी में बनाई खास पहचान
लेकिन 2025 में इस शोर और चमक-दमक के बीच हरियाणा के कैथल जिले की एक शांत तहसील कलायत के एक छोटे से गांव खरक पांडवां से एक ऐसी कहानी उभरी, जिसने इस स्थापित मिथक को चुनौती दी। यह कहानी है शिवम सहारण की। एक ऐसा युवक जिसने बिना किसी कोचिंग संस्थान का दरवाजा खटखटाए, केवल अपनी लगन, अनुशासन और परिवार के विश्वास के दम पर NEET (UG) 2025 में 99.94 पर्सेंटाइल के साथ ऑल इंडिया रैंक 710 (जनरल कैटेगरी) हासिल कर ली। यह सिर्फ एक रैंक नहीं है; यह आत्मनिर्भरता की विजय है, यह ग्रामीण भारत की प्रतिभा का उद्घोष है, और यह उन हजारों छात्रों के लिए एक ज्वलंत प्रेरणा है जो संसाधनों की कमी के कारण बड़े शहरों के कोचिंग हब तक नहीं पहुंच पाते। शिवम की यह यात्रा दिखाती है कि सफलता के लिए बाहरी मार्गदर्शन से कहीं अधिक महत्वपूर्ण आंतरिक संकल्प और सही दिशा में किया गया अथक प्रयास है।
खरक पांडवां की मिट्टी और शिक्षा का अंकुरण
हरियाणा का कैथल जिला अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। इसी जिले का एक छोटा सा गांव है खरक पांडवां, जहाँ की हवा में आज भी मेहनत और सादगी की महक है। यहीं शिवम सहारण का बचपन बीता। एक ऐसे परिवेश में जहां युवाओं का रुझान अक्सर कृषि, खेल या सेना की ओर होता है, शिवम के घर में शिक्षा की लौ हमेशा प्रज्वलित रही।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही एक स्कूल में हुई। यह वह दौर था जब उनकी प्रतिभा की पहली झलक मिली। उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा में 98% अंकों का असाधारण स्कोर हासिल किया। यह स्कोर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अक्सर माना जाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में संसाधनों और प्रतिस्पर्धा की कमी होती है। लेकिन शिवम ने साबित कर दिया कि यदि छात्र में सीखने की लगन हो, तो भौगोलिक सीमाएं और संसाधनों की कमी बाधा नहीं बन सकती।
उच्च शिक्षा की दिशा में अगला कदम दिल्ली के एक प्रतिष्ठित सीबीएसई स्कूल से बारहवीं की पढ़ाई करना था। गांव के शांत और परिचित माहौल से निकलकर देश की राजधानी के प्रतिस्पर्धी माहौल में ढलना एक बड़ी चुनौती थी। यहाँ उनका सामना देश के कोने-कोने से आए प्रतिभाशाली छात्रों से हुआ। यह बदलाव किसी भी छात्र के मनोबल को डिगा सकता था, लेकिन शिवम ने इसे एक अवसर के रूप में लिया। उन्होंने अपनी मेहनत और अनुशासन से इस चुनौती को भी पार किया और 12वीं बोर्ड परीक्षा में 93% अंक प्राप्त किए। यह सफलता इस बात का प्रमाण थी कि शिवम किसी भी माहौल में खुद को ढालने और उत्कृष्टता प्राप्त करने की क्षमता रखते थे। यहीं से उनके आत्मविश्वास की वह मजबूत नींव पड़ी, जिस पर उन्होंने बिना कोचिंग के NEET जैसी कठिन परीक्षा को फतह करने की इमारत खड़ी की।
द्रोणाचार्य के बिना अर्जुन – सेल्फ-स्टडी की अचूक रणनीति
बारहवीं के बाद हर विज्ञान के छात्र की तरह शिवम के सामने भी भविष्य का अहम सवाल था। मेडिकल क्षेत्र में जाने का निर्णय तो हो चुका था, लेकिन रास्ता क्या हो? एक तरफ कोटा, दिल्ली और सीकर जैसे कोचिंग हब की चकाचौंध थी, जो सफलता की गारंटी का दावा करते थे। दूसरी तरफ घर पर रहकर, स्वयं की रणनीति से तैयारी करने का कठिन और अनिश्चित मार्ग था। शिवम ने दूसरा रास्ता चुना। यह निर्णय केवल आर्थिक कारणों से नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और एक सोची-समझी रणनीति का परिणाम था।
शिवम की सफलता की कहानी का यह सबसे महत्वपूर्ण अध्याय है। उन्होंने यह कैसे किया?
संसाधनों का कुशल प्रबंधन
आज के डिजिटल युग में शिवम ने दिखाया कि ज्ञान किसी एक संस्थान की चारदीवारी में कैद नहीं है। उन्होंने अपने संसाधनों का बुद्धिमानी से उपयोग किया:
NCERT को बनाया ‘गीता’: उन्होंने NEET की तैयारी का मूलमंत्र NCERT की पाठ्यपुस्तकों को बनाया। जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान और भौतिकी, तीनों विषयों के लिए उन्होंने NCERT को अक्षरशः पढ़ा। उन्होंने समझा कि 90% से अधिक प्रश्न सीधे NCERT की अवधारणाओं पर आधारित होते हैं।
ऑनलाइन शिक्षा का लाभ: उन्होंने YouTube पर मौजूद प्रतिष्ठित शिक्षकों के मुफ्त वीडियो लेक्चर, विभिन्न शैक्षिक वेबसाइटों और ऐप्स का भरपूर उपयोग किया। इससे उन्हें जटिल विषयों को समझने और अपनी शंकाओं को दूर करने में मदद मिली।
मॉक टेस्ट और प्रश्न पत्र: उन्होंने नियमित रूप से पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों और ऑनलाइन उपलब्ध मॉक टेस्ट को हल किया। इससे न केवल उनकी गति और सटीकता में सुधार हुआ, बल्कि उन्हें परीक्षा के पैटर्न और समय प्रबंधन का भी वास्तविक अनुभव मिला।
विषय-वार अचूक रणनीति
जीव विज्ञान (99.97 पर्सेंटाइल): यह उनका सबसे मजबूत पक्ष था, जिसका एक बड़ा श्रेय उनकी माँ को भी जाता है। एक PGT बायोलॉजी शिक्षिका होने के नाते, उनकी माँ ने शिवम के लिए एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाई। घर पर ही उन्हें विषय की गहरी समझ और सही मार्गदर्शन मिला। उन्होंने NCERT के हर डायग्राम, हर तथ्य को आत्मसात किया।
रसायन विज्ञान (99.99 पर्सेंटाइल): इस विषय में उनका प्रदर्शन अद्भुत था। उन्होंने फिजिकल केमिस्ट्री में न्यूमेरिकल अभ्यास, इनऑर्गेनिक में NCERT की पंक्तियों को याद करने और ऑर्गेनिक में कॉन्सेप्ट्स को समझने और उनकी बार-बार प्रैक्टिस करने की एक संतुलित रणनीति अपनाई।
भौतिकी (98.92 पर्सेंटाइल): यह विषय अक्सर मेडिकल छात्रों के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण होता है। शिवम ने भी इसे एक चुनौती के रूप में लिया। उन्होंने रटने के बजाय अवधारणाओं को समझने पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने पहले आसान सवालों से शुरुआत की और धीरे-धीरे कठिन सवालों की ओर बढ़े। भले ही इसमें उनका पर्सेंटाइल अन्य दो विषयों की तुलना में थोड़ा कम रहा, लेकिन 98.92 पर्सेंटाइल अपने आप में एक उत्कृष्ट स्कोर है, जो उनकी कड़ी मेहनत को दर्शाता है।
अनुशासन और समय प्रबंधन
बिना किसी बाहरी दबाव के स्वयं को अनुशासित रखना सबसे बड़ी चुनौती होती है। शिवम ने एक सख्त दिनचर्या का पालन किया। सुबह जल्दी उठना, हर विषय के लिए समय निर्धारित करना, छोटे-छोटे ब्रेक लेना और रात में पर्याप्त नींद लेना उनकी आदत में शुमार था। यह निरंतरता ही उनकी सफलता की कुंजी बनी।
परिवार – सफलता के पीछे की अदृश्य शक्ति
किसी भी बड़ी सफलता के पीछे एक मजबूत सपोर्ट सिस्टम का हाथ होता है, और शिवम के लिए यह सपोर्ट सिस्टम उनका परिवार था। उनके घर का माहौल ही उनकी सबसे बड़ी ताकत बना।
शिक्षक माता-पिता: पिताजयपाल सहारण और माता सुनिता सहारण दोनों शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं। उनके घर में किताबों, ज्ञान और अनुशासन का माहौल था। उन्हें कभी पढ़ने के लिए दबाव नहीं डाला गया, बल्कि उन्हें सीखने के लिए प्रेरित किया गया। उनकी माँ, जो स्वयं बायोलॉजी की विशेषज्ञ हैं, ने न केवल शिवम की अकादमिक समस्याओं का समाधान किया, बल्कि एक माँ के रूप में उनके मानसिक स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान रखा।
प्रेरणास्रोत बड़े भाई: शिवम के बड़े भाई, डॉ. आशीष सहारण, जो वर्तमान में एम्स ऋषिकेश जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में MBBS के अंतिम वर्ष के छात्र हैं, शिवम के लिए एक रोल मॉडल और प्रेरणास्रोत बने। भाई को डॉक्टर बनते देख शिवम के मन में भी यही सपना पला। आशीष ने अपने अनुभव से शिवम का मार्गदर्शन किया, उन्हें सही किताबें बताईं, तैयारी के उतार-चढ़ाव के लिए मानसिक रूप से तैयार किया और यह विश्वास दिलाया कि यदि वह कर सकता है, तो शिवम भी कर सकता है। एक सफल भाई का पथ-प्रदर्शन किसी भी कोचिंग से बढ़कर था।
मूल्यों की विरासत : स्वर्गीय दादा जी: शिवम अपने स्वर्गीय दादा जी, श्री पृथ्वी सिंह को भी अपनी प्रेरणा मानते हैं। उनके दादा जी का सादगीपूर्ण और मूल्यों पर आधारित जीवन शिवम के चरित्र का हिस्सा बन गया। इसने शिवम को सिखाया कि सफलता का अर्थ केवल एक अच्छी रैंक लाना नहीं, बल्कि एक अच्छा और सच्चा इंसान बनना भी है। यही मूल्यबोध उन्हें समाज सेवा के लक्ष्य की ओर प्रेरित करता है।
बहुमुखी प्रतिभा – सिर्फ NEET नहीं, JEE में भी दिखाया दम
शिवम की प्रतिभा केवल मेडिकल प्रवेश परीक्षा तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने JEE Main 2025 की परीक्षा में भी 98.88 पर्सेंटाइल जैसा शानदार स्कोर हासिल किया। यह उपलब्धि उनके अकादमिक कौशल को एक नई ऊंचाई देती है। यह दर्शाता है कि उनकी भौतिकी और रसायन विज्ञान पर पकड़ केवल रटने वाली नहीं, बल्कि अवधारणात्मक (conceptual) और समस्या-समाधान (problem-solving) आधारित है। यह इस बात का भी प्रमाण है कि वे देश की दो सबसे कठिन और अलग-अलग प्रकृति की परीक्षाओं में एक साथ उत्कृष्टता प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं।
लक्ष्य और भविष्य की राह – डॉक्टर बनकर समाज सेवा
जब शिवम से उनके भविष्य के लक्ष्य के बारे में पूछा जाता है, तो उनकी आँखों में एक अलग चमक होती है। उनका सपना केवल एक सफल डॉक्टर बनना नहीं, बल्कि एक ऐसा डॉक्टर बनना है जो समाज की सेवा कर सके, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में। अपने गांव और आसपास के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियों को उन्होंने करीब से देखा है। वह उस खाई को पाटना चाहते हैं जो शहरों और गांवों की स्वास्थ्य सुविधाओं के बीच मौजूद है। उनका लक्ष्य देश के एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज से MBBS की डिग्री हासिल कर अपनी जड़ों की ओर लौटना और उन लोगों की सेवा करना है जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।
एक व्यक्ति, एक मिसाल
गांव खरक पांडवां में आज जश्न का माहौल है। हर कोई अपने ‘गांव के बेटे’ की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहा है। शिवम सहारण की कहानी केवल एक सफलता की कहानी नहीं है, यह कई मायनों में एक मिसाल है:
यह आत्मविश्वास की मिसाल है: उन्होंने साबित किया कि अगर खुद पर यकीन हो तो किसी सहारे की जरूरत नहीं पड़ती।
यह ग्रामीण प्रतिभा की मिसाल है: उन्होंने दिखाया कि प्रतिभा किसी शहर या सुविधा की मोहताज नहीं होती।
यह परिवार की ताकत की मिसाल है: उन्होंने दर्शाया कि सही पारिवारिक माहौल और मार्गदर्शन किसी भी कोचिंग से बढ़कर है।
यह कोचिंग उद्योग के लिए एक आईना है: यह कहानी उस महंगे कोचिंग कल्चर पर एक सवालिया निशान लगाती है, जो सफलता का एकमात्र मार्ग होने का दावा करता है। शिवम सहारण आज उन लाखों छात्रों के लिए एक ध्रुव तारा बन गए हैं जो सीमित संसाधनों के साथ बड़े सपने देखते हैं। उनकी यात्रा यह संदेश देती है कि सफलता का राजमार्ग भव्य इमारतों और महंगे विज्ञापनों से नहीं, बल्कि आपके अपने घर के एक शांत कमरे में, किताबों के बीच, दृढ़ संकल्प और अथक परिश्रम से होकर गुजरता है। यह एक ऐसी विजय-गाथा है, जिसे आने वाले कई वर्षों तक दोहराया जाएगा।