इजराइल का ईरानी परमाणु ठिकानों पर दोबारा हमला: जवाब में ईरान ने 150 मिसाइलें दागीं; 2 इजराइलियों की मौत, 63 से ज्यादा घायल

तेहरान/तेल अबीब : मध्य पूर्व का आकाश दशकों से तनाव के बादलों से घिरा रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में ईरान और इजरायल के बीच की दुश्मनी ने इसे एक ऐसे ज्वालामुखी के मुहाने पर ला खड़ा किया है जो कभी भी फट सकता है। अपनी वर्षों की तैयारी को अंजाम देते हुए इजरायल ने शुक्रवार तड़के ईरान पर बड़ा हवाई हमला कर दिया। हमले में इजरायल के 200 विमानों ने ईरान के करीब 100 ठिकानों को निशाना बनाया। हमले में ईरान के परमाणु प्रतिष्ठान और सैन्य ठिकाने इजरायल के निशाने पर रहे। इन हमलों में ईरान के करीब 20 बड़े सैन्य अधिकारी और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं। केवल तेहरान में 78 लोगों के मारे जाने की सूचना है। मारे गए लोगों में ईरान की इलीट फोर्स इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कार्प्स के प्रमुख मेजर जनरल हुसैन सलामी और एयरोस्पेस फोर्स के प्रमुख आमिर अली हाजीजादेह शामिल हैं।

सबसे बड़ी बात यह रही कि हमले से पहले इजरायल के खुफिया संगठन मोसाद ने ईरान के ही किसी गुप्त ठिकाने से कम ऊंचाई वाले ड्रोन छोड़कर उनके हमले से ईरान के डिफेंस सिस्टम और मिसाइल लांचिंग सिस्टम को ध्वस्त कर दिया। इसके चलते इजरायली विमानों को हमलों के लिए ईरान का खुला आकाश मिल गया।

ईरान ने दावा किया है कि उसकी दर्जनों मिसाइलों ने इजराइली शहरों को नुकसान पहुंचाया है।

ईरान ने 150 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं

हमले के बाद ईरान ने करीब 100 ड्रोन से जवाबी हमला किया। लेकिन उसके सभी ड्रोन इजरायली डिफेंस सिस्टम ने देश की सीमा में प्रवेश से पहले ही आकाश में नष्ट कर दिए। कुछ घंटों बाद इजरायल ने अपने नागरिकों को राहत देते हुए उन्हें भूमिगत ठिकानों से निकलकर कामकाज करने की छूट दे दी। इजराइल ने लगातार दूसरे दिन ईरान पर एयरस्ट्राइक की। इजराइली फाइटर जेट्स ने शुक्रवार देर रात ईरान के परमाणु ठिकानों को दोबारा निशाना बनाया। जवाब में ईरान ने 150 बैलिस्टिक मिसाइलें इजराइल की ओर दागीं। इनमें से 6 मिसाइलें राजधानी तेल अवीव में गिरीं, जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई। वहीं, 63 लोग घायल हो गए।

इजराइल की राजधानी तेल अवीव में ईरानी बैलिस्टिक मिसाइल से तबाह हुई इमारत।

इजरायली हमले का खतरा बढ़ा

 

1980 से शुरू होकर 1988 तक चले इराक से युद्ध के बाद ईरान के लिए यह पहला मौका है जब उसे किसी देश से इतना बड़ा हमला झेलना पड़ा है। परमाणु बम बनाने के करीब पहुंच रहे ईरान के लिए दिन प्रति दिन इजरायली हमले का खतरा बढ़ रहा था लेकिन यह हमला इतना भीषण होगा यह उम्मीद ईरानी नेतृत्व को बिल्कुल नहीं थी। राजधानी तेहरान के निवासियों की नींद इजरायली हमलों के धमाकों की आवाज से टूटी। आंख खुली तो उन्होंने चहुंओर धमाके-आग-धुंआ देखा और सुना। इजरायल ने हमले में तेहरान, नतांज, इस्फहान, अराक, तबरीज और करमानशाह में स्थित परमाणु प्रतिष्ठानों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है। क्षेत्र में फिलहाल विकिरण फैलने की सूचना नहीं है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि ईरान ने अपना परमाणु कार्यक्रम न रोका तो इस तरह के हमले जारी रहेंगे।

इजरायल के पहले ही हमले में ईरान का डिफेंस सिस्टम ध्वस्त हो गया और उसकी जवाबी हमले की ताकत भी काफी कम हो गई जबकि महज कुछ घंटे पहले ईरानी नेतृत्व ने हमलावर को मुंहतोड़ जवाब देने की हुंकार भरी थी। ताजा हमले के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने इजरायल को कड़े दंड की चेतावनी दी है, साथ ही अमेरिका को जिम्मेदार बताते हुए दुष्परिणामों से आगाह किया है। क्षेत्रीय देशों ने इजरायली हमले की निंदा की है लेकिन विश्व भर के नेताओं ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। इजरायली सेना ने कहा है कि उसके करीब 200 लड़ाकू विमानों ने इजरायल के करीब 100 ठिकानों को निशाना बनाया। इस दौरान मोसाद के ड्रोन हमले की भूमिका की भी सराहना की है।

समझौता न किया तो और भयावह हमला होगा : ट्रंप

 

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उन्होंने परमाणु समझौता करने के लिए ईरान को 60 का समय दिया था, आज 61 वां दिन था और इजरायल ने उस पर हमला कर दिया। अब ईरान को समझौता करने के लिए दूसरा मौका दे रहा हूं, वह इसका लाभ उठाए। क्योंकि इजरायल का दूसरा हमला और ज्यादा भयावह होगा। अमेरिका के मध्य पूर्व में कई सैन्य अड्डे हैं, जो ईरानी मिसाइलों का निशाना बन सकते हैं। अमेरिकी नौसेना को फारस की खाड़ी में हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।

रूस ने कहा, इजरायल का हमला अवैध

 

ईरान के रणनीतिक साझीदार रूस ने ईरान पर इजरायल के हमले को उकसावे वाला और अवैध बताया है। रूस ईरान के शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए चल रहे परमाणु कार्यक्रम में सहयोग कर रहा है। रूस ने दोनों पक्षों से संयम बरतने का अनुरोध किया है, साथ ही अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते के लिए चल रही वार्ता में सहयोग करने का प्रस्ताव भी किया है। रूस और चीन राजनयिक रूप से ईरान का समर्थन करेंगे। वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इज़रायल की निंदा करने वाले प्रस्ताव लाएंगे। वे ईरान को खुफिया और संभवतः कुछ सैन्य सहायता भी प्रदान कर सकते हैं।

अरब देश: सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे सुन्नी अरब देश ईरान को एक बड़े खतरे के रूप में देखते हैं। वे सार्वजनिक रूप से इज़रायली हमले की निंदा कर सकते हैं, लेकिन निजी तौर पर वे ईरान की सैन्य क्षमता को कमजोर होते देखना चाहेंगे। हालांकि संघर्ष के फैलने से उनकी अपनी अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को भी गंभीर खतरा होगा।

इजरायल ने विश्व भर के दूतावासों में काम रोका

 

ईरान पर हमले के बाद इजरायल ने विश्व भर के अपने दूतावासों में काम बंद करने की घोषणा की है। साथ ही सभी इजरायली नागरिकों से कहा है कि वे अपनी यहूदी पहचान और इजरायल से जुड़े चिह्नों को सार्वजनिक न करें, यह उनके लिए खतरनाक हो सकता है। स्पष्ट किया है कि इजरायली नागरिकों को दूतावास से फिलहाल कोई सुविधा नहीं मिल पाएगी। इसलिए जरूरत पड़ने पर वे संबंधित देश की पुलिस से संपर्क करें।

 

 

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