कर्नाटक का कोई बकाया नहीं, निर्मला सीतारमण ने दिखाया आंकड़ों का आईना
नई दिल्ली, BNM News : केंद्र सरकार पर अनुदान और करों की हिस्सेदारी में भेदभाव का जो आरोप कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने लगाया है, उसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सिरे से खारिज कर दिया। इसे अलगाववादी राजनीतिक सोच से प्रेरित दुष्प्रचार बताते हुए उन्होंने राज्य सरकार को आंकड़ों का आईना भी दिखाया। संप्रग कार्यकाल से राजग कार्यकाल की तुलना करते हुए उन्होंने दावा किया कि इन 10 वर्षों में कर्नाटक को कई गुना अधिक अनुदान और टैक्स में हिस्सेदारी के रूप में पैसा मिला है। केंद्र पर बकाया होने के आरोप को उन्होंने बिल्कुल झूठ बताया।
पांच वर्ष में कर्नाटक कुल 1,74,339 करोड़ रुपये प्राप्त कर लेगा
नई दिल्ली में कर्नाटक सरकार के प्रदर्शन के बाद वित्त मंत्री सीतारमण ने पत्रकारों से बातचीत में स्पष्ट किया कि केंद्रीय राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी वित्त आयोगों की सिफारिशों और अन्य बिंदुओं पर निर्भर करती है। उन्होंने बताया कि 14वें वित्त आयोग के पांच वर्षीय काल (2015-16 से 2019-20) में कर्नाटक को टैक्स में हिस्सेदारी के रूप में 1,51,309 करोड़ रुपये दिए गए। वहीं, वर्तमान 15वें वित्त आयोग के शुरुआती चार वर्षों में 1,29,854 करोड़ रुपये दिए गए हैं। अंतरिम बजट में 44,485 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इस तरह पांच वर्ष में कर्नाटक कुल 1,74,339 करोड़ रुपये प्राप्त कर लेगा।
कर्नाटक सरकार के आरोपों का किया बिंदुवार खंडन
उन्होंने कहा कि यह 14वें वित्त आयोग की तुलना में भी यह अधिक है, जबकि सरकार को कोविड के दौरान राजस्व का नुकसान हुआ। कर्नाटक सरकार के आरोपों का बिंदुवार खंडन करते हुए वित्त मंत्री ने प्रश्न उठाया कि भेदभाव का आरोप लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण तथ्य सिद्दरमैया सरकार ने क्यों नजरअंदाज कर दिया? उन्होंने दावा किया कि 15वें वित्त आयोग की संस्तुति के आधार पर ही कर्नाटक को राजस्व घाटा अनुदान के रूप में 1,631 करोड़ रुपये दिए गए। केरल को भी इस मद में अनुदान दिया गया, जबकि भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात सहित बिहार को राजस्व घाटा अनुदान नहीं मिला। ऐसे में राज्यों के साथ भेदभाव के आरोप पूर्णत: निराधार हैं। इतना ही नहीं, 2014 से पहले रही केंद्र सरकारों के दौरान राज्यों की 81,470 करोड़ रुपये की राशि बकाया थी। कर्नाटक का 1996 से बकाया चल रहा था, उसका भुगतान करते हुए मोदी सरकार ने मार्च, 2022 में 2,671 करोड़ रुपये दिए।
UPA कार्यकाल की तुलना में कई गुना अधिक दी करों में हिस्सेदारी और अनुदान
तुलनात्मक आंकड़ों के साथ कांग्रेस को आईना दिखाते हुए निर्मला सीतारमण ने दावा किया कि कर्नाटक को 2004 से 2014 के बीच टैक्स की हिस्सेदारी के रूप में 81,795.19 करोड़ रुपये, अनुदान के रूप में 60,779.84 करोड़ रुपये मिले। वहीं, भाजपा सरकार के कार्यकाल में 2014 से 2024 में 10 जनवरी तक कर हिस्सेदारी के मद में 2,85,452 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2022-23 में अनुदान के रूप में 2,08,832.02 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इसे कांग्रेस की अलगाववादी सोच बताते हुए वित्त मंत्री ने याद दिलाया कि किस तरह राहुल गांधी ने जेएनयू पहुंचकर टुकड़े-टुकड़े गैंग का समर्थन किया था।
भाजपा मुख्यालय में साझा प्रेसवार्ता करते हुए सांसद तेजस्वी सूर्या, प्रताप सिम्हा और उमेश जाधव ने भी कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के आरोपों को सिरे से नकारा। साथ ही इसे संविधान और राष्ट्र के विरुद्ध गैरजिम्मेदाराना बताया। भाजपा की ओर से आरोप लगाया गया कि विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए वादे पूरे नहीं कर पाने की वजह से राज्य सरकार ध्यान भटकाने के लिए यह सब कर रही है।