निशांत को मिला 2023 का देवीशंकर अवस्थी सम्मान; ‘कविता पाठक आलोचना’ के लिए किया गया पुरस्कृत

नई दिल्ली, बीएएम न्यूज: वर्ष 2023 का देवीशंकर अवस्थी सम्मान (Devishankar Awasthi Award) युवा आलोचक निशांत को उनकी आलोचना पुस्तक ‘कविता पाठक आलोचना’ के लिए शुक्रवार को प्रदान किया गया। देवीशंकर अवस्थी के जन्मदिवस के मौके पर साहित्य अकादमी सभागार में हुए समारोह में कथाकार मृदुला गर्ग ने प्रशस्तिपत्र, स्मृति चिह्न और 25 हजार रुपये की राशि प्रदान कर निशांत को सम्मानित किया।

हजारीप्रसाद द्विवेदी को बताया अपना आदर्श

पुरस्कार लेने के बाद निशांत ने कहा कि सम्मान ग्रहण करके मैं कृतज्ञता और भार महसूस कर रहा हूं। उन्होंने हजारीप्रसाद द्विवेदी को अपना आदर्श बताते हुए कहा कि कविता से लेकर गद्य तक भाषा की सहजता को अपनाने की कोशिश कर रहा हूं। इस अवसर पर आयोजित ‘आलोचना और पाठक’ विषयक विचार गोष्ठी में मृदुला गर्ग, देवी प्रसाद मिश्र, आशुतोष कुमार और रश्मि रावत ने व्याख्यान दिए।

कठोर सत्य से टकराना ही हमारी जिम्मेदारी

मृदुला गर्ग ने कहा कि आज का समय कोलाहल का समय है, विवेक, नैतिकता, स्वतंत्रता, स्वायत्ता, दूसरे की मुक्ति में दिलचस्पी, वो सब अब खत्म हो चुकी है। कोलाहल है कि किसी तरह पूंजी के सहारे और ताकत के सहारे हम आगे बढ़ते जाएं। आज विज्ञापन आपका विवेक निर्धारण कर रहा है। आज के कठोर सत्य से टकराना ही हमारी जिम्मेदारी होनी चाहिए। उन्होंन कहा कि पाठक एक अलग शय होता है। उस पर आलोचक और रचनाकार दोनों काबिज होना चाहता है। पाठक स्वतंत्र आलोचक होता है, उसकी आलोचकीय दृष्टि ज्यादा मानीखेज होती है। रचनाकार के लिए आलोचक ज़रूरी नहीं है, लेकिन आलोचक के लिए रचनाकार ही ज़रूरी है। आलोचना के पीछे न भागकर रचना के पीछे भागें, वो आपकी सबसे अच्छी रचना होगी।

आलोचना को भोथरा बनाने की क़वायद

रश्मि रावत ने कहा कि आज आलोचना को भोथरा बनाने की क़वायद बाहर और साहित्य के भीतर, दोनों जगह पर चल रही है। प्रगतिशील मूल्यों को वहन करने वाली सृजनधर्मी आलोचना ही असल आलोचना है। हर आलोचक एक पाठक होता है और हर पाठक एक आलोचक होता है।

साहित्य ही राजनीति का असल प्रतिपक्ष

समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि-आलोचक अशोक वाजपेयी ने कहा कि अत्याचार, बलात्कार, झूठ का कोलाहल इतने माध्यमों से हमने कभी नहीं सुना। स्वविवेक को अप्रासंगिक कर दिया गया है। आज लेखक को खुद पर संदेह करना चाहिए कि समाज से स्वीकृति कहां चली गयी है। साहित्य ही राजनीति का असल प्रतिपक्ष है। आलोचना की जरूरत को रेखांकित करना आज की जरूरत है।

कार्यक्रम में दिल्ली स्थित विभिन्न विश्वविद्यालयों के अध्यापक व छात्रों सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार एवं संस्कृति प्रेमी उपस्थित थे। देवीशंकर अवस्थी के पुत्र अनुराग अवस्थी ने कार्यक्रम में सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन युवा आलोचक वैभव सिंह ने किया। बता दें कि आलोचना के क्षेत्र में दिया जाने वाला यह पुरस्कार सुप्रसिद्ध आलोचक स्वर्गीय देवीशंकर अवस्थी की स्मृति में उनकी धर्मपत्नी कमलेश अवस्थी ने वर्ष 1995 में स्थापित किया था। अब तक 28 कथाकारों, आलोचकों और साहित्यकारों को यह पुरस्कार दिया जा चुका है।

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Tag- Nishant, Devishankar Awasthi Award, Kavita Pathak Alochana

 

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