कैथल में पालिका सचिव और एसडीओ-जेई को नोटिस:डीसी को ड्रेनों की सफाई में मिली कमी, बोली-जल्द दें कार्यों की रिपोर्ट

ड्रेन का निरीक्षण करते हुए डीसी प्रीति व अन्य अधिकारी।

नरेंद्र सहारण, कैथल : Kaithal News : हरियाणा के कैथल जिले में मानसून की तैयारियों और बाढ़ नियंत्रण की व्यवस्था पर लगातार ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। जिले की प्रमुख नदियों, ड्रेनों और जल निकासी तंत्र की समय-समय पर समीक्षा आवश्यक है ताकि बारिश के मौसम में जलभराव और बाढ़ की स्थिति से निपटा जा सके। इसी क्रम में, जिला उपायुक्त प्रीति ने जिले के गुहला-चीका व सीवन क्षेत्र में शाम के समय बाढ़ से बचाव और जल प्रबंधन से संबंधित कार्यों का निरीक्षण किया।

यह निरीक्षण विशेष रूप से बारिश से पहले की सफाई व्यवस्था, ड्रेनों की स्थिति, अवैध अवरोधकों का हटाया जाना और बाढ़ राहत कार्यों की प्रगति पर केंद्रित था। निरीक्षण के दौरान, यदि कहीं भी कार्य संतोषजनक नहीं पाए गए, तो संबंधित अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने और आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए।

इस रिपोर्ट में हम इस निरीक्षण का विस्तृत विवरण, अधिकारियों को दिए गए निर्देश, निरीक्षण के दौरान प्राप्त जानकारी, कार्य की स्थिति, और आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे। साथ ही, जल प्रबंधन और बाढ़ से सुरक्षा के लिए जरूरी उपायों का विश्लेषण भी प्रस्तुत किया जाएगा।

निरीक्षण का चरणबद्ध विवरण और कार्यवाही

डीसी प्रीति ने अपने निरीक्षण की शुरुआत गांव पोलड़ स्थित सरस्वती ड्रेन से की। इस दौरान उन्होंने ड्रेन की सफाई, गाद निकासी और जल निकासी व्यवस्था का जायजा लिया। यहां उन्होंने सिंचाई विभाग के एक्सईएन को आवश्यक निर्देश दिए कि ड्रेन की सफाई को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। ड्रेन की सफाई का उद्देश्य है कि मानसून के दौरान जल का प्रवाह बाधित न हो और जलभराव की समस्या न आए। यदि सफाई ठीक से नहीं हुई, तो बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए यह कार्य प्राथमिकता से पूरा किया जाना चाहिए।

गांव रसूलपुर और ड्रेन का निरीक्षण

इसके बाद, उन्होंने गांव रसूलपुर के निकट जाकर ड्रेन का निरीक्षण किया। यहां उन्होंने गहराई से निरीक्षण कर, जलकुंभी और गंदगी का जायजा लिया। जलकुंभी का हटाना आवश्यक है क्योंकि यह जल प्रवाह को बाधित करता है और जलभराव का कारण बन सकता है। यहां,उन्होंने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि जलकुंभी की सफाई तुरंत कराई जाए। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए कि ड्रेन में किसी भी तरह के अवरोध न हों।

ओल्ड घग्गर ड्रेन का निरीक्षण और कारण बताओ नोटिस

 

डीसी ने जिला क्षेत्र में स्थित ओल्ड घग्गर ड्रेन का निरीक्षण किया। यह ड्रेन खासतौर पर बाढ़ नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण है। निरीक्षण के दौरान पता चला कि इस ड्रेन की सफाई अपेक्षा के अनुरूप नहीं है। संतोषजनक कार्य न होने पर उन्होंने नगर पालिका सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी करने के आदेश दिए। साथ ही, शीघ्र ही इस ड्रेन की सफाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

हांसी-बुटाना नहर और घग्गर नदी का निरीक्षण

 

इसके अलावा उन्होंने हांसी-बुटाना नहर पर सिंचाई विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों का निरीक्षण किया। यह नहर जल निकासी और बाढ़ नियंत्रण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। निरीक्षण के दौरान, विभाग के अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए कि कार्य गुणवत्ता और समयबद्धता से पूरा किया जाए।

साथ ही, उन्होंने घग्गर नदी के पुल से जलधार का निरीक्षण किया और घग्गर के जलस्तर, जल प्रवाह और नदी किनारे की स्थिति का जायजा लिया। यह जानकारी बाढ़ के खतरे का आंकलन करने में सहायक है।

संतोषजनक नहीं पाए गए कार्य, कार्रवाई और निर्देश

डीसी ने गांव ककराला के निकट स्थित ककराला अनायत और पपराला ड्रेनों का निरीक्षण किया। इन दोनों ड्रेनों में सफाई कार्य अपेक्षा के अनुरूप नहीं पाया गया। सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि इन ड्रेनों की सफाई जल्द से जल्द पूरी करें। खासतौर पर, इन ड्रेन में पाइप और अवरोधक पड़े होने के कारण जल प्रवाह बाधित हो रहा है, जो बाढ़ का खतरा बढ़ा सकता है।

अवरोधक हटाने का आदेश

 

डीसी ने निरीक्षण के दौरान देखा कि ड्रेन के बीच में पाइप और अवरोधक पड़े हैं, जो जल प्रवाह में बाधा डाल रहे हैं। इन अवरोधकों को तत्काल हटाने के निर्देश दिए गए।  उनका मानना है कि यदि इन अवरोधकों को नहीं हटाया गया, तो पानी का प्रवाह बाधित रहेगा और जलभराव व बाढ़ की स्थिति बन सकती है।

अवैध पाइप डाले गए अवरोध

निरीक्षण के दौरान यह भी पाया गया कि कुछ लोगों ने अवैध रूप से पाइप डालकर ड्रेन में अवरोधक बनाए हैं। इन अवरोधकों को हटाने के लिए, संबंधित विभाग को कहा गया कि वे अवैध पाइप की पहचान करें और उन्हें तुरंत हटा दें। यह कदम जल निकासी प्रणाली को मजबूत बनाने और बाढ़ से सुरक्षा के लिए आवश्यक है।

बाढ़ राहत और जल निकासी का समुचित प्रबंधन

 

डीसी प्रीति का मुख्य उद्देश्य था कि मानसून से पहले, जिले की जल निकासी व्यवस्था को मजबूत किया जाए। इसके लिए, उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सफाई कार्य, अवरोधक हटाने और जल प्रवाह सुनिश्चित करने वाले कार्यों पर विशेष ध्यान दिया जाए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि कहीं भी कार्य में लापरवाही दिखाई दे, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

तालमेल और समन्वय से कार्य पूर्णता

डीसी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि, मनरेगा से कटाई-छंटाई और सफाई कार्य में पूर्ण तालमेल बनाए रखें। यदि मनरेगा श्रमिकों की आवश्यकता हो, तो जिला परिषद व सिंचाई विभाग के बीच समन्वय कर आवश्यक संख्या में श्रमिक उपलब्ध कराए जाएं। सभी विभागों को कहा गया कि, अवैध अवरोधक हटाने, जलकुंभी साफ करने और ड्रेन की सफाई के कार्य को प्राथमिकता दें।

आगामी कदम और रिपोर्टिंग

 

डीसी ने स्पष्ट किया कि, जहां भी कार्य संतोषजनक नहीं पाया जाएगा, वहां स्वयं निरीक्षण किया जाएगा। जल्द ही, संबंधित अधिकारियों को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। रिपोर्ट में कार्य की प्रगति, कार्य में हुई देरी, और अवशेष कार्य की जानकारी होगी। यदि कार्य में कोई लापरवाही पाई गई, तो संबंधित अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

सड़क मार्ग और वन विभाग के कार्य

 

इसके अतिरिक्त, डीसी ने कैथल-चीका रोड पर झुक गई टहनियों की सफाई के लिए लोक निर्माण विभाग और वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए। जल मार्ग पर साफ-सफाई से जल प्रवाह बढ़ेगा और जलभराव की समस्या कम होगी।

जल प्रबंधन और बाढ़ से सुरक्षा के लिए सुझाए गए उपाय

सभी ड्रेनों, नालियों और जल निकासी तंत्र की समय-समय पर सफाई आवश्यक है। अवैध अवरोधकों का तुरंत हटाया जाना चाहिए। सभी जल मार्गों का नियमित निरीक्षण और सफाई सुनिश्चित करें ताकि मानसून में जलभराव और बाढ़ से बचा जा सके।

अवैध निर्माण और पाइपलाइन का विरोध

अवैध रूप से पाइप डालकर बनाए गए अवरोधक और निर्माण को तुरंत हटाया जाए। इसके लिए, संबंधित विभाग को विशेष कार्रवाई करनी चाहिए।

तालमेल और समन्वय

सिंचाई, वन विभाग, नगर पालिका, और जिला परिषद के बीच बेहतर तालमेल और समन्वय से कार्य गति तेज हो सकती है। सभी विभागों को निर्देश दिया गया कि, आपस में संपर्क बनाकर, आवश्यक श्रमिक, उपकरण और संसाधनों की व्यवस्था सुनिश्चित करें।

जनता की भागीदारी और जागरूकता

स्थानीय जनता को भी जागरूक किया जाना चाहिए कि, जल निकासी के कार्यों में सहयोग करें और अवैध पाइप और निर्माण से बचें।

बाढ़ से सुरक्षा और जीवनयापन

 

सही समय पर की गई सफाई और जल निकासी कार्य से, जिला बाढ़ से सुरक्षित रहेगा। जलभराव और बाढ़ की स्थिति में जनजीवन प्रभावित नहीं होगा।

आर्थिक लाभ और विकास की दिशा

जल प्रबंधन सही होने से कृषि और उद्योग दोनों को लाभ होगा। जल संकट से निपटने में सफलता, क्षेत्र के विकास को नई गति दे सकती है।

पर्यावरण संरक्षण

जल संरक्षण और सफाई से, नदियों और जल स्रोतों का संरक्षण संभव है। जल प्रदूषण में कमी आएगी और पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा।

निष्कर्ष और सुझाव

यह निरीक्षण दर्शाता है कि जल प्रबंधन और बाढ़ नियंत्रण के कार्यों की समीक्षा अत्यंत आवश्यक है। यदि समय पर आवश्यक कदम नहीं उठाए गए, तो जलभराव और बाढ़ की स्थिति गंभीर हो सकती है। सभी विभागों को चाहिए कि, निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर, कार्य की गुणवत्ता का मूल्यांकन करें, और लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें। साथ ही, जनता को भी जागरूक करना चाहिए कि, जल स्रोतों का संरक्षण करें, अवैध पाइपलाइन से बचें, और जल निकासी तंत्र की सफाई में सहयोग दें।

अंत में

 

कैथल जिले में बाढ़ से सुरक्षा और जल प्रबंधन के लिए किए गए इस निरीक्षण का उद्देश्य था कि मानसून के पूर्व, जल निकासी व्यवस्था को मजबूत किया जाए। इससे न केवल बाढ़ का खतरा कम होगा, बल्कि जलस्रोतों का संरक्षण भी संभव होगा।

सभी संबंधित विभाग और अधिकारी मिलकर, इस दिशा में कार्य करें, ताकि जिले का वातावरण सुरक्षित और स्वच्छ बना रहे। जल संरक्षण, सफाई और बाढ़ से सुरक्षा का यह प्रयास, क्षेत्र के सतत विकास का आधार बन सकता है।

 

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