गुलाम जम्मू-कश्मीर में विरोध प्रदर्शनों पर एस जयशंकर ने कहा, PoK का भारत में होगा विलय
नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज : पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम जम्मू-कश्मीर (Pok) में पाकिस्तान के खिलाफ जारी हिंसक प्रदर्शनों के बीच विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने जल्द ही गुलाम जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय होने का दावा किया है। रोजमर्रा की जरूरतों के लिए तरसने को मजबूर और पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के खिलाफ गुलाम जम्मू-कश्मीर के लोग पिछले चार दिनों से हिंसक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और पाकिस्तान से आजादी और भारत में शामिल होने के लिए नारे लगा रहे हैं। गुलाम जम्मू-कश्मीर में विरोध प्रदर्शनों पर भारत की ओर से यह पहली उच्च स्तर प्रतिक्रिया है।
पीओजेके (PoJK) पाकिस्तान की गुलामी से मुक्त होगा
मुंबई में सोमवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने गुलाम जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों का जिक्र किया। उन्होंने पीओजेके को लेकर भारत की स्थिति साफ करते हुए कहा कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे से छुटकारा दिलाकर उसका भारत में विलय कर दिया जाना चाहिए। पीओजेके (PoJK) भारत का अभिन्न हिस्सा था, हमेशा रहा है और भविष्य में भी रहेगा। उन्होंने इस संदर्भ में संसद में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव का भी उल्लेख किया। हालांकि जयशंकर ने गुलाम जम्मू-कश्मीर के लोगों को पाकिस्तानी अत्याचार से मुक्त कराने के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा मगर यह जरूर साफ कर दिया कि निश्चित रूप से एक दिन यह क्षेत्र पाकिस्तान की गुलामी से मुक्त होगा और भारत का हिस्सा बनेगा। विपक्ष के रवैये की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष इस विषय में उलटी दिशा में चल रहा है। फारुख अब्दुल्ला और मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान के एटम बम का डर दिखाकर गुलाम जम्मू-कश्मीर को लेकर कोई बात नहीं करने की सलाह दे रहे हैं। जबकि भाजपा और मोदी सरकार गुलाम जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा मानती है और इसे वापस लेने के लिए प्रतिबद्ध है।
‘चीन ने 1958 व 1962 में कब्जा ली थी जमीन’
विदेश मंत्री ने चीन के मुद्दे पर कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा कि यह पार्टी भूतकाल में किए अपने कृत्यों में कोई दोष नहीं मानती है। कांग्रेस पार्टी 1949 में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की गलतियों और 1963 में तत्कालीन पाकिस्तानी पीएम जुल्फकार अली भुट्टो के सैन्य हमले के लिए मोदी को जिम्मेदार ठहरा रही है। लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन से संघर्ष पर विदेश मंत्री ने कहा कि भारतीय जमीन को चीन ने अपने कब्जे में वर्ष 1958 और 1962 में ले लिया था। इनमें से कुछ पर तो 1958 से पहले ही कब्जा कर लिया था। उन्होंने राहुल गांधी पर प्रहार करते हुए कहा कि अपनी ही सेनाओं पर गोलियां चलवा देना ‘बहुत-बहुत दुखद’ है। जब आप कहते हैं कि चीन ने जमीन ले ली, तो वह 1962 में ही गंवा दी थी। इस संबंध में देश को गुमराह करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि चीन की चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत ने सीमा पर रिकार्ड तादाद में भारतीय सेना तैनात की है।
चाबहार से बड़े निवेशों का रास्ता खुलेगा
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के ईरान रवाना होने के साथ विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि चाबहार बंदरगाह समझौता भारत और ईरान के बीच हो जाने की संभावना है। इससे मध्य में एशिया से भारत को जोड़ा जा सकेगा और भारत और ईरान के लिए बड़े निवेशों का रास्ता खुलेगा। चाबहार पर भारत और ईरान के बीच दीर्घकालिक समझौता होने पर भारत इसे एडहाक व्यवस्था के तहत अनौपचारिक रूप से संचालित करेगा। यह अस्थाई व्यवस्था भारत की किसी समस्या के कारण नहीं, बल्कि ईरानी पक्ष से साझेदारी की समस्याएं होना है।
भारत अतिरिक्त परमाणु साइटें देख रहा
जयशंकर ने बताया कि रूसी परमाणु रिएक्टर के लिए भारत अतिरिक्त साइटों को देख रहा है। जबकि फ्रांस की सरकार से प्रस्तावित जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर विचार-विमर्श चल रहा है। अभी तक अन्य देशों से परमाणु समझौते को लेकर ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई है जैसी कि उम्मीद की जा रही थी। सिविल लाइबेलिटी फार न्यूक्लीयर डैमेज एक्ट, 2010 के तहत विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से विभिन्न पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श किया जा रहा है। इससे कुछ देशों से बातचीत में समय लग रहा है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ से एफटीए पर समझौते में सबसे अधिक मुश्किलें आ रही हैं, क्योंकि इसमें बहुत से गैर व्यापारिक मुद्दे भी शामिल हैं।
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