पहलगाम आतंकी हमला : ISI और लश्कर की गहरी साजिश का पर्दाफाश, जैश और पाक सेना की मिलीभगत के संकेत

नई दिल्ली/ श्रीनगर, बीएमएम न्यूज : Pahalgam Terror Attack: पहलगाम में हुए बर्बर नरसंहार की जांच में सुरक्षा एजेंसियों को चौंकाने वाले और चिंताजनक सुबूत मिले हैं। इन सुबूतों से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की इस कायराना हमले में सीधी संलिप्तता उजागर हुई है। जांच एजेंसियों को प्राप्त डिजिटल साक्ष्यों ने इस हमले में लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे अन्य आतंकी संगठनों के साथ-साथ पाकिस्तानी सेना की मिलीभगत की ओर भी स्पष्ट इशारा किया है।
साजिश की जड़ें
जांच में यह भी सामने आया है कि पहलगाम में पर्यटकों पर हमला करने वाले आतंकवादियों और उनके स्थानीय मददगारों (ओवरग्राउंड वर्कर्स) के बीच सीमा पार बैठे उनके हैंडलरों से लगातार बातचीत होती रही थी। इन संचारों से यह स्पष्ट होता है कि इस नरसंहार की साजिश की जड़ें पाकिस्तान में काफी गहरी थीं और इसे वहां से संचालित किया जा रहा था।
जिंदा पकड़ने का हर संभव
अधिकारियों ने इस संवेदनशील जांच के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यही मुख्य कारण है कि सुरक्षा एजेंसियां हमलावर आतंकवादियों को जिंदा पकड़ने का हर संभव प्रयास कर रही हैं। उनका मानना है कि आतंकवादियों को जिंदा पकड़ने से पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूरी तरह से बेनकाब किया जा सकेगा, जैसा कि मुंबई में हुए 26/11 के आतंकी हमले में अजमल कसाब के पकड़े जाने के बाद हुआ था। कसाब की गिरफ्तारी ने उस हमले की पूरी साजिश और पाकिस्तान की भूमिका को दुनिया के सामने ला दिया था। इसी रणनीति के तहत पहलगाम ऑपरेशन में थोड़ा अधिक समय लग रहा है, ताकि किसी भी चूक की गुंजाइश न रहे।
सनसनीखेज खुलासा
जांच में यह भी सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि आतंकी हमले से ठीक पहले और उसके बाद भी, हमलावर गुलाम जम्मू-कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के साथ लगातार संपर्क में थे। इन संचारों के माध्यम से उन्हें निर्देश मिलते रहे और हमले के बाद की स्थितियों पर भी चर्चा होती रही। जांच एजेंसियों को यह भी जानकारी मिली है कि हमले में इस्तेमाल किए गए हथियार पहलगाम की बेताब घाटी या उसके आसपास किसी विशेष गुप्त स्थान पर पहले से ही छिपा कर रखे गए थे। इसके अतिरिक्त, आतंकवादियों ने हमले के बाद घटनास्थल से भागने के सभी संभावित रास्तों की भी पहले से ही रेकी कर ली थी, ताकि वे सुरक्षा बलों की पकड़ में न आ सकें।
संदिग्ध तत्वों की विस्तृत सूची
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस मामले में कुछ संदिग्ध ओवरग्राउंड वर्कर्स और अन्य संदिग्ध तत्वों की एक विस्तृत सूची भी तैयार कर ली है। इन संदिग्धों पर जल्द ही कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी, ताकि इस साजिश में उनकी भूमिका और नेटवर्क का पता लगाया जा सके। एनआईए की एक विशेष टीम ने फोरेंसिक विशेषज्ञों के साथ मिलकर घटनास्थल से महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक डेटा भी जुटाया है, जिसका विश्लेषण किया जा रहा है ताकि साजिश की परतों को और गहराई से समझा जा सके।
महत्वपूर्ण जानकारी मिलने की उम्मीद
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, पहलगाम के बैसरन में हुए इस जघन्य हमले के षड्यंत्र को पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद की सीधी निगरानी में अंतिम रूप दिया गया था। माना जा रहा है कि सईद ने ही इस हमले की योजना बनाई और अपने मातहतों को इसे अंजाम देने के निर्देश दिए। इसके अलावा, हमलावर आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए गए सैटेलाइट फोन के विवरण को जुटाने के लिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियां विदेशी विशेषज्ञों की भी मदद ले रही हैं। सैटेलाइट फोन के डेटा से आतंकवादियों के संचार नेटवर्क और उनके विदेशी आकाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलने की उम्मीद है।
25 से 30 किमी के दायरे में छिपे हो सकते हैं आतंकी
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि हमलावर आतंकवादी पहलगाम के 25 से 30 किलोमीटर के दायरे में ही कहीं छिपे हो सकते हैं। इस क्षेत्र में घने जंगल और पहाड़ी इलाका होने के कारण उनके छिपने की संभावना अधिक है। इसी आशंका के चलते सुरक्षा बलों ने पहलगाम, बैसरन, लारनू, हपतगुंड, डुरूव और उसके आसपास के इलाकों में स्थित विस्तृत जंगलों और दुर्गम पहाड़ों में एक व्यापक तलाशी अभियान चलाया है। इस ऑपरेशन में सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों के विशेष दस्ते शामिल हैं, जो चप्पे-चप्पे की तलाशी ले रहे हैं।
वहीं, सीमा पार बैठा लश्कर कमांडर और इस हमले का मुख्य साजिशकर्ता हाशिम मूसा भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के हाथ लगने से पहले किसी भी तरह सुरक्षित पाकिस्तान पहुंचने की कोशिश में लगा हुआ है। इसके लिए पाकिस्तानी हैंडलर कथित तौर पर अपने स्थानीय ओवरग्राउंड वर्कर नेटवर्क से लगातार संपर्क में हैं और उन्हें मूसा को सुरक्षित निकालने के लिए हर संभव मदद करने के निर्देश दे रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियां इस नेटवर्क पर भी कड़ी नजर रख रही हैं ताकि मूसा को भागने से रोका जा सके।
अन्य हमलों का भी हो सकेगा पर्दाफाश
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि अगर हमलावर आतंकवादियों को जिंदा पकड़ लिया जाता है, तो इससे राजौरी-पुंछ, बोटापथरी और गगनगीर में सुरक्षाबलों और आम लोगों पर हुए कई अन्य आतंकी हमलों में भी पाकिस्तानी षड्यंत्र का पर्दाफाश हो सकेगा। इन हमलों में भी पाकिस्तानी आतंकी संगठनों की संलिप्तता के सुबूत मिले हैं, लेकिन हमलावरों के पकड़े जाने से इन साजिशों की पूरी परतें खुल सकती हैं।
इसके अलावा आतंकवादियों के जिंदा पकड़े जाने से पाकिस्तान में स्थित उनके प्रशिक्षण शिविरों और प्रशिक्षण मॉड्यूल का भी पूरा ब्योरा मिल सकेगा। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि इन आतंकवादियों को किस प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती है और उन्हें भारत में हमलों को अंजाम देने के लिए कैसे तैयार किया जाता है।
सुरक्षा एजेंसियों का यह भी मानना है कि पहलगाम और पिछले वर्ष राजौरी-पुंछ व कश्मीर के अन्य हिस्सों में हमले करने वाले आतंकवादियों का एक ही दल हो सकता है। पिछले 35 वर्षों के दौरान जम्मू-कश्मीर में यह पहला ऐसा मामला है, जब एक ही आतंकी दस्ता प्रदेश के विभिन्न भागों में लगातार सुरक्षाबलों और आम लोगों पर हमले करने के बाद भी पकड़ से बाहर रहा है। इस दल को पकड़ना सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
तीन पाकिस्तानी सहित पांच आतंकियों ने खेला था खूनी खेल
आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन में मानवता को शर्मसार करने वाली एक जघन्य घटना को अंजाम दिया था। उन्होंने पर्यटकों का धर्म पूछकर 25 निर्दोष लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। इस हमले में एक स्थानीय घोड़ेवाला भी मारा गया था। हमले की जिम्मेदारी शुरू में लश्कर-ए-तैयबा के एक छद्म संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी, लेकिन बाद में बढ़ते दबाव के कारण इससे मुकर गया था।
जांच एजेंसियों ने इस नरसंहार में सीधे तौर पर शामिल पांच आतंकवादियों की पहचान कर ली है। इनमें हाशिम मूसा समेत तीन पाकिस्तानी नागरिक हैं, जबकि आदिल और एहसान शेख नामक दो स्थानीय आतंकवादी हैं, जिन्होंने इस साजिश में उनका साथ दिया था। सुरक्षा एजेंसियों ने आदिल और एहसान के घरों को ध्वस्त कर दिया है। वहीं, एनआईए की एक उच्च स्तरीय टीम ने नरसंहार स्थल का दौरा करके महत्वपूर्ण भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक सुबूत जुटाए थे, जिनका विश्लेषण किया जा रहा है।
एम4 कार्बाइन के 60-70 कारतूस जांच के लिए भेजे
एनआईए ने पहलगाम के बैसरन में हमला स्थल से बरामद अमेरिकन एम4 कार्बाइन राइफल के चले हुए 60-70 कारतूसों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा है। यह एक अत्याधुनिक हथियार है, जिसका इस्तेमाल कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी और उसके छद्म संगठन पीपुल्स फासिस्ट फ्रंट (PFF) के आतंकवादी करते रहे हैं। इन कारतूसों की फॉरेंसिक रिपोर्ट से यह पता चल सकेगा कि क्या इस हमले में इस्तेमाल किए गए हथियार पहले भी किसी अन्य आतंकी घटना में इस्तेमाल किए गए थे।
पहलगाम नरसंहार की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है और सुरक्षा एजेंसियां इस जघन्य अपराध के पीछे छिपी पूरी साजिश को उजागर करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं। आतंकवादियों को जिंदा पकड़ने की कोशिशें जारी हैं, ताकि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेनकाब किया जा सके और भविष्य में ऐसे हमलों को रोका जा सके। इस घटना ने एक बार फिर सीमा पार आतंकवाद के खतरे को उजागर किया है और भारत सरकार पर पाकिस्तान के खिलाफ और भी कड़े कदम उठाने का दबाव बढ़ गया है।
भारत न्यू मीडिया पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज, Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट , धर्म-अध्यात्म और स्पेशल स्टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें इंडिया सेक्शन