Pahalgam Terrorist Attack: पुलवामा के बाद कश्मीर में सबसे बड़ा हमला, दो विदेशियों सहित 26 की मौत

श्रीनगर, बीएनएम न्यूज : Pahalgam Terrorist Attack: कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने मंगलवार दोपहर प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम के बैसरन की वादियों में सुकून के पल बिताने आए पर्यटकों से घूम-घूमकर उनका नाम व धर्म पूछा और फिर बेहद करीब से गोलियां मारीं। इसमें 26 लोगों की मौत हो गई और दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए। मृतकों में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और नेपाल के दो विदेशी पयर्टकों के साथ देश के अन्य राज्यों के सैलानी और स्थानीय लोग भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सऊदी अरब से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात की। देर शाम शाह श्रीनगर पहुंच गए और राजभवन में सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक की। बुधवार को वह पहलगाम जा सकते हैं।
हेलीकाप्टर का इस्तेमाल
पिछले ढाई दशक में यह कश्मीर में पर्यटकों या श्रद्धालुओं पर अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला है। हमले के बाद फरार हुए आतंकियों को मार गिराने के लिए सुरक्षा बल ने भी बड़ा अभियान छेड़ दिया है। कश्मीर में यह हमला उस समय हुआ, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर आए हैं। श्रीनगर पहुंचने के पहले गृह मंत्री अमित शाह ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और संबंधित सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ फोन पर स्थिति की जानकारी ली। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला दोपहर को ही रामबन में भूस्खलन से उपजे हालात का जायजा लेने के बाद जम्मू पहुंचे थे, वह भी मुख्य सचिव अटल डुल्लु के साथ देर शाम पहलगाम पहुंच गए। मृतकों व घायलों को बैसरन से नीचे लाने के लिए हेलीकाप्टर का इस्तेमाल किया गया। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री सकीना इट्टू ने भी अनंतनाग अस्पताल में जाकर घायलों का हाल जाना। इस बीच, हमले की जिम्मेदारी कश्मीर में आतंक का नया पर्याय बने लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन द रजिस्टेंस फोर्स (टीआरएफ) ने ली है। बता दें कि इसके पहले दो अगस्त 2000 को आतंकियों ने पहलगाम में ही अमरनाथ श्रद्धालुओं पर हमला किया था, जिसमें 21 श्रद्धालुओं समेत 32 लोग मारे गए थे। फरवरी 2019 को पुलवामा हमले में 40 जवान बलिदान हो गए थे।
तीन से चार आतंकियों ने खेला खूनी-खेल
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बैसरन में कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात सहित कई राज्यों से पर्यटक पहुंचे थे। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि हम सभी घूम रहे थे। कुछ वहां बने एक खुले रेस्तरां में भोजन कर रहे थे और कई तस्वीरें खिंचवा रहे थे। अचानक गोलियों की आवाज गूंजी और अफरा-तफरी फैल गई। हमलावर आतंकियों की संख्या तीन से चार थी। गोलियां चलाने वाले घूम-घूमकर करीब से गोली मार रहे थे। घोड़े वाले और स्थानीय दुकानदार भी वहां से भाग गए। लगभग 10-15 मिनट तक आतंकियों ने खूनी खेल खेला और उसके बाद चले गए। मैदान में चारों तरफ खून से लथपथ लोग पड़े थे, कोई कुर्सी पर था और कोई जमीन पर गिरा था। अल्ताफ नामक एक स्थानीय युवक ने कहा कि जब हम मौके पर पहुंचे तो वहां कई पर्यटक जख्मी पड़े थे। हमने पुलिस को फोन पर सूचित किया।
आतंकियों के किश्तवाड़ से बैसरन पहुंचने की आशंका
पहलगाम से बैसरन लगभग छह किलोमीटर दूर है, जो घने देवदार के जंगल और पहाड़ों से घिरा घास का बड़ा मैदान है। यह पर्यटकों और ट्रैकर्स का पसंदीदा स्थान है। बैसरन तक केवल पैदल या घोड़ों से ही पहुंचा जा सकता है। इसलिए घायलों को निकालने के लिए हेलीकाप्टर लगाए गए। कुछ को हेलीकाप्टर से पहलगाम में प्राथमिक उपचार के बाद जीएमसी अस्पताल अनंतनाग और शेरे कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान श्रीनगर ले जाया गया। मारे गए और घायल लोगों के परिवारों को कड़ी सुरक्षा के बीच पहलगाम क्लब ले जाया गया है। इस बीच, सूचना है कि कर्नाटक से भी अधिकारियों की एक टीम कश्मीर के लिए रवाना हो गई है। संबंधित अधिकारियों ने भी बताया कि जिस जगह यह हमला हुआ, वहां पहुंचना आसान नहीं है। हमले के बाद पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के जवानों का दस्ता मौके पर पहुंच चुका है। अधिकारियों ने कहा कि संभव है कि आतंकी जम्मू के किश्तवाड़ से दक्षिण कश्मीर के कोकरनाग के रास्ते बैसरन पहुंचे हों। संबंधित अधिकारियों ने अभी मृतकों व घायलों की कुल संख्या के बारे में आधिकारिक जानकारी नहीं दी है।
हमले के विरोध में आज बंद रहेगा जम्मू-कश्मीर
पहलगाम में आतंकी हमले के विरोध में विभिन्न हिंदू संगठनों व राजनीतिक दलों ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर में बंद का आह्वान किया है। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी कश्मीरियों से बुधवार को कश्मीर बंद को कामयाब बनाने की अपील की। इधर, जम्मू, ऊधमपुर, राजौरी, कटड़ा, डोडा, बिलावर में भी विभिन्न संगठनों ने बंद का आह्वान किया है। इन संगठनों ने मंगलवार को भी हमले के विरोध में पाकिस्तान के खिलाफ जगह-जगह प्रदर्शन किए और पुतले जलाए। कांग्रेस ने जम्मू में रात को कैंडल मार्च निकाला। कश्मीर में भी रात को कई जगह कैंडल मार्च निकाले गए।
अमरनाथ यात्रा के लिए अहम है पहलगाम रूट
अमरनाथ यात्रा के लिए पहलगाम रूट बेहद महत्वपूर्ण है। इस रूट से गुफा तक पहुंचने में तीन दिन लगते हैं, मगर रास्ता आसान है। यात्रा में खड़ी चढ़ाई नहीं पड़ती है। पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है, जहां से चढ़ाई शुरू होती है। यह बेस कैंप से 16 किलोमीटर दूर है। तीन किमी चढ़ाई के बाद यात्रा पिस्सू टाप पर पहुंचती है, जहां से पैदल चलते शाम तक यात्रा शेषनाग पहुंचती है। यह सफर करीब नौ किलोमीटर का है। अगले दिन यात्री शेषनाग से 14 किलोमीटर दूर पंचतरणी जाते हैं। पंचतरणी से गुफा की दूरी सिर्फ छह किलोमीटर है। अमरनाथ यात्रा तीन जुलाई से शुरू होनी है, जो नौ अगस्त तक चलेगी।
आतंकवादी हमले पर प्रतिक्रियाएं
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकवादी हमले ने सभी को चौंका दिया है। यह हमला खासकर पर्यटकों पर हुआ जो बेहद संवेदनशील और अमानवीय कृत्य है। विभिन्न नेताओं और जिम्मेदार व्यक्तियों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है, और हमले में हताहत हुए परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की प्रतिक्रिया
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे एक “नृशंस और अमानवीय कृत्य” बताया। उन्होंने कहा कि निर्दोष नागरिकों और पर्यटकों पर होना यह हमला न केवल भयावह है बल्कि अक्षम्य भी है। मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हुए उन्होंने घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य की प्रार्थना की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस हमले की कड़ी आलोचना की और शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि घायल लोगों की जल्दी ठीक होने की प्रार्थना की जा रही है और प्रभावितों को हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है। मोदी ने यह भी बताया कि इस जघन्य कृत्य के पीछे जो लोग हैं, उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और उनका नापाक एजेंडा कभी सफल नहीं होगा। उन्होंने आतंकवाद से लड़ने के संकल्प की बात की और कहा कि यह और भी मजबूत होगा।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का संदेश
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि पहलगाम में आतंकियों को मार गिराने के लिए एक अभियान शुरू कर दिया गया है। उन्होंने देश में इस हमले के प्रति गुस्से को साझा किया और आश्वस्त किया कि हमले के दोषियों को उनके जघन्य कृत्य के लिए बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। शोक संतप्त परिवारों के प्रति उनकी हार्दिक संवेदनाएं थी।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की आलोचना
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पर्यटकों पर हमला एक घृणित घटना है। उन्होंने अपराधियों को जानवर और अमानवीय कहा और इसे नागरिकों पर किए गए हमलों में से सबसे बड़ा हमला करार दिया। उन्होंने मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और इस प्रकार की हिंसा को अस्वीकार्य बताया।
महबूबा मुफ्ती का संदेश
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इस तरह की हिंसा अस्वीकार्य है और इसकी निंदा की जानी चाहिए। उन्होंने इसे चिंताजनक बताया, क्योंकि historically कश्मीर ने पर्यटकों का गर्मजोशी से स्वागत किया है। उन्होंने भविष्य में हमलों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया और पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
देश के लिए एक नाजुक क्षण
पहलगाम में हुआ यह हमला न केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि पूरे देश के लिए एक नाजुक क्षण है। देश के नेताओं ने इस हमले की निंदा की है और सभी ने शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना जाहिर की है। यह घटना न केवल एक आतंकवादी गतिविधि है, बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि हमें आतंकवाद के खिलाफ अपनी एकता और संकल्प को मज़बूत करना होगा। सरकार को इस दिशा में सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसे हमले न हों और जम्मू-कश्मीर में अमन-चैन कायम रहे।
2000 से अब तक जम्मू-कश्मीर में नागरिकों पर हुए प्रमुख आतंकवादी हमले
21 मार्च 2000– अनंतनाग जिले के छत्तीसिंहपोरा गांव में आतंकवादियों ने सिख समुदाय को निशाना बनाया, जिसमें 36 लोग मारे गए।
दो अगस्त 2000- नुनवान बेस कैंप पर हुए आतंकी हमले में दो दर्जन अमरनाथ तीर्थयात्रियों सहित 32 लोग मारे गए।
20 जुलाई 2001- अनंतनाग के शेषनाग बेस कैंप पर अमरनाथ यात्रियों को फिर से निशाना बनाया गया, जिसमें 13 लोग मारे गए।
एक अक्टूबर 2001- श्रीनगर में जम्मू और कश्मीर राज्य विधानमंडल परिसर पर आत्मघाती (फिदायीन) आतंकवादी हमले में 36 लोग मारे गए।
छह अगस्त 2002- चंदनवारी बेस कैंप पर आतंकी हमला हुआ और 11 अमरनाथ यात्री मारे गए।
23 नवंबर 2002- दक्षिण कश्मीर के लोअर मुंडा में जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक आइईडी विस्फोट में नौ सुरक्षा बल कर्मियों, तीन महिलाओं और दो बच्चों सहित 19 लोगों की जान चली गई।
23 मार्च 2003- आतंकवादियों ने पुलवामा जिले के नंदीमार्ग गांव में 11 महिलाओं और दो बच्चों सहित 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी।
13 जून 2005- पुलवामा में एक सरकारी स्कूल के सामने भीड़भाड़ वाले बाजार में विस्फोटकों से लदी एक कार में विस्फोट होने से दो स्कूली बच्चों और तीन सीआरपीएफ अधिकारियों सहित 13 नागरिक मारे गए और 100 से अधिक लोग घायल हो गए।
26 मई 2006- श्रीनगर के जकूरा इलाके में आतंकी हमले में गुजरात के चार पर्यटकों की मौत।
12 जून 2006- कुलगाम में नौ नेपाली और बिहारी मजदूर मारे गए।
नौ जून 2024- रियासी में शिवखोड़ी के श्रद्धालुओं की बस पर आतंकियों ने गोलियां बरसाई। नौ यात्रियों की मौत और 41 घायल
10 जुलाई, 2017- कुलगाम में अमरनाथ यात्रा बस पर हमले में आठ की मौत।
(इन हमलों के अलावा, सुरक्षाकर्मियों को भी लगातार हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। इसका एक उल्लेखनीय उदाहरण 2019 का पुलवामा हमला था, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।)