IPL 2025: 14 वर्षीय वैभव सूर्यवंशी का पहली बॉल पर सिक्स: IPL खेलने वाले यंगेस्ट प्लेयर भी बने

नई दिल्ली, बीएनएम न्‍यूज : IPL 2025: कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। यह कहावत बिहार के 14 वर्षीय क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी पर सटीक बैठती है। उन्होंने हाल ही में आईपीएल के पदार्पण मैच में अपनी आक्रामक बल्लेबाजी से सभी को यह एहसास करा दिया है कि वे भविष्य के बड़े क्रिकेटर बन सकते हैं। वैभव का जीवन और करियर, जो अभी सिर्फ शुरुआत में है, पहले ही कई लोगों के दिलों में जगह बना चुका है।

पदार्पण मैच की बातें

शनिवार को सवाई मानसिंह स्टेडियम में जीटी और राजस्थान टाइगर्स के बीच खेली गई आईपीएल की एक मैच में वैभव ने यशस्वी जायसवाल के साथ मिलकर पारी की शुरुआत की। वैभव, जो सिर्फ 14 साल और 23 दिन के थे, ने पहली ही गेंद पर छक्का जड़कर दर्शकों को रोमांचित कर दिया। उनकी यह पारी एक यादगार क्षण बन गई। उस समय स्टेडियम में उपस्थित दर्शकों के साथ-साथ चोटिल कप्तान संजू सैमसन का चेहरा भी मुस्करा उठा जब उन्होंने अपने डगआउट में वैभव की शानदार शुरुआत देखी।

संयोगवश संजू सैमसन के नहीं खेलने के कारण वैभव को इंपैक्ट खिलाड़ी के रूप में पारी की शुरुआत का अवसर मिला और उन्होंने इसे पूरी तरह से भुनाया। उनके सभी शॉट्स, विशेषकर बाएं हाथ के बल्लेबाज द्वारा खेले गए, दर्शकों में नई ऊर्जा भर गए।

क्रिकेट की शुरुआत

 

वैभव सूर्यवंशी का जन्म 27 मार्च 2011 को हुआ। यह वही साल था जब भारतीय क्रिकेट टीम ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में क्रिकेट विश्व कप जीता था। उस वक्त वैभव के लिए क्रिकेट का क्रिकेटिंग माहौल कुछ ऐसा था कि उन्होंने भी अपनी किशोरावस्था में क्रिकेट के प्रति आकर्षण विकसित करना शुरू कर दिया। उन्होंने 2024-25 सत्र में बिहार के लिए पहले से 5 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं और उनके खेलने का अंदाज उसे औरों से अलग करता है।

युवा प्रतिभा का उदय

 

पिछले वर्ष मेगा नीलामी में वैभव ने क्रिकेट जगत में एक नई मील का पत्थर स्थापित किया। वह 13 वर्षीय खिलाड़ी के रूप में अनुबंध पाने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने जब उन्हें राजस्थान रॉयल्स ने 1.10 करोड़ रुपये में खरीदा। यह बड़ा कदम वैभव के क्रिकेट करियर में एक नई दिशा निश्चित करता है और यह साफ दिखाता है कि उन्हें भारतीय क्रिकेट का भविष्य माना जा रहा है।

टेस्ट क्रिकेट में झंडे गाड़ना

 

बात करें वैभव की प्रतिभा की तो वह सिर्फ आईपीएल में ही नहीं, बल्कि अंडर-19 क्रिकेट में भी बड़ी उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं। चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए अंडर-19 यूथ टेस्ट में उन्होंने सिर्फ 58 गेंदों में शतक बनाया, जो किसी भारतीय द्वारा सबसे तेज टेस्ट शतक है। यह उपलब्धि न केवल वैभव की बल्लेबाजी क्षमता को दर्शाती है बल्कि यह भारतीय युवा क्रिकेट के लिए एक नई उम्मीद भी बनाती है।

क्रिकेट का सफर

 

वैभव ने अपनी क्रिकेट की यात्रा पटना की जेनेक्स क्रिकेट अकादमी से शुरू की, जहां उन्होंने लगभग पांच साल तक अभ्यास किया। उनके कोच मनीष ओझा बताते हैं कि वैभव का खेल में अलग नजरिया था। वो जब आठ साल के थे, तो बैट पकड़ना सीख रहे थे, जबकि उसी वक्त वे 360 डिग्री शॉट लगाने में महारत हासिल कर चुके थे। इसकी एक खासियत यह थी कि अभ्यास के दौरान अगर उन्हें 500 गेंद भी बॉलिंग करने के लिए दी जाएं, तो वे थकते नहीं थे।

परिवार का समर्थन

 

वैभव की सफलता के पीछे उनके परिवार का भी बड़ा हाथ है। उनके पिता, जो समस्तीपुर से हैं, क्रिकेट के गूढ़ ज्ञान सिखाने के लिए 100 किलोमीटर दूर पटना आते थे। उनकी मेहनत और समर्पण ने वैभव को प्रेरित किया कि वे हर दिन बेहतर बनें। पिता का हमेशा मैदान पर रहना और उनका मार्गदर्शन वैभव के लिए जीवन की प्रेरणा बना।

सीखने की प्रक्रिया

 

वैभव क्रिकेट में और अधिक सुधार के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। उन्हें कोच मनीष ओझा से जो सीखने को मिला, उसे वे हमेशा अपने खेल में लागू करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने अब तक जो हासिल किया है, वह उनके कठोर परिश्रम का परिणाम है। उनका लक्ष्य केवल खेल में उत्कृष्टता प्राप्त करना नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट को गर्व की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना भी है।

भविष्य की योजनाएं

आगे बढ़ते हुए वैभव सूर्यवंशी की योजनाएँ हैं कि वे न केवल घरेलू मैचों में अच्छा प्रदर्शन करें बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का प्रतिनिधित्व करें। उनकी महत्त्वाकांक्षा है कि वह विभिन्न क्रिकेट प्रारूपों में ‘खेल का सबसे बड़ा खिलाड़ी’ बने।

वैभव सूर्यवंशी की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर मेहनत और समर्पण हो तो किसी भी उम्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनके छोटे से कदमों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे जल्द ही क्रिकेट जगत के एक चमकते सितारे बन सकते हैं। उनकी यात्रा सिर्फ शुरुआत है और क्रिकेट प्रेमियों को उनकी प्रगति का बेसब्री से इंतजार है। अगले कई वर्षों में वैभव का नाम भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। उनका भविष्य उज्ज्वल है और वे निश्चित रूप से वह कर पाएंगे जो उन्होंने अपने सपनों में देखा है।