Pahalgam Terrorist Attack : सीसीएस बैठक में पाकिस्तान को सख्त संदेश, सिंधु जल समझौता भी रोका गया; कई और कदम उठाए

पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक की अध्यक्षता की।

नई दिल्ली, बीएनएम न्‍यूज : Pahalgam Terrorist Attack : पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर आतंकियों के कायराना हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक रिश्तों में कटौती करते हुए पांच बड़े फैसले किए। इन्हें सीमा पार से चलाए जा रहे आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ अभी तक की सबसे बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है। बुधवार शाम पीएम नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक में भारत ने पाकिस्तान के साथ वर्ष 1960 में किए गए सिंधु जल समझौते को रोकने का फैसला किया।

पाकिस्तान जब तक सीमा पार आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक यह समझौता रुका रहेगा। इस फैसले की अहमियत इस बात से समझी जा सकती है कि पूर्व में दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति में भी भारत ने सिंधु जल समझौते को रद नहीं किया था। सीसीएस बैठक में संकल्प भी लिया गया कि पहलगाम हमले के दोषियों को दंडित किया जाएगा और उनके आकाओं को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इस बीच सरकार ने रक्षा मंत्री राजनाथ की अध्यक्षता में गुरुवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।

जल समझौते पर तत्काल प्रभाव से रोक

 

सिंधु जल समझौते के तहत दोनों देशों के बीच साझा छह नदियों के जल के बंटवारे का प्रबंधन है। इस जल समझौते पर तत्काल प्रभाव से रोक का मतलब यह हुआ कि भारत अब पाकिस्तान से साझा नदियों के जल प्रवाह समेत अन्य डाटा शेयर नहीं करेगा। इससे पाकिस्तान को नदी जल प्रबंधन से संबंधित जानकारी नहीं मिल सकेगी। भारत का यह कदम पहले से ही खस्ताहाल पाकिस्तान की इकोनमी को और बदहाल कर सकता है। सीसीएस के निर्णयों के बारे में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने जानकारी दी।

सीसीएस का दूसरा महत्वपूर्ण निर्णय अटारी चेक पोस्ट को तत्काल प्रभाव से बंद करना है। जिन पाकिस्तानी नागरिकों ने अटारी सीमा से भारत में प्रवेश किया है, उन्हें एक मई, 2025 तक लौटने का आदेश दिया गया है। तीसरा निर्णय यह है कि पाकिस्तान के नागरिकों को सार्क वीजा एक्जेंप्शन स्कीम (एसवीईएस) के तहत भारत आने की छूट समाप्त कर दी गई है। यह स्कीम 1992 से लागू थी, जिसके तहत पाकिस्तान के विशिष्ट नागरिकों (पत्रकारों, उद्योगपतियों, कलाकारों, राजनेताओं आदि) को विशेष सुविधा दी जाती थी। भारत ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई पाकिस्तानी नागरिक उक्त वीजा स्कीम के तहत भारत में है, तो उसे 48 घंटे के भीतर भारत छोड़ना होगा।

पाक उच्चायोग के सलाहकारों को वापस भेजा जाएगा

सीसीएस का चौथा निर्णय यह है कि भारत ने पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात सैन्य, नौसेना और वायु सेना सलाहकारों को अवांछित (पर्सन नान ग्राटा) घोषित कर दिया है। इन सलाहकारों को एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही, भारत ने इस्लामाबाद स्थित अपने दूतावास से भी इन पदों पर तैनात अधिकारियों को वापस बुला लिया है। दोनों उच्चायोगों से पांच सहायक कर्मचारियों को भी वापस बुलाने का निर्णय लिया गया है। सीसीएस का पांचवां और अंतिम निर्णय यह है कि पाकिस्तान उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 कर दी गई है। इस प्रकार, भारत ने पाकिस्तान के राजकीय स्तर को और कम कर दिया है। वर्ष 2019 में जब भारत ने कश्मीर से धारा 370 समाप्त किया था, उसके बाद पाकिस्तान ने अपने उच्चायोग को वापस बुला लिया था। भारत ने भी ऐसा ही किया था।

सभी सैन्य बलों को उच्चस्तरीय सतर्कता बरतने का आदेश

तकरीबन ढाई घंटे तक चली सीसीएस की बैठक के बारे में विदेश सचिव मिसरी ने बताया- ‘सीसीएस ने पूरी स्थिति की समीक्षा की और सभी सैन्य बलों को उच्चस्तरीय सतर्कता बरतने का आदेश दिया। यह संकल्प लिया गया कि पहलगाम हमले के दोषियों को दंडित किया जाएगा और उनके आकाओं को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा।’ मिसरी ने यह भी संकेत दिया कि पहलगाम हमले के बाद भारत को वैश्विक समर्थन मिला है और इस घटना की निंदा की गई है, जिससे पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि कई सरकारों ने हमें मजबूत समर्थन दिया है और सभी ने इस घटना की निंदा की है। यह दर्शाता है कि आतंकवाद के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति होनी चाहिए।

एयरपोर्ट पर ही बैठक

 

बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, एनएसए अजीत डोभाल, पीएम के विशेष सचिव डा. शक्तिकांत दास, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका और रा प्रमुख रवि सिन्हा उपस्थित थे। प्रधानमंत्री मोदी बुधवार सुबह सऊदी अरब की यात्रा से लौटे और उन्होंने सबसे पहले एयरपोर्ट पर ही एनएसए, विदेश मंत्री और विदेश सचिव के साथ बैठक की। उसके बाद दिनभर उन्होंने पहलगाम हमले से जुड़े तथ्यों पर विभिन्न बैठकों में चर्चा की। कई चरणों में विमर्श के बाद सीसीएस की बैठक में उक्त फैसलों पर मुहर लग सकी।

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, अपने आवास सात लोककल्याण मार्ग पर हुई बैठक में प्रधानमंत्री मोदी काफी गंभीर दिखे। बैठक में प्रधानमंत्री का रुख था कि भारत की सहनशीलता की बार-बार परीक्षा ली जा रही है, लेकिन इस बार न सिर्फ हमला करने वाले आतंकियों, बल्कि उनके आकाओं के खिलाफ भी ऐसी कार्रवाई होनी चाहिए, जो यादगार रहे। प्रधानमंत्री के रुख से साफ था कि भारत के सब्र का बांध अब टूट चुका है और कड़ी कार्रवाई का समय आ गया है।

मिसरी ने बताया कि सीसीएस के समक्ष यह बात रखी गई कि हाल ही में जम्मू व कश्मीर राज्य में हुए सफल चुनाव व वहां हो रही चौतरफा विकास की गति को रोकने के लिए इस आतंकी हमले को अंजाम दिया गया है। तीनों सेना के प्रमुखों के साथ तीन घंटे तक बैठक कर चुके रक्षा मंत्री सिंह ने भी सीसीएस को सैन्य तैयारियों की जानकारी दी। एनएसए अजीत डोभाल ने पाकिस्तानी सेना और आइएसआइ के संरक्षण में चल रहे आतंकी नेटवर्क की पूरी जानकारी दी। उन्होंने सीमा पार आतंकियों के प्रशिक्षण शिविरों, लांच पैड और पाकिस्तान सरकार की ओर से उन्हें मिल रही परोक्ष फंडिंग की जानकारी दी।

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