Pulses Prise Hike: दाल के बढ़ते दाम ने बढ़ाई सरकार की चिंता, जमाखोरी पर होगी सख्त कार्रवाई

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज। Pulses Prise Hike:सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद दाल की कीमतों में पिछले कई महीनों से दहाई अंक में बढ़ोतरी जारी है। अब सरकार इन कीमतों पर लगाम के लिए सभी कंपनियों से दाल की सप्लाई तेज करने करने के लिए कहा है। दाल की जमाखोरी करने वाले व्यापारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। मुख्य रूप से तुअर दाल की कीमतों में हो रही तेजी से सरकार चिंतित है। तुअर दाल के आयात को सुगम बनाने का प्रयास किया जा रहा है। दाल के उत्पादन को बढ़ाने के उपाय पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है और हो सकता है नई सरकार में इसे लेकर कोई घोषणा भी हो। खपत के मुकाबले दाल का कम उत्पादन कीमत में बढ़ोतरी का सबसे बड़ा कारण है।

तुअर, उड़द व मसूर दाल के आयात को शुल्क मुक्त किया

पिछले साल दिसंबर में दाल की खुदरा कीमत में 20.73 प्रतिशत, इस साल जनवरी में 19.5 प्रतिशत, फरवरी में 18.90 प्रतिशत तो मार्च में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसे देखते हुए सरकार ने 2025 के मार्च तक तुअर, उड़द व मसूर दाल के आयात को शुल्क मुक्त कर दिया। पिछले साल अप्रैल से लेकर इस साल मार्च तक (वित्त वर्ष 2023-24) में 3.7 अरब डालर के मूल्य का दाल आयात किया गया जो पूर्व के वित्त वर्ष 22-23 के दाल आयात के मुकाबले 93 प्रतिशत अधिक है। इस साल पीले मटर का भारत में 10 लाख टन आयात हो चुका है। तुअर उगाने वाले देश में ही जमाखोरी
इन सबके बावजूद तुअर की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है और पिछले तीन माह में तुअर दाल के थोक दाम में 20 रुपए प्रति किलोग्राम तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। खुदरा बाजार में तुअर (अरहर) दाल की कीमत 160 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। अब सरकार म्यांमार, मोजांबिक, तंजानिया, कीनिया जैसे देशों से तुअर दाल के आयात को सुगम बनाने की कोशिश कर रही है। म्यांमार के साथ स्थानीय करेंसी में व्यापार को प्रोत्साहित किया जा रहा है। लेकिन इन देशों की कमजोर राजनीतिक स्थितियों से कई बार आयात प्रभावित हो जाता है। सरकारी स्तर पर इस दिशा में भी प्रयास हो रहा है। तुअर का उत्पादन इन चार-पांच देशों के अलावा किसी अन्य देश में नहीं होता है और इसकी खपत मुख्य रूप से एशिया के देशों में ही होती है।

 

सूत्रों के मुताबिक कई भारतीय फर्म इन देशों में जाकर दाल की खरीदारी तो कर रहे हैं, लेकिन दाल को भारत नहीं ला रहे हैं। इससे भी तुअर की कीमत प्रभावित हो रही है। कनाडा से मसूर दाल का भरपूर आयात हो रहा है और बाजार में इसकी सप्लाई भी है, इसलिए मसूर दाल की कीमत कमोबेश स्थिर चल रही है। ब्राजील से 20,000 टन उड़द दाल का आयात हो रहा है।

तुअर दाल उगाना नहीं चाहते किसान

 

सरकारी अनुमानों के मुताबिक वर्ष 2023-24 में दाल का उत्पादन 234 लाख टन रह सकता है जबकि इससे पूर्व के वर्ष में दाल का उत्पादन 261 लाख टन था। ऑल इंडिया दाल मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल के मुताबिक इस साल 24-25 लाख टन तुअर दाल का उत्पादन रहने का अनुमान है जबकि दो साल पहले तुअर का उत्पादन 42-43 लाख टन था। किसान इसलिए तुअर दाल उगाना नहीं चाहते हैं क्योंकि इसमें सात-आठ माह का समय लग जाता है जबकि चना, सोयाबीन जैसी फसल चार माह में तैयार हो जाती है। अभी तुअर दाल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 7000 रुपए प्रति क्विंटल है जो किसान को बहुत आकर्षित नहीं करता है। तुअर के एमएसपी को 90रुपए प्रति क्विंटल तक किए जाने पर किसान तुअर बोने में दिलचस्पी दिखा सकते हैं।

Tag- Pulses Price Hike, Rising price of pulses, Central government,  hoarding, Arhar Dal, Toor Dal, Urad Dal, Masoor Dal

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