बालिकाओं को कामुक जिज्ञासा से देखना भी गंभीर नैतिक पतन : हाईकोर्ट
नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़ः पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस सुमीत गोयल ने कहा कि हमारी संस्कृति में बालिकाओं को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। ऐसे में उन्हें केवल कामुक जिज्ञासा से देखना गंभीर नैतिक पतन है। यौन उत्पीड़न सबसे पतित, विकृत और घृणित कार्य है, जिसकी निंदा की जानी चाहिए। उन्होंने ये टिप्पणियां नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित की अग्रिम जमानत की मांग को खारिज करते हुए की हैं।
नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा से दुष्कर्म
नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली 15 वर्षीय नाबालिग से एक व्यक्ति ने कई मौकों पर दुष्कर्म किया और उसने पीड़िता को वारदात के बारे में किसी को नहीं बताने की धमकी दी। याचिकाकर्ता (आरोपित) के वकील ने तर्क दिया कि उसके मुवक्किल को झूठा फंसाया गया है। यह दलील दी गई कि उसने वास्तव में पीड़िता को अन्य लड़कों से बचाया था, जो उसे रास्ते में छेड़ रहे थे।
आरोपी ने कहा, झूठे फंसाया गया
अर्जी दाखिल करते हुए भिवानी निवासी याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि उसे 15 साल की नाबालिग से दुष्कर्म के झूठे मामले में फंसाया गया है। इस मामले में असल दोषियों को छोड़कर याचिकाकर्ता को पैसे के विवाद के चलते फंसाया गया है। याचिका का विरोध करते हुए सरकार ने कहा कि नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में अग्रिम जमानत पर प्रतिबंध है।
बच्चों के भविष्य के लिए सुरक्षित वातावरण बनाएं
हाईकोर्ट ने कहा कि जिन मामलों में प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता और जहां यह लगे कि मामला झूठा है तो वहां अग्रिम जमानत दी जा सकती है। हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चे मानवता का भविष्य हैं और सभी की जिम्मेदारी बनती है कि उनके समग्र विकास के लिए सुरक्षित, आनंदमय और स्वास्थ्यप्रद वातावरण तैयार करें।
बच्चे के यौन शोषण निंदनीय अपराध
बच्चे का यौन उत्पीड़न एक बच्चे, परिवार, वास्तव में पूरी मानवता के खिलाफ सबसे निंदनीय अपराध है। हमारी संस्कृति में जहां बालिकाओं को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, वहां उन्हें केवल कामुक जिज्ञासा से देखना गंभीर नैतिक पतन का कार्य है, जबकि यौन उत्पीड़न सबसे पतित, विकृत और घृणित कार्य है और इसकी निंदा की जानी चाहिए और इसके अनुसार दंडित किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि जमानत तक पहुंच को रोकना भी मानवीय स्वतंत्रता पर आघात करता है। हाईकोर्ट ने इस मामले में याचिका को खारिज कर दिया।
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