Punjab Loksabha Election: राजनीति में विचारधारा नहीं, कुर्सी ही बन गया है ईमान

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़ : Punjab Loksabha Election: अब राजनीति में विचारधारा नहीं, कुर्सी ही ईमान है। यूं यह पूरे देश में देखने को मिल रहा है, लेकिन इसका उदाहरण इस बार पंजाब में लोकसभा चुनाव में उतरे कई प्रत्याशियों में देखने को मिलता है। जालंधर एक ऐसी सीट है, जिस पर तीन प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशी अपनी पुरानी पार्टी छोड़कर आए हैं। आम आदमी पार्टी (आप) के प्रत्याशी पवन टीनू किसी समय शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के पूर्व विधायक रहे हैं। वे लोकसभा चुनाव भी लड़ते रहे हैं। शिअद से पहले वे बसपा में थे। शिअद प्रत्याशी मोहिंदर सिंह केपी कांग्रेस से सोमवार को ही पार्टी में शामिल हुए हैं। इससे पहले वह जालंधर से कई बार विधानसभा चुनाव जीतकर मंत्री भी रहे है और जालंधर से सांसद भी। भाजपा प्रत्याशी सुशील रिंकू ने पिछले वर्ष आप के टिकट से जालंधर का लोकसभा उपचुनाव जीता था। इससे पहले वे कांग्रेस में थे और पूर्व विधायक रह चुके हैं। केवल कांग्रेस प्रत्याशी चरणजीत सिंह चन्नी को छोड़कर सभी दल बदलकर आए हैं और चन्नी क्षेत्र बदलकर। चन्नी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और चमकौर साहिब उनका विधानसभा क्षेत्र रहा है।

लोगों और पार्टी काडर में भी असमंजस

पंजाब में जिस प्रकार से टिकट के लिए विचारधाराओं को तिलांजलि दी जा रही है, उसको लेकर लोगों और पार्टी काडर में भी असमंजस बढ़ता जा रहा है। पार्टी बदलते ही नेताओं की विचारधारा भी बदल जाती है। जिन मुद्दों पर नेता विरोध करते हैं, पार्टी बदलते ही कई बार उसका ही समर्थन करना पड़ता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण कांग्रेस के तीन बार के सांसद रवनीत बिट्टू हैं, जिनका एक वीडियो बहुत प्रसारित हो रहा है। इसमें वह एक टीवी चैनल पर भाजपा नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल को किसानी मुद्दों पर बुरा-भला कह रहे हैं और तीन कृषि सुधार कानूनों का विरोध कर रहे हैं। अब जबकि वह भाजपा में शामिल होकर लुधियाना से प्रत्याशी हैं तो उन्हीं कानूनों का पक्ष ले रहे हैं। यही हाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ का भी है। जब तीन सुधार कानून आए थे तो वही एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने इनके विरोध का झंडा उठाते हुए दो प्रेस कान्फ्रेंस की थी। वही, जाखड़ अब एमएसपी जैसे मुद्दे पर सुर बदल रहे हैं। बेशक उनकी दलील सही है, लेकिन आम लोग असमंजस में हैं।

रिंकू बोले, जो सपने दिखाए गए, वे पूरे नहीं किए गए

पिछले वर्ष आप में शामिल होने से कुछ दिन पहले ही भाजपा प्रत्याशी सुशील रिंकू का कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय में एक भाषण बहुत जोरदार था। उन्होंने कहा था कि जो लोग कांग्रेस छोड़कर जा रहे हैं, वे गद्दार हैं और उनके फोटो इसी हाल में लगेंगे, लेकिन कुछ दिन बाद ही वह कांग्रेस छोड़कर आप में शामिल हो गए थे। रिंकू लोकसभा उपचुनाव जीत गए। पार्टी ने उन पर फिर से भरोसा जताते हुए उन्हें जालंधर से उतार दिया, लेकिन वह कुछ ही दिन बाद अपने धुर विरोधी आप विधायक शीतल अंगुराल के साथ भाजपा में शामिल हो गए। अब कह रहे हैं कि उन्हें जो सपने दिखाए गए, वे पूरे नहीं किए गए।

 

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