हरियाणा के 50 प्रमुख नेताओं के साथ राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे करेंगे चर्चा, बनेगी रणनीति

नरेन्‍द्र सहारण, चंडीगढ़: Haryana Congress: हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र से ठीक दो दिन पहले नई दिल्ली में कांग्रेस की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जा रही है। यह बैठक जिसके प्रमुख नेता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी हैं, हरियाणा के प्रमुख कांग्रेस नेताओं की मौजूदगी में राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने का एक मंच प्रदान करेगी। विशेष रूप से, इस बैठक को बाद में हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी बीके हरिप्रसाद द्वारा संभाले जाने के लिए आयोजन किया गया था, लेकिन अब इसके दायरे को विस्तारित किया गया है।

यह बैठक केवल राजनीतिक दिशा-निर्देश देने तक सीमित नहीं है, बल्कि हाल के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के पश्चात हरियाणा की राजनीतिक स्थिति को सुधारने के प्रयास का भी हिस्सा है। इससे पहले, राहुल गांधी हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य से कुछ हद तक दूर रहते थे, लेकिन अब उन्होंने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए, हार के कारणों का विश्लेषण करना शुरू कर दिया है।

चुनावी प्रदर्शन की समीक्षा

हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार ने नेताओं के मनोबल को गिराने का काम किया। जबकि पार्टी ने अपनी हार का ठीकरा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) पर फोड़ने की कोशिश की है, वास्तविकता यह है कि हरियाणा में पार्टी की गुटबाजी और स्थानीय स्तर पर टिकटों के वितरण में असामान्यताओं का सबसे बड़ा हाथ रहा है। शहरी निकाय चुनाव में भी पार्टी के अच्छे परिणाम आने की संभावनाएँ बेहद कम नजर आ रही हैं।

कॉंग्रेस पार्टी के कई नेता चुनाव को हल्के में लेते हुए नजर आए। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भले ही इस चुनाव में सक्रियता दिखाई, परंतु उनकी मेहनत अपेक्षित परिणाम नहीं दिखा सकी। यह स्थिति पार्टी के भीतर सक्रियता की कमी और संगठनात्मक समस्याओं को दर्शाती है।

संगठन की मजबूती के लिए कदम

हरियाणा में कांग्रेस संगठन ने पिछले 11 वर्षों से कोई ठोस बनाए नहीं रखा है। इसके परिणामस्वरूप न तो विधानसभा में विपक्ष के नेता का चयन हो पाया है और न ही पार्टी का एक मजबूत संगठन तैयार किया जा सका है। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की बैठक का मुख्य उद्देश्य संगठन को मजबूत करना और जातीय समीकरणों के आधार पर नए अध्यक्ष के चयन पर चर्चा करना है।

आगामी 6 मार्च को, कांग्रेस विधायक दल के नेता का नाम तय होने की उम्मीद है, और इसके बाद 7 मार्च को चंडीगढ़ में एक बैठक बुलाई जाएगी। इस बैठक में भाजपा को विधानसभा के बजट सत्र में घेरने की रणनीति को अंतिम रूप दिया जा सकता है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा की प्रबल दावेदारी

वर्तमान में, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा विपक्ष के नेता के पद के लिए सबसे मजबूत उम्मीदवार माने जा रहे हैं। विधानसभा में चुनाव जीतकर आए 37 कांग्रेस विधायकों में से 30 से अधिक विधायकों का समर्थन हुड्डा को प्राप्त है। इस स्थिति ने हुड्डा को विपक्ष के नेता की जद्दोजहद में प्रमुखता दिलाई है। कांग्रेस के नए प्रभारी बीके हरिप्रसाद के अधिकार क्षेत्र में यह अपेक्षा की जा रही है कि वह राहुल गांधी के निर्देशानुसार अगले एक माह में राज्य का संगठन तैयार करने के लिए कदम उठाएंगे।

बैठक में भागीदारी और रणनीतियां

बैठक में शामिल होने वाले महत्वपूर्ण नेताओं में सह प्रभारी जितेंद्र बघेल, कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला, पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह, कैप्टन अजय सिंह यादव, और चारों सांसद शामिल होंगे। ये सभी नेता हरियाणा में कांग्रेस संगठन को पुनर्जीवित करने और चुनावों में अधिक प्रभावी रणनीतियों को अपनाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

नेताओं की एकजुटता जरूरी

हरियाणा की कांग्रेस के लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है। नेताओं की एकजुटता और कार्यशीलता पार्टी के भविष्य को निर्धारित करेगी। यदि कांग्रेस अपनी गुटबाजी को समाप्त कर सही तरीके से संगठन को मजबूत करने में सफल होती है, तो वह जल्दी ही अपने खोए हुए आधार को पुनः प्राप्त कर सकती है। हालाँकि, इसके लिए आवश्यक है कि सभी नेता एकजुट होकर काम करें और पार्टी के अंदर की असंतोष और भ्रातृत्व को समाप्त करें। बैठक में होने वाली चर्चाएं, संगठन की दिशा और आगामी चुनावों के अवसरों के लिए एक मजबूत नींव रख सकती हैं।

 

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