हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी पर राहुल गांधी का निर्णायक प्रहार: कहा- कांग्रेस संगठन बनाने में नहीं चलेगा हमारा आदमी-तुम्हारा आदमी

राहुल गांधी ने हरियाणा के सीनियर नेताओं की मीटिंग ली।

नरेंद्र सहारण, चंडीगढ़: Haryana Politics: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी में व्याप्त चिरकालिक गुटबाजी को समाप्त करने और संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और कठोर कदम उठाया है। बुधवार को दिल्ली में हरियाणा के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं और केंद्रीय व राज्य पर्यवेक्षकों के साथ हुई मैराथन बैठकों में राहुल गांधी ने न केवल गुटबाजी में संलिप्त नेताओं को एकजुटता का कड़ा संदेश दिया, बल्कि आगामी एक महीने के भीतर जिला स्तर पर संगठन खड़ा करने का एक स्पष्ट रोडमैप भी प्रस्तुत किया। उनका लहजा और निर्देश दोनों ही यह दर्शाते थे कि पार्टी आलाकमान अब किसी भी कीमत पर व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को संगठन के हितों पर हावी नहीं होने देगा।

हरियाणा में कांग्रेस पार्टी का इतिहास शानदार रहा है, लेकिन पिछले कुछ दशकों से यह निरंतर आंतरिक कलह और विभिन्न गुटों के बीच वर्चस्व की लड़ाई से जूझ रही है। इस गुटबाजी का खामियाजा पार्टी को कई चुनावों में भुगतना पड़ा है, जहाँ एकजुट विपक्ष का सामना करने के बजाय पार्टी के नेता एक-दूसरे को कमजोर करने में अधिक ऊर्जा लगाते दिखे। इसी पृष्ठभूमि में, राहुल गांधी का यह हस्तक्षेप हरियाणा कांग्रेस के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है, बशर्ते उनके निर्देशों का अक्षरशः पालन किया जाए।

राहुल गांधी का स्पष्ट संदेश

 

बैठक का केंद्रीय बिंदु संगठन निर्माण की प्रक्रिया थी और राहुल गांधी ने इस संदर्भ में किसी भी प्रकार की लाग-लपेट से परहेज किया। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा, “संगठन बनाने में हमारा आदमी-तुम्हारा आदमी नहीं चलेगा।” यह टिप्पणी सीधे तौर पर उन वरिष्ठ नेताओं को संबोधित थी जो अपने समर्थकों को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त करवाकर पार्टी के भीतर अपना प्रभाव क्षेत्र बनाए रखने की कोशिश करते हैं। राहुल गांधी ने स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस की सर्वोच्च प्राथमिकता अगले एक माह के भीतर प्रत्येक जिले में एक कार्यात्मक और प्रभावी जिला कांग्रेस कमेटी (डीसीसी) का गठन करना है, और इस प्रक्रिया में पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं को बिना किसी पूर्वाग्रह के पूर्ण सहयोग करना होगा।

विशेष रूप से राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में टिकटों के आवंटन में हुई कथित गड़बड़ियों या पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के कारणों जैसे विवादास्पद मुद्दों को चर्चा से बाहर रखा। उनका पूरा ध्यान भविष्य की रणनीति, विशेषकर संगठन को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया को समझाने पर केंद्रित था। यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है, जिसका उद्देश्य अतीत की कड़वाहट को पीछे छोड़कर भविष्य के लिए एक सकारात्मक और एकजुट माहौल बनाना है।

केंद्रीय पर्यवेक्षकों को खुली छूट और कड़ी चेतावनी

 

संगठन निर्माण की इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को निष्पक्ष और प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए राहुल गांधी ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों की भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने पर्यवेक्षकों से कहा कि वे न तो किसी नेता के दबाव में आएं, न किसी से डरें और न ही किसी के प्रभाव में आकर कोई निर्णय लें। उनका एकमात्र लक्ष्य निर्धारित समय अवधि के भीतर संगठन बनाने का काम पूरा करना होना चाहिए।

राहुल गांधी ने हरियाणा के कांग्रेस नेताओं को भी स्पष्ट निर्देश दिया कि वे केंद्रीय पर्यवेक्षकों का पूर्ण सहयोग करें। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि केंद्रीय पर्यवेक्षकों की ओर से ऐसी कोई भी शिकायत नहीं आनी चाहिए कि हरियाणा के नेताओं ने उनके काम में बाधा डाली या सहयोग नहीं किया। साथ ही, उन्होंने केंद्रीय व राज्य पर्यवेक्षकों को भी आगाह किया कि यदि जिलों के दौरे के दौरान उनकी कोई अनुचित गतिविधि या किसी नेता विशेष के प्रति झुकाव की शिकायत मिलती है, तो उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्हें स्पष्ट रूप से कहा गया कि वे नेताओं और कार्यकर्ताओं के घरों पर जाने से बचें और अपना पूरा ध्यान केवल जमीनी स्तर पर काम करने और निष्पक्ष मूल्यांकन पर केंद्रित रखें।

जिलाध्यक्षों के चयन की विस्तृत प्रक्रिया

 

राहुल गांधी ने जिलाध्यक्षों के चयन के लिए एक विस्तृत और चरणबद्ध प्रक्रिया भी निर्धारित की:

पहला चरण (जिला स्तरीय संवाद): केंद्रीय पर्यवेक्षकों को प्रत्येक जिले का दौरा करना होगा। उन्हें जिला कांग्रेस कमेटी के कार्यालयों में जाना होगा और वहां तीन से चार दिनों तक रुककर जिले के सभी सक्रिय कांग्रेस नेताओं, कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से व्यक्तिगत रूप से बातचीत करनी होगी। इस दौरान वे जिलाध्यक्ष पद के लिए इच्छुक उम्मीदवारों से आवेदन भी प्राप्त करेंगे। इसका उद्देश्य जमीनी हकीकत को समझना और विभिन्न दृष्टिकोणों को जानना है।

दूसरा चरण (वरिष्ठ नेताओं से परामर्श): आवेदन प्राप्त होने के बाद, पर्यवेक्षक अपने दूसरे चरण के दौरे में उन नामों पर जिले से संबंधित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं (जैसे पूर्व विधायक, सांसद, मंत्री और प्रदेश स्तर के महत्वपूर्ण पदाधिकारी) के साथ गहन विचार-विमर्श करेंगे। यह कदम स्थानीय राजनीतिक समीकरणों और उम्मीदवारों की स्वीकार्यता का आकलन करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।

पैनल निर्माण (समावेशी दृष्टिकोण): जितने भी आवेदन जिलाध्यक्ष पद के लिए प्राप्त होंगे, उनमें से पर्यवेक्षकों को गहन छानबीन और विचार-विमर्श के बाद छह नामों का एक पैनल तैयार करना होगा। राहुल गांधी ने विशेष रूप से निर्देश दिया कि इन पैनलों में अनुसूचित जाति (एससी) और पिछड़ा वर्ग (बीसी) समाज के योग्य नेताओं के साथ-साथ महिला नेत्रियों को भी उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए। यह कांग्रेस पार्टी की सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

अंतिम निर्णय: यह छह नामों का पैनल कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व (संभवतः कांग्रेस अध्यक्ष और संबंधित महासचिव) को भेजा जाएगा, जो इनमें से किसी एक नाम पर जिलाध्यक्ष के रूप में अंतिम मुहर लगाएगा।

डा. अशोक तंवर और बीरेंद्र सिंह पर राहुल गांधी की निगाह

राहुल गांधी ने इससे पहले हरियाणा के 18 वरिष्ठ नेताओं के साथ करीब दो घंटे तक बातचीत की। इनमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. अशोक तंवर का नाम ऐन वक्त पर जोड़ा गया था। उसके बाद केंद्रीय व राज्य पर्यवेक्षकों के साथ बैठक की, जिसमें हरियाणा के वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए। पर्यवेक्षकों की बैठक के दौरान केंद्रीय नेताओं के अलावा भूपेंद्र सिंह हुड्डा, चौधरी उदयभान, कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, दीपेंद्र सिंह हुड्डा, धर्मपाल सिंह मलिक व डा. अशोक तंवर सहित कई वरिष्ठ नेता मुख्य मंच पर राहुल के साथ बैठे। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह नीचे पर्यवेक्षकों के साथ बैठे थे। राहुल गांधी ने संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर इशारा किया। वेणुगोपाल ने बीरेंद्र सिंह को मुख्य मंच पर बुलाया। इस बातचीत के दौरान हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी बीके हरिप्रसाद, सह प्रभारी जितेंद्र बघेल और प्रफुल्ल गुडधे भी शामिल रहे।

बगल के जिले में न झांके और न उनके नेताओं से बात करें

 

राहुल गांधी ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों को समझाया कि वे किसी भी नेता के दबाव में न आएं। केंद्रीय पर्यवेक्षकों में कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य, सांसद, पूर्व सांसद, प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री स्तर के नेता शामिल हैं, जिन्हें अपने-अपने राज्यों में काम करने का लंबा अनुभव हासिल है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि कांग्रेस पर्यवेक्षकों को सिर्फ अपने जिले के नेताओं की बात सुननी है। उन्हें बगल के जिले में न तो झांकना है और न ही उस जिले के किसी नेता से बात करनी है। अपनी निष्पक्ष और गुटबाजी रहित रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व के पास पहुंचाएं, जिसके आधार पर 30 जून तक जिलाध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया को पूरा किया जाना है। कांग्रेस प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने संकेत दिए हैं कि यदि किसी कारण से जिलाध्यक्षों के चयन में देरी हुई तो इसे 15 जुलाई से आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। जिलाध्यक्षों के बाद ब्लाक और फिर प्रदेश संगठन का निर्माण होगा।

 

 

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