Rakhigarhi Study: 5500 नहीं, 8 हजार साल पुरानी है सिंधु घाटी सभ्यता, जानें राखीगढ़ी में और कौन से मिले साक्ष्य
नरेन्द्र सहारण, नारनौंद : Rakhigarhi Study: वैज्ञानिकों द्वारा सिंधु घाटी सभ्यता के अध्ययन के मुताबिक यह सभ्यता 5,500 नहीं बल्कि 8,000 साल पुरानी है। ऐसे में सिंधु घाटी मिस्र और मेसोपोटामिया की सभ्यता से भी पुरानी सभ्यता है। अब तक की पुरातात्विक प्रामाणिकता के अनुसार यह मान्यता रही कि आइकानिक राखीगढ़ी साइट लगभग 5 हजार साल पुरानी है। लेकिन हाल की खोदाई के बाद कार्बन डेटिंग की रिपोर्ट ने यह बताया है कि यहां मिले अवशेष आठ हजार वर्ष पुरानी सभ्यता के साक्ष्य हैं। पुरातत्व विभाग इस रिपोर्ट से खासा उत्साहित है।
पुरातत्व विभाग को नए साक्ष्य मिले
दरअसल, फरवरी 2023 को टीला-7 की खोदाई शुरू हुई थी। इस दौरान तीन कंकाल निकले थे। फिर पुरातत्व विभाग ने कंकाल के नीचे के हिस्से की खोदाई शुरू की तो वहां चूल्हा, हारा दूध गर्म करने का बर्तन चारकोल, पाटरी व ईंटें मिली थीं। इन अवशेषों को पुरातत्व विभाग ने भारतीय भूतत्व सर्वेक्षण विभाग नई दिल्ली कार्बन डेटिंग के लिए भेज दिया। अब इसकी रिपोर्ट आई है। इसमें बताया गया है कि प्राप्त अवशेष लगभग आठ हजार वर्ष पुरानी हड़प्पाकालीन सभ्यता के साक्ष्य हैं।
कंकालों की डीएनए रिपोर्ट खोलेगी और राज
यहां खोदाई के दौरान मिले तीन कंकालों को डीएनए के लिए भेजा गया था। लेकिन उनके डीएनए की रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। पुरातत्व विभाग ने कंकालों के नीचे की तरफ खोदाई की तो उनके नीचे मानव जीवन होने के प्रमाण मिले। पुरातत्व विभाग का मानना है कि इस रिपोर्ट के माध्यम से कई राज से पर्दा उठने की संभावना है।
आभास था बड़ा रहस्य उजागर होगा
पुरातत्व विभाग के अधिकारियों का दावा है कि उन्हें उसी दौरान आभास हो गया था कि यह सभ्यता और भी ज्यादा पुरानी हो सकती है। उन्होंने इन अवशेषों को भारतीय भूतत्व सर्वेक्षण विभाग नई दिल्ली में कार्बन डेटिंग के लिए भेज दिया। अब कार्बन डेटिंग की रिपोर्ट ने ये सबसे बड़ा रहस्य उजागर कर दिया है।
क्या है कार्बन डेटिंग
खोदाई के दौरान जो भी अवशेष निकलते हैं। उनको जांचने के लिए कार्बन डेटिंग की जाती है। उसके लिए सभी अवशेषों के टुकड़े और उनके पास की मिट्टी भी उठाई जाती है। इस दौरान पूरी सावधानी बरती जाती है। अवशेषों में किसी भी दूसरी मिट्टी के कण इसमें ना मिल जाए। इस पूरी प्रक्रिया के बाद सभी अवशेषों को कार्बन डेटिंग के लिए भेज दिया जाता हैं। हमारे देश के काफी शहरों में कार्बन डेटिंग की जाती है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अपर महानिदेशक पुरातत्व डा. संजय कुमार मंजुल ने बताया कि राखीगढ़ी के टीला-7 पर खोदाई के दौरान मिले अवशेषों को दिल्ली में कार्बन डेटिंग के लिए भेजा गया था। उनकी रिपोर्ट मिली है कि भेजे गए अवशेष करीब आठ हजार वर्ष पुराने है। अब राखीगढ़ी की हड़प्पाकालीन सभ्यता आठ हजार वर्ष पुरानी सभ्यता कहलाएगी।
कैसे नष्ट हुई सिंधु घाटी सभ्यता
– वैज्ञानिकों के मुताबिक, मौसम में हुए बदलाव के चलते ये सभ्यता नष्ट हुई थी।
– आईआईटी खड़गपुर के जियोलॉजी एवं जियोफिजिक्स विभाग के प्रमुख अनिंदय सरकार ने कहा कि हमने इस सभ्यता की सबसे पुरानी पॉटरी को खोज निकाला है। इसके समय का पता लगाने के लिए हमने ऑप्टिकली स्टिम्युलेटेड लूमनेसन्स तकनीक का इस्तेमाल किया।
– इससे पता चला कि ये पॉटरी हड़प्पा काल के लगभग 6 हजार साल पहले के हैं।
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