जींद में संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले, हिंदुओं की संगठित शक्ति से बन रहा राम मंदिर, गुलामी का प्रतीक थी बाबरी मस्जिद
नरेंद्र सहारण, जींद: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि सभी को समाज को संगठित करने के लिए तेजी से कार्य करना होगा। जब संपूर्ण राष्ट्र एकमुश्त शक्ति के साथ खड़ा होगा तो दुनिया का सारा अमंगलहरण कर यह देश फिर से विश्व गुरु बनकर खड़ा होगा। हिंदुओं की संगठित शक्ति के कारण भव्य राम मंदिर बन रहा है। अपने तीन दिवसीय जींद प्रवास के दौरान रविवार को उन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत की। उन्होंने स्वयंसेवकों के साथ मकर संक्रांति का पर्व मनाया। दोपहर बाद चार बजे वे गोहाना के लिए रवाना हो गए।
3 दिनों तक जींद प्रवास पर रहे मोहन भागवत
गोपाल स्कूल में सुबह छह बजे नगर के करीब 700 स्वयंसेवकों के साथ चर्चा की। उन्होंने कुछ संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। उनके साथ क्षेत्रीय संघचालक सीताराम व्यास, प्रांत संघचालक पवन जिंदल व विक्रम गिरी महाराज मौजूद रहे। भागवत ने कहा कि विश्व के सामने जो संकट हैं। भारत के विश्वगुरु बनने से वह सब शांति और उन्नति में बदल जाएंगे। सारी समस्याओं को ठीक करते हुए एक आदर्श विश्व खड़ा करने की ताकत हिंदुओं की संगठित अवस्था में है। इसी के चलते भव्य मंदिर बन रहा है। अभी और बहुत काम करना है। साथ में यह भी ध्यान रखेंगे कि जिस तपस्या के आधार पर यह काम हो रहा है, वह तपस्या हमें आगे भी जारी रखनी है। जिसके चलते संपूर्ण गंतव्य की प्राप्ति होगी।
सर संघचालक बोले- वर्षों के संघर्ष के बाद फिर खड़ा हो रहा हिंदुस्तान
उन्होंने कहा कि समाज में तीन शब्द चलते हैं क्रांति, उत्क्रांति और संक्रांति तीनों का अर्थ परिवर्तन है। परंतु परिवर्तन किस तरीके से आया उसमें अंतर आता है। संक्रांति यहां आदि काल से प्रचलित है। बड़े-बड़े कार्य स्व के आधार पर सत्य के आधार पर होते हैं। उनका जीवन शुद्ध, निष्कलंक, सतचरित्र था। विरोधी भी उनका सम्मान करते थे। अविचल दृढ़ता के साथ जो ध्येय निश्चित किया पूरा विचार करके उसकी सिद्धी के लिए डाक्टर हेडगेवार अकेले चल पड़े और आगे चलकर बाकी सारी बातें धीरे-धीरे जुड़ गई। उनके सत्व, निश्चय को देखकर इस तपस्या को आगे जारी रखने के लिए संघ की पद्धति से हजारों स्वयंसेवक खड़े हुए। यह दीर्घ तपस्या चली है, उसके कारण देश के जीवन में जो परिवर्तन आने ही वाला है। उसका प्रारंभ का संकेत श्रीराम मंदिर है।
भारतवर्ष का शील ‘वसुधैव कुटुंबकम’
जैसे संक्रांति के बाद अच्छा परिवर्तन आता है। ठंड कम होकर गर्मी बढ़ती है और लोगों की कर्मशीलता बढ़ती ठीक उसी प्रकार देश के जीवन में भी अच्छा परिवर्तन आने वाला है। उन्होंने कहा कि भारतवर्ष का शील ‘वसुधैव कुटुंबकम’। भागवत ने कहा कि दुनिया की ज्यादातर संस्कृति अपने शील के साथ मिट गई, लेकिन हिंदू हर प्रकार के उतार-चढ़ाव से निकल कर भी जिंदा है। हमें ऐसे जीना है कि हमको देख कर दुनिया जीना सीखे।
वर्षों का सपना अब होने जा रहा है पूरा
उन्होंने कहा कि हिंदू समाज के मन में था इसलिए गुलामी का प्रतीक ढहाया गया। इसके अलावा अयोध्या में किसी भी मस्जिद को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ। कारसेवकों ने कहीं दंगा नहीं किया। हिंदू का विचार विरोध का नहीं, प्रेम का रहता है। इसे संक्रांति कहते हैं।
1500 स्थानों पर चल रही शाखाएं
भागवत ने जींद के स्वयंसेवकों से शाखा के माध्यम से पंच परिवर्तन के विषय स्वदेशी, नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण, सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन ये पंच परिवर्तन के कार्यों को आमजन तक पहुंचाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इन पंच परिवर्तन के कार्यों से ही समाज में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। उन्होंने स्वयंसेवकों से शाखाएं बढ़ाने का आह्वान भी किया। इस समय हरियाणा में 800 स्थानों पर 1500 शाखाएं चल रही हैं।
कर्मचारी संगठन के दो लोग आयोजन स्थल में घुसे, सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप
गोपाल स्कूल में चल रहे समारोह के दौरान सुरक्षा कड़ी ही। सर संघचालक मोहन भागवत को जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई है। ऐसे में प्रवेश द्वार से ही कड़ी सुरक्षा के प्रबंध रहे। इसके बावजूद रविवार दोपहर को 12 बजे एक कर्मचारी संगठन से जुड़े दो लोग गोपाल स्कूल में पहुंच गए। इन लोगों ने हाथ में पगड़ी व शाल लिया था और यह मोहन भागवत को भेंट करना चाहते थे। जब यह समारोह स्थल पर पहुंचे तो राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के सुरक्षाकर्मियों की नजर इन पर पड़ी तो उनमें हड़कंप मच गया। इन दोनों ने कहा कि उनके पास कोई निमंत्रण नहीं है। वे भागवत को पगड़ी और शाल भेंट करने के लिए आए हैं। इस पर दोनों को वापस लौटा दिया। हालांकि, बाद में भी सुरक्षा व खुफिया एजेंसियां इनके बारे में जानकारी जुटाती रहीं। एसपी सुमित कुमार ने कहा कि इस प्रकार की कोई घटना नहीं हुई है।