जातिगत जनगणना के खिलाफ नहीं RSS, पर चुनावी इस्तेमाल को लेकर दी नसीहत
पलक्कड़ (केरल), बीएनएम न्यूजः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की ओर से जातिगत जनगणना को लेकर बड़ा बयान सामने आया है। संघ ने जाति जनगणना (Caste Census) के लिए अपना समर्थन जताया है, मगर कुछ शर्तें भी रखी हैं। केरल के पलक्कड़ में तीन दिन तक चली समन्वय बैठक के समापन के बाद आरएसएस के मुख्य प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने सवालों के जवाब दिए।
जातिगत जनगणना के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि जन कल्याण के लिए यह उपयोगी है, लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि इसका इस्तेमाल चुनावी उद्देश्यों के लिए न हो।सुनील आंबेकर ने कहा, ‘हमारे समाज में जाति संवेदनशील मुद्दा है। यह देश की एकता से भी जुड़ा हुआ सवाल है। इसलिए इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है, न कि चुनाव और राजनीति को ध्यान में रखकर।
जाति जनगणना पर
आंबेकर ने कहा- हमारे हिंदू समाज में जाति बहुत संवेदनशील मुद्दा है। जनगणना हमारी राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के लिए अहम है। इसे बहुत गंभीरता के साथ किया जाना चाहिए। किसी जाति या समुदाय की भलाई के लिए भी सरकार को आंकड़ों की जरूरत होती है। ऐसा पहले भी हो चुका है। लेकिन इसे सिर्फ समाज की भलाई के लिए किया जाना चाहिए। चुनावों का पॉलिटिकल टूल न बनाएं।
कोलकाता रेप-मर्डर केस
आंबेकर ने कोलकाता रेप-मर्डर को दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया। वे बोले- हर कोई इससे चिंतित है। देश में ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। हमने सरकार की भूमिका, आधिकारिक तंत्र, कानून, सजा पर चर्चा की है। सभी का मानना है कि ऐसे मामलों पर दोबारा विचार करने की जरूरत है, ताकि हम फास्टट्रैक जैसी प्रोसेस अपना सकें और पीड़ित को न्याय दिला सकें।
अत्याचार से पीड़ित महिलाओं को त्वरित न्याय की जरूरत’संघ की मीटिंग में पश्चिम बंगाल में महिला डॉक्टर के साथ हुई जघन्य घटना की निंदा की गई और इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया गया। अत्याचार से पीड़ित महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाने के लिए कानूनों और दंडनीय कार्रवाइयों पर फिर से विचार करने की जरूरत पर बल दिया गया।
यूनिफॉर्म सिविल कोड
यूसीसी मॉडल पहले से ही जनता के बीच है। उत्तराखंड में यूसीसी को अपनाने से पहले उन्होंने इसे सार्वजनिक डोमेन में रखा था। इसलिए मुझे लगता है कि उन्हें 2 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए और उन्होंने इस पर चर्चा की। मुझे लगता है कि अब यह सार्वजनिक डोमेन में है। जनता को इसका अनुभव है, फिर हम इस पर चर्चा कर सकते हैं।
बांग्लादेश में हिंदुओं के हालात पर
सुनील ने बताया कि बैठक के दौरान कई संगठनों ने बांग्लादेश के हालात पर विस्तृत रिपोर्ट पेश की है। बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के बारे में हर कोई चिंतित है। हमने सरकार से वहां के हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ बातचीत करने का अनुरोध किया है।
’3 दिन तक चली अखिल भारतीय समन्वय बैठकबता दें कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और 6 संयुक्त महासचिवों की मौजूदगी में तीन-दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक शनिवार को शुरू हुई।
विज्ञप्ति में कहा गया कि बैठक में संघ से प्रेरित 32 संगठनों के राष्ट्रीय स्तर के नेता भी शामिल हुए, जिनमें भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, इसके महासचिव (संगठन) बीएल संतोष, विश्व हिंदू परिषद के प्रमुख आलोक कुमार और भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष हिरण्मय पंड्या शामिल हैं।
बैठक के पहले दिन वायनाड में हाल ही में हुए भूस्खलन और स्वयंसेवकों की ओर से किए गए राहत व बचाव कार्यों के बारे में जानकारी दी गई। इन कार्यकर्ताओं में महिलाएं भी शामिल हैं। विभिन्न संगठनों के संगठन सचिवों ने अपनी गतिविधियों के बारे में जानकारी और अनुभव साझा किए।
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