Russian Ukraine War: यूक्रेन का रूस में वायुसेना अड्डों पर पर्ल हार्बर जैसा सबसे बड़ा हमला, युद्ध पहुचा विस्फोटक मोड़ पर

मास्को : लगभग 40 महीने से अधिक समय से चल रहा रूस-यूक्रेन युद्ध रविवार को एक ऐसे नाटकीय और खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया, जिसने न केवल सैन्य विशेषज्ञों को चौंका दिया है बल्कि वैश्विक स्तर पर एक नई चिंता की लहर पैदा कर दी है। यूक्रेन ने एक अभूतपूर्व और दुस्साहसिक सैन्य ऑपरेशन को अंजाम देते हुए रूस की धरती पर लगभग 4,300 किलोमीटर अंदर साइबेरिया स्थित बेलाया वायुसेना अड्डे पर ड्रोन हमला किया। यह अड्डा रूस के परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम लंबी दूरी के बमवर्षक विमानों का एक महत्वपूर्ण ठिकाना है। इस हमले में रूसी वायुसेना के 40 से अधिक रणनीतिक विमानों को भारी नुकसान पहुंचा है, जिनमें से कुछ को ऊंची लपटों के साथ धू-धू कर जलते हुए देखा गया। इस घटना की तुलना द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुए पर्ल हार्बर हमले से की जा रही है, जिसने अमेरिका को युद्ध में खींच लिया था। इस हमले के बाद यह आशंका प्रबल हो गई है कि रूस इसका बदला लेने के लिए यूक्रेन में बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकता है और इसके संकेत तत्काल रूसी जवाबी कार्रवाई में दिखने भी लगे हैं।
बेलाया एयरबेस पर हमला
यूक्रेनी ड्रोन हमलों का मुख्य निशाना इरकुत्स्क प्रांत स्थित बेलाया वायुसेना अड्डा था। यह हमला यूक्रेन की अब तक की सबसे लंबी दूरी की सैन्य कार्रवाई मानी जा रही है। रूसी सीमा से 4,300 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करके इस रणनीतिक महत्व के एयरबेस पर हमला करना यूक्रेन की बढ़ती तकनीकी क्षमता और खुफिया तंत्र की सफलता का परिचायक है। यूक्रेनी सूत्रों के अनुसार, इस हमले में रूस के टीयू-95 (नाटो कोडनेम: बेयर) और टीयू-22एम (नाटो कोडनेम: बैकफ़ायर) बमवर्षक विमानों को निशाना बनाया गया। ये वही विमान हैं जिनका इस्तेमाल रूस अक्सर यूक्रेन के शहरों और बुनियादी ढांचों पर क्रूज, बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइलें दागने के लिए करता रहा है। इन विमानों की क्षति रूस की लंबी दूरी की मारक क्षमता और परमाणु प्रतिरोधक क्षमता के लिए एक बड़ा झटका है।
डेढ़ साल से ज्यादा का समय लगा
यूक्रेनी अधिकारियों ने इस ऑपरेशन की जटिलता और दीर्घकालिक योजना का खुलासा करते हुए बताया कि इसकी तैयारी में डेढ़ साल से ज्यादा का समय लगा था। हमले को अंजाम देने के तरीके भी चौंकाने वाले हैं। एक यूक्रेनी अधिकारी के अनुसार, ड्रोनों को कंटेनरों में रखकर ट्रकों के माध्यम से रूसी सीमा के भीतर ले जाया गया और फिर वहां से उन्हें लॉन्च किया गया। कुछ अपुष्ट सूत्रों ने यह भी दावा किया है कि ड्रोनों को रूसी क्षेत्र के अंदरूनी इलाकों में झोपड़ियों जैसी साधारण जगहों पर छिपाकर रखा गया था और वहीं से ऑपरेट किया गया। यदि यह सत्य है तो यह रूस की आंतरिक सुरक्षा और काउंटर-इंटेलिजेंस पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है। इसके अतिरिक्त, बेलाया एयरबेस के अलावा रूस के चार अन्य वायुसेना अड्डों पर भी यूक्रेनी ड्रोन हमलों की सूचना है। इनमें ओलेन्या वायुसेना अड्डा भी शामिल है जो रूस के उत्तर-पश्चिम में स्थित है और रणनीतिक बमवर्षकों का एक और महत्वपूर्ण बेस है। हालांकि, इन अन्य हमलों में हुए नुकसान का विस्तृत विवरण अभी प्राप्त नहीं हुआ है।
Ukraine carries out the biggest ever swarm drone attack on multiple Russian airfields, claims over 40 aircraft damaged or destroyed deep inside Russia. These bases are 2,000 – 4,500 km inside Russia.
pic.twitter.com/czw7f2PEMh— Arun Pudur (@arunpudur) June 1, 2025
यूक्रेन का दावा और जश्न
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूसी हवाई ठिकानों पर किए गए इन ड्रोन हमलों को “शानदार” बताते हुए इसकी प्रशंसा की है। उन्होंने अपने टेलीग्राम मैसेजिंग ऐप पर लिखा, “बिल्कुल शानदार परिणाम। इस ऑपरेशन की तैयारी में डेढ़ साल से ज्यादा का समय लगा था। यह हमारा सबसे लंबी दूरी का ऑपरेशन है और इससे मॉस्को को काफी नुकसान हुआ है।” जेलेंस्की का यह बयान यूक्रेनी सेना और जनता का मनोबल बढ़ाने वाला है जो लंबे समय से रूसी हमलों का सामना कर रहे हैं।
यूक्रेन की सुरक्षा एजेंसी एसबीयू (Security Service of Ukraine) ने इन हमलों की जिम्मेदारी लेते हुए कहा, “रूस में दुश्मन के रणनीतिक विमान समूह जल रहे हैं।” एसबीयू का यह दावा यूक्रेन की उस रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत वह युद्ध को रूस की धरती पर ले जाकर क्रेमलिन पर दबाव बनाना चाहता है। इन हमलों का उद्देश्य न केवल रूस की सैन्य क्षमताओं को कम करना है, बल्कि रूसी नेतृत्व और जनता के बीच यह संदेश भेजना भी है कि वे अब युद्ध के प्रभावों से अछूते नहीं रह सकते।
रूस की प्रतिक्रिया: पुष्टि, जवाबी हमला और गिरफ्तारियां
शुरुआती इनकार के बाद रूस के रक्षा मंत्रालय ने अंततः बेलाया वायुसेना अड्डे पर हमले की पुष्टि की और माना कि उसके कई सैन्य विमान आग के शिकार हुए हैं। इरकुत्स्क प्रांत के गवर्नर इगोर कोबजेव ने भी सैन्य ठिकाने पर ड्रोन हमले की बात स्वीकार की। रूस समर्थक कई डिफेंस ब्लॉगर्स ने सोशल मीडिया पर यूक्रेनी हमले के वीडियो और तस्वीरें पोस्ट की हैं, जिनमें वायुसेना अड्डे के ऊपर आकाश में काले धुएं का विशाल गुबार उठता हुआ दिखाई दे रहा है। इस हमले के तत्काल बाद रूस ने यूक्रेन पर अब तक के सबसे बड़े ड्रोन और मिसाइल हमलों में से एक को अंजाम दिया। यूक्रेनी अधिकारियों के अनुसार, रूस ने यूक्रेन के विभिन्न शहरों और सैन्य ठिकानों पर 472 ड्रोन और सात मिसाइलें दागीं। इस जवाबी कार्रवाई में एक यूक्रेनी सेना के ट्रेनिंग सेंटर को भी निशाना बनाया गया, जिसमें कम से कम 12 यूक्रेनी सैनिकों के मारे जाने और 60 के घायल होने की सूचना है। यह रूस की ओर से एक स्पष्ट संकेत था कि वह यूक्रेन के किसी भी दुस्साहसिक कदम का कड़ा जवाब देगा। रूसी रक्षा मंत्रालय ने यह भी दावा किया है कि इन हमलों में शामिल कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, इस दावे की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो पाई है, और यह स्पष्ट नहीं है कि गिरफ्तार किए गए लोग कौन हैं और उनकी क्या भूमिका थी।
पर्ल हार्बर की प्रतिध्वनि: ऐतिहासिक तुलना
यूक्रेन द्वारा बेलाया एयरबेस पर किए गए हमले की तुलना कई सैन्य विश्लेषकों द्वारा 7 दिसंबर, 1941 को जापानी नौसेना द्वारा अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर्ल हार्बर पर किए गए औचक हमले से की जा रही है। इस ऐतिहासिक हमले की पृष्ठभूमि को समझना महत्वपूर्ण है ताकि वर्तमान संदर्भ में इसके निहितार्थों का आकलन किया जा सके।
पर्ल हार्बर हमला: एक ऐतिहासिक संदर्भ
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका शुरू में सीधे तौर पर युद्ध में शामिल होने से बच रहा था। हालांकि, प्रशांत क्षेत्र में जापान की बढ़ती विस्तारवादी महत्वाकांक्षाएं अमेरिका के लिए चिंता का विषय थीं। जापान को यह महसूस हो रहा था कि अमेरिका उसकी योजनाओं में बाधा बन सकता है, इसलिए जापानी सैन्य नेतृत्व ने अमेरिका पर एक निर्णायक हमला करने की योजना बनाई ताकि अमेरिकी प्रशांत बेड़े को पंगु बनाया जा सके। जापान ने हवाई द्वीप में स्थित अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर्ल हार्बर को अपने हमले के लिए चुना क्योंकि यह अमेरिकी नौसैनिक शक्ति का एक प्रमुख केंद्र था। 7 दिसंबर, 1941 की सुबह जापानी विमानों ने बिना किसी पूर्व चेतावनी के पर्ल हार्बर पर बमबारी शुरू कर दी। अमेरिकी इस हमले के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे। इस हमले में अमेरिका के 300 से अधिक विमान नष्ट हो गए, कई युद्धपोत डूब गए या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए और 2400 से अधिक अमेरिकी सैनिकों और नागरिकों की मौत हो गई।
पर्ल हार्बर के बाद अमेरिका का युद्ध में प्रवेश
पर्ल हार्बर पर हुए इस विनाशकारी हमले ने अमेरिकी जनमत को झकझोर कर रख दिया और अमेरिका ने तुरंत जापान के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी, जिसके साथ ही वह आधिकारिक तौर पर द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल हो गया। इसके बाद अमेरिका ने जापान के खिलाफ एक लंबा और खूनी संघर्ष छेड़ा। शुरुआती झटकों के बावजूद अमेरिका ने औद्योगिक और सैन्य ताकत का इस्तेमाल करते हुए जापान को पीछे धकेलना शुरू किया। अंततः अगस्त 1945 में जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराने के बाद जापान को आत्मसमर्पण करना पड़ा।
वर्तमान संदर्भ में तुलना
हालांकि बेलाया एयरबेस पर हमला और पर्ल हार्बर हमले के पैमाने और भू-राजनीतिक संदर्भ में भारी अंतर है, फिर भी कुछ समानताएं ध्यान देने योग्य हैं। दोनों ही मामलों में एक पक्ष ने दूसरे पक्ष के महत्वपूर्ण सैन्य ठिकाने पर एक औचक और विनाशकारी हमला किया, जिसका उद्देश्य उसकी सैन्य क्षमताओं को नुकसान पहुंचाना और एक मनोवैज्ञानिक संदेश देना था। जिस प्रकार पर्ल हार्बर हमले ने अमेरिका को द्वितीय विश्व युद्ध में पूरी तरह से झोंक दिया था, उसी प्रकार यह आशंका जताई जा रही है कि बेलाया एयरबेस पर हुआ हमला रूस को यूक्रेन में और अधिक आक्रामक तथा विनाशकारी कार्रवाई करने के लिए प्रेरित कर सकता है, संभवतः उन “रेड लाइन्स” को भी पार कर सकता है जिनका अब तक सम्मान किया जाता रहा है।
यूक्रेनी थलसेना प्रमुख का इस्तीफा
यूक्रेनी हमलों की सफलता की खबरों के बीच एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ जिसने यूक्रेनी सैन्य नेतृत्व में संभावित तनावों को उजागर किया। रूसी मिसाइल हमले में एक सेना ट्रेनिंग सेंटर पर 12 सैनिकों के मारे जाने और 60 के घायल होने की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए यूक्रेन के थलसेना प्रमुख मेजर जनरल मिखाइलो ड्रैपेती ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। मेजर जनरल ड्रैपेती को नवंबर 2024 में ही इस महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया गया था। लगभग 40 महीने से जारी इस युद्ध के दौरान इस्तीफा देने वाले वह सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों में से एक हैं। उनका इस्तीफा यूक्रेनी सेना के भीतर चल रहे दबाव और युद्ध की मानवीय लागत को दर्शाता है।
रूस में बुनियादी ढांचे पर हमले: रेलवे पुलों का ढहना
साइबेरिया में एयरबेस पर हमले के अतिरिक्त रूस के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया। शनिवार-रविवार की रात रूस में दो अलग-अलग स्थानों पर हुए विस्फोटों में दो रेलवे पुल ढह गए। पहली घटना यूक्रेन सीमा के नजदीक स्थित ब्रियांस्क प्रांत में हुई, जहां एक पैसेंजर ट्रेन के पटरी से उतरने और पुल के ढहने से ट्रेन के ड्राइवर सहित सात लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हुए। कुछ घंटों बाद यूक्रेन की सीमा से सटे एक अन्य प्रांत कुर्स्क में भी एक मालगाड़ी के नीचे बने पुल पर विस्फोट हुआ जिससे मालगाड़ी के कई वैगन सड़क पर जा गिरे और आग लग गई। इस घटना में किसी के मारे जाने की सूचना नहीं है।
रूसी अधिकारियों ने इन घटनाओं के पीछे यूक्रेनी खुफिया एजेंसियों का हाथ होने का संदेह जताया है। हालांकि यूक्रेन ने आधिकारिक तौर पर इन हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है। ये घटनाएं दर्शाती हैं कि यूक्रेन युद्ध को रूस की धरती पर ले जाने के लिए न केवल सैन्य ठिकानों को बल्कि महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक और परिवहन नेटवर्क को भी निशाना बना रहा है।
अनिश्चितता और बढ़ते खतरे
यूक्रेन द्वारा रूस के अंदरूनी हिस्सों में किए गए ये सफल और दुस्साहसिक हमले युद्ध को एक नए और अधिक खतरनाक चरण में ले जा सकते हैं।
रूस की संभावित प्रतिक्रिया: रूस जो पहले से ही यूक्रेन के ऊर्जा बुनियादी ढांचे और शहरों पर लगातार हमले कर रहा है, अब और भी अधिक आक्रामक रुख अपना सकता है। “पर्ल हार्बर” जैसी तुलनाएं रूसी नेतृत्व को यह महसूस करा सकती हैं कि उन्हें अपनी ताकत का प्रदर्शन करने और यूक्रेन को सबक सिखाने के लिए असाधारण कदम उठाने की आवश्यकता है। इसमें बड़े पैमाने पर मिसाइल और ड्रोन हमले, सीमावर्ती क्षेत्रों में आक्रामक जमीनी कार्रवाई या यहां तक कि (चरम स्थिति में) सामरिक परमाणु हथियारों के सीमित उपयोग की धमकी या वास्तविक उपयोग भी शामिल हो सकता है।
यूक्रेन की रणनीति: यूक्रेन ने यह प्रदर्शित किया है कि उसके पास न केवल रूस के हमलों का बचाव करने की क्षमता है, बल्कि वह रूस को उसकी धरती पर भी चुनौती दे सकता है। यह रणनीति पश्चिमी सहयोगियों से और अधिक उन्नत हथियार और खुफिया सहायता प्राप्त करने के यूक्रेन के प्रयासों को भी बल दे सकती है।
अंतर्राष्ट्रीय निहितार्थ: युद्ध का यह नया चरण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए भी गंभीर चिंता का विषय है। संघर्ष के अनियंत्रित रूप से बढ़ने का खतरा जिसमें नाटो देशों के अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होने की संभावना भी है, एक बड़े क्षेत्रीय या वैश्विक टकराव का कारण बन सकता है।
एक अनिश्चित भविष्य की ओर
यूक्रेन द्वारा साइबेरिया स्थित रूसी परमाणु बमवर्षक अड्डे पर किया गया हमला और रूस के भीतर अन्य ठिकानों को निशाना बनाना इस लंबे और क्रूर युद्ध में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह न केवल यूक्रेन की बढ़ती सैन्य क्षमताओं और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है, बल्कि रूस की आंतरिक सुरक्षा और वायु रक्षा प्रणालियों की कमजोरियों को भी उजागर करता है। “पर्ल हार्बर” की तुलना इस घटना की गंभीरता और इसके संभावित दूरगामी परिणामों को रेखांकित करती है। आने वाले दिन और सप्ताह यह स्पष्ट करेंगे कि रूस इस चुनौती का जवाब कैसे देता है और यह संघर्ष किस दिशा में आगे बढ़ता है। मेजर जनरल ड्रैपेती का इस्तीफा यूक्रेनी पक्ष में भी सब कुछ ठीक न होने का संकेत देता है। एक बात निश्चित है: यह युद्ध अब एक ऐसे बिंदु पर पहुँच गया है जहाँ किसी भी पक्ष द्वारा की गई कोई भी बड़ी कार्रवाई अप्रत्याशित और खतरनाक परिणाम ला सकती है, जिससे न केवल दोनों देशों बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा और स्थिरता दांव पर लग गई है।