42 साल बाद साथ आई सलीम-जावेद की जोड़ी, एंग्री यंग मेन की डाक्यू सीरीज के ट्रेलर लांच पर साथ आए दोनों

मशहूर पटकथा लेखक सलीम-जावेद।

मुंबई, बीएनएम न्यूज। पिछली सदी के सातवें दशक में शोले, जंजीर, दीवार, डान जैसी सुपरहिट फिल्मों की पटकथा लिखने वाले सलीम-जावेद (सलीम खान और जावेद अख्तर) हिंदी सिनेमा के पहले लेखक हैं, जिन्होंने उस दौर में अपनी स्क्रिप्ट्स के लिए अमिताभ बच्चन से ज्यादा फीस ली थी। साल 1982 में अलग होने से पहले इस जोड़ी ने 24 फिल्में लिखी। इनमें 22 फिल्में सुपरहिट रहीं। करीब 42 साल बाद जब यह जोड़ी मुंबई में अपनी डाक्यू सीरीज एंग्री यंग मेन के ट्रेलर लांच के मौके पर मंच पर एकसाथ आई, तो खचाखच भरा हाल तालियों की गड़गडाहट से गूंज उठा। इस दौरान मंच पर सलीम के बेटे सलमान खान, तो जावेद के बेटे फरहान अख्तर और बेटी जोया अख्तर भी मौजूद रहे। सलमान के साथ जोया और फरहान ने संयुक्त रूप से डाक्यू सीरीज बनाई है।

ट्रेलर लॉन्च इवेंट में पहुंचे सलीम और जावेद। यहां दोनों ने एक दूसरे से जुड़े कुछ किस्से भी सुनाए।

जोड़ी बैठकर नहीं बनाई

 

सलीम-जावेद से जब उनकी जोड़ी की सफलता का राज पूछा गया, तो अपने चुटकीले अंदाज में सलीम ने कहा कि फार्मूला यह है हममें थोड़ी बहुत अक्ल थी, बाकी सब बेवकूफ थे। वहीं अपनी जोड़ी को लेकर जावेद ने कहा कि यह जोड़ी सोच समझकर नहीं बनाई थी। यह बस बन गई। मुझे हिंदी सिनेमा में पहली नौकरी पचास रुपये की मिली थी। फिर सौ रुपये की नौकरी एस एम सागर के साथ बतौर असिस्टेंट मिली। मैं उनकी फिल्म सरहदी लुटेरा के डायलाग भी लिख रहा था, क्योंकि कोई और लेखक नहीं मिल रहा था। हम लोग माहिम की झोपड़पट्टी में भी गए थे, जहां एक लेखक था, लेकिन उसने इन्कार कर दिया। फिर सागर ने कहा कि तुम लिखो। मतलब यह पसंद का मामला नहीं था, लेकिन सरहदी लुटेरा मेरी जिंदगी की सबसे अहम फिल्म है, क्योंकि यहीं पर मैं सलीम साहब से मिला। वह फिल्म में रोमांटिक भूमिका निभा रहे थे। मैं डायलाग लिखता था। मुझे निर्माता और निर्देशक इतना परेशान करते थे कि मैंने तय कर लिया था कि इसके बाद नहीं लिखूंगा।

सलीम साहब ने मुझे लगातार हिम्मत दी और प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आप इस फिल्म में ऐसे डायलाग लिख सकते हैं, तो सोचिए कोई ठीक फिल्म होगी तो कैसा लिखेंगे। आप राइटर बनिए। उसके बाद मैं एक दोस्त के यहां बांद्रा आ गया। उसके साथ रहता था। किराया वो देता था। सलीम साहब का घर पास था, तो उनके घर जाने लगा। मुहब्बत के साथ एक समय का खाना पक्का हो गया। हम बैठते थे। कहानियां वगैरह सोचते थे। एक बार सागर साहब ने कहा कि एक शार्ट स्टोरी है, तुम दोनों उसका पुख्ता स्क्रीन प्ले बना दो। हमने कहा ठीक है। कितना पैसा देंगे उन्होंने कहा पांच हजार रुपये। मेरी तो दिल की धड़कन थम गई। हमने कहा ठीक है। हमने 14-15 दिन में स्क्रिनप्ले लिखकर दे दिया। यह घोस्ट राइटिंग थी।

जावेद अख्तर के बेटे फरहान अख्तर ने भी कई किस्से शेयर किए।

हमारा नाम नहीं था पिक्चर में, लेकिन वहां एक सुधीर भाई थे। उन्हें पता था कि हमारा काम है। उन्होंने कहा कि सिप्पी फिल्म चले जाओ। हमने कहां कि वो इतनी बड़ी कंपनी है, हमें कहां काम देगी। लेकिन एक दोपहर कुछ करने को नहीं था तो मैं वहां चला गया। वहां बात-वात की तो उन्होंने कहा कि आप आ जाइए। मैंने कहा कि हम साथ काम कर रहे थे। अभी एक स्क्रिप्ट खत्म की। बोले आप दोनों आ जाइए। हम दोनों वहां गए और हमें काम मिल गया। वहां राजेश खन्ना से मुलाकात हो गई। राजेश खन्ना ने कहा कि फिल्म हाथी मेरे साथी का स्क्रिनप्ले लिख दो। कोई ऐसा दिन नहीं था जब हमने दोनों ने बैठकर तय किया कि हमें जोड़ी बनानी चाहिए। यह अपने आप होता गया।

सलीम और जावेद के स्टेज पर पहुंचने से पहले सलमान ने इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर अपने एक्सपीरियंस शेयर किए।

क्रांति के क्रेडिट पर बोले सलमान

 

मंच पर मौजूद सलमान इस दौरान पिता की कुर्सी के पीछे ही खड़े रहे। वह उनके कंधे पर अपना एक हाथ रखे रहे। जब फरहान से सलीम-जावेद की पसंदीदा फिल्म के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने उनका काम बहुत बार देखा है, भले ही वो शोले हो या दीवार, लेकिन क्रांति फिल्म सबसे ज्यादा शायद तीन सौ बार देखी है। बहुत एंटरटेनिंग फिल्म है। इस दौरान जावेद ने सलमान से कुछ कहा, जिसके बाद ‘दबंग’ अभिनेता ने कहा कि मैं टोकना चाहूंगा कि मनोज कुमार ने सलीम-जावेद से क्रांति का क्रेडिट लिया। उन्होंने (मनोज कुमार) कहा कि उन्होंने क्रांति को लिखा है। इस पर फरहान ने कहा कि उन्होंने लिखा है, तो हम मनोज जी पर अलग से डाक्यमेंट्री बनाएंगे। आगे सलमान ने कहा कि यह हकीकत है। उन्होंने कहा कि मैं लिखता था, इन्हें सुनाता था फिर यह वही करके चले जाते थे। उल्लेखनीय है कि क्रांति की कहानी और स्क्रीनप्ले का श्रेय सलीम-जावेद को दिया गया है, वहीं निर्देशन, सह गीतकार और संवाद लेखक में मनोज कुमार का नाम है।

इस मौके पर जब तक सलमान के पिता सलीम खान स्टेज पर बैठे रहे तब तक सलमान उनके पीछे खड़े रहे।

ब्रैट (बदतमीज) बोलने पर नाराज दिखे सलमान

 

डाक्यूमेंट्री में लेखक जोड़ी को ब्रैट भी बताया गया है। यह बुलाए जाने से खफा सलमान ने कहा कि दो लोग लगातार हिट फिल्में दे रहे थे और उन्हें बहुत सारे कलाकारों और निर्माताओं को इन्कार करना पड़ा। तो यह बातें वहां से आती हैं कि ये लोग अपने आप को समझते क्या हैं, इनका दिमाग खराब हो गया है। दिमाग इनका खराब नहीं हुआ था। इनका दिमाग अच्छा चल ही रहा था। यह हिट पर हिट दे रहे थे, जिनके साथ यह काम नहीं कर पाए, उन्होंने इन्हें टैग कर दिया कि इनका दिमाग खराब था। जिन्होंने उनको यह बोला उनका दिमाग खराब था।

स्टेज पर बैठीं जावेद अख्तर की बेटी जोया अख्तर।

मोटी फीस लेंगे लिखने की

 

जावेद ने कहा कि अब मैं आपको बता दूं कि हम लिखने जा रहे हैं। मैंने उनसे (सलीम खान) कहा है, ‘बस एक और पिक्चर हम साथ में लिखेंगे। उस जमाने में भी हमारी कीमत ज्यादा थी, इस जमाने में तो बहुत ज्यादा होगी, वो देख लीजिएगा।’

इस मौके पर सलीम और जावेद दोनों का ही पूरा परिवार मौजूद रहा।

मेरे पास दो-दो मां हैं

 

जब सलमान से दोनों की लिखी फिल्मों में से पसंदीदा फिल्म का डायलाग पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि मेरे पास मां है। फिर हाथ उठाकर दो उंगलिया दिखते कहा वो भी दो। यह सुनकर सभागार ठहाकों से गूंज उठा। हालांकि यह कार्यक्रम हिंदी सिनेमा के प्रख्यात लेखकों को लेकर था, लेकिन कार्यक्रम में ज्यादातर सवाल जवाब अंग्रेजी में हो रहे थे। अगर यह हिंदी में होता तो कार्यक्रम में चार चांद लग जाते।

 

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