MSP पर SBI की रिपोर्ट और पंजाब सरकार का डाटा दे रहे खतरनाक संकेत, 5 साल में एक चौथाई रह गई कृषि क्षेत्र की तरक्की
नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। पंजाब में इस साल मूंग का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुना अधिक होने के कारण, किसान परेशान हैं और वे इसे एमएसपी से नीचे निजी खरीददारों को बेचने के लिए मजबूर हैं।किसान अपनी कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी मांगते रहे हैं। सरकार कहती रही है कि गारंटी के बिना भी वह किसानों को एमएसपी का पूरा फायदा दे रही है। लेकिन, आकंड़े उलट कहानी बयां कर रही है।
भारतीय स्टेट बैंक की एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि फसलों की सरकारी खरीद कुल उपज का लगभग 6 प्रतिशत तक ही सीमित है और शेष 94 प्रतिशत कृषि उत्पादन का समर्थन करने के लिए कृषि बाजारों और ग्राम हाट जैसे वैकल्पिक तंत्र की आवश्यकता है। सुझाव दिया गया है कि सरकार आगामी केंद्रीय बजट में किसानों को समर्थन देने के लिए वैकल्पिक तंत्र तैयार करे।
कृषि क्षेत्र की चुनौतियां
भारत का कृषि क्षेत्र इन दिनों खाद्य मुद्रास्फीति (Food Inflation), सूखा, जलवायु परिवर्तन, बढ़ते निर्यात प्रतिबंधों और कई चीजों पर बढ़ते आयात जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में किसानों और खेती से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि आने वाला बजट इन मुद्दों का समाधान करेगा।
कृषि उद्योग को मुख्य तौर पर कपास और तिलहन जैसी फसलों के लिए बेहतर बीज की जरूरत है जिनका उत्पादन नहीं बढ़ रहा है, साथ ही जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तकनीकी सहायता चाहिए। दरअसल, जलवायु परिवर्तन ने कई फसलों गेहूं, चीनी, अरहर, उड़द, चना, फल और सब्जियों के उत्पादन को प्रभावित किया है और खाद्य मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है। भारत में कई फसलें अरहर, उड़द, चना, पीली मटर, खाना पकाने का तेल भारी मात्रा में आयात की जाती हैं। वहीं, निर्यात बैन या प्रतिबंधों के अंतर्गत आने वाले आइटम गेहूं, चावल, चीनी, प्याज, दालें हैं।
कृषि में ग्रोथ रेट- पांच साल में रह गई एक-चौथाई
वित्त वर्ष ग्रोथ रेट (%)
FY20 6.2
FY21 4.0
FY22 4.6
FY23 4.7
पंजाब सरकार के अनुसार, राज्य में लगभग 4 लाख क्विंटल मूंग का उत्पादन होने की उम्मीद है और पिछले साल यह 2.98 लाख क्विंटल था। मंडियों में अब तक लगभग 2.20 लाख क्विंटल मूंग पहुंच चुकी है, जिसमें से 1.95 लाख क्विंटल (89%) निजी खरीददारों द्वारा खरीदा गया है और 23,924 क्विंटल (लगभग 11%) सरकार द्वारा एमएसपी पर खरीदा गया है।
किसान अपनी मूंग की फसल एमएसपी से नीचे बेच रहे
खरीद के लिए लगाई गई कड़ी शर्तों के कारण, किसान अपनी मूंग की फसल एमएसपी से नीचे निजी खरीददारों को बेच रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अब तक की कुल खरीद में से लगभग 90% एमएसपी से नीचे 5,000 रुपये प्रति क्विंटल से 6,500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बेचा गया है। कीमत नमी के स्तर के अनुसार तय की गई थी।
राज्य में इस साल मूंग का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुना अधिक होने के कारण, किसान परेशान हैं और वे इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे निजी खरीददारों को बेचने के लिए मजबूर हैं क्योंकि आप के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने इस साल अब तक मूंग का एक भी दाना नहीं खरीदा है।
पंजाब सरकार नहीं खरीद रही मूंग
राज्य के लिए, नोडल खरीद एजेंसी MARKFED है और अब तक इसने एमएसपी पर मूंग (23,924 क्विंटल) खरीद पर 17.40 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। लेकिन, अब तक की खरीद को केंद्र द्वारा वित्त पोषित किया गया है क्योंकि वह अपनी प्राइज सपोर्ट सिस्टम के तहत एमएसपी पर कुल उपज का 25% खरीदकर राज्य में मूंग खरीद का समर्थन करने पर सहमत हुआ था। चूंकि, राज्य ने उस लक्ष्य को पार नहीं किया है ऐसे में उसने तकनीकी रूप से अपने खजाने से कुछ भी खर्च नहीं किया है।
2022 में, मार्कफेड ने उपज की उचित औसत गुणवत्ता के संबंध में मानदंडों में ढील देने के बाद 5,500 मीट्रिक टन से अधिक मूंग की खरीद की। हालाँकि, NAFED (नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया) ने पूरे स्टॉक को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और केवल 2,500 मीट्रिक टन स्वीकार किया। परिणामस्वरूप, मार्कफेड और पंजाब मंडी बोर्ड को उस खरीद पर लगभग 40 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ था।
पिछले वर्ष सेंट्रल पूल के लिए मार्कफेड द्वारा मात्र 2500 मीट्रिक टन मूंग खरीदी गई थी, लेकिन विनिर्देशों में छूट नहीं दी गई थी। हालांकि, इस साल मार्कफेड के अधिकारियों का दावा है कि केंद्रीय पूल के लिए मूंग की खरीद के लिए कृषि विभाग द्वारा कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है। परिणामस्वरूप किसान अपनी उपज निजी फर्म को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने को मजबूर हैं।
कृषि जगत की बजट से क्या हैं उम्मीदें?
R&D में निवेश को सकल घरेलू उत्पाद के 0.6% से बढ़ाकर कम से कम 1% करें। स्थिर पैदावार के लिए दालों, गेहूं, तिलहन और कपास की नई बीज वैराइटी लाई जायें। अनुसंधान एवं विकास में निजी निवेश के लिए टैक्स में छूट। फर्टिलाइजर सब्सिडी में यूरिया की हिस्सेदारी कम करें। फॉस्फोरस और पोटेशियम (P&K) की हिस्सेदारी बढ़ाएं।
बायो फर्टिलाइजर को सब्सिडी के अंतर्गत लाया जाए। निर्यात को प्रोत्साहित करें। नेशनल को-ऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड के लिए अलग फंड की मांग। अरहर, उड़द, प्याज का बफर स्टॉक बनाएं। पीएम किसान योजना में किसान सहायता में 6000 रुपये प्रति वर्ष से 8000 रुपये प्रति वर्ष तक की बढ़ोत्तरी की जाये। बायो फ्यूल को प्रोत्साहन। इथेनॉल की मांग बढ़ाने के लिए हाइब्रिड कारों पर 28% जीएसटी में छूटए राष्ट्रीय तिलहन मिशन के लिए बजटीय आवंटन दिया जाये।
पंजाब सरकार की मूंग खरीद योजना- कोरी घोषणा
इन सबके बीच पंजाब सरकार ने पिछले साल घोषणा की थी कि वह राज्य की फसल विविधीकरण योजना के हिस्से के रूप में मूंग दाल को खरीदेगी। इस सीज़न में भी कड़े नियमों के अधीन एमएसपी पर मूंग की खरीद की नीति पेश की गयी