थानेसर नगर परिषद की बैठक में कांग्रेस विधायक व भाजपा पार्षद के बीच हाथापाई, 15 दिनों में दूसरी बैठक में हंगामा, हाथापाई और नारेबाजी का मामला

नगर परिषद हाउस की विधायक अशोक अरोड़ा और BJP पार्षद प्रतिनिधि के बीच हाथापाई

नरेंद्र सहारण, कुरुक्षेत्र : हरियाणा के थानेसर नगर परिषद हाउस में 15 दिनों के भीतर दूसरी बार इतना बड़ा विवाद देखने को मिला है कि इसकी चर्चा पूरे जिले में फैल गई है। इस घटना ने न केवल स्थानीय राजनीति और नगरपालिका प्रशासन की कमजोरियों को उजागर किया है, बल्कि सामाजिक सौहार्द्रता और सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। शुक्रवार को आयोजित इस बैठक में पार्षदों, प्रतिनिधियों, कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा, भाजपा के पूर्व पार्षद नरेंद्र शर्मा और अन्य स्थानीय नेताओं के बीच हिंसक झड़प, गाली-गलौज, नारेबाजी और हाथापाई की घटनाएं हुईं। इस पूरे घटनाक्रम ने नगर निकाय की कार्यप्रणाली और सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। इस रिपोर्ट में हम इस घटना का विस्तृत विवरण, दोनों पक्षों के वर्जन, पुलिस की भूमिका, घटना के पीछे के कारण और भविष्य में इस तरह की घटनाओं से निपटने के उपायों पर चर्चा करेंगे।

घटना का संक्षिप्त परिचय

शुक्रवार को थानेसर नगर परिषद हाउस में आयोजित बैठक को लेकर शुरू से ही तनाव का माहौल था। बैठक की शुरुआत में ही स्थानीय पार्षद और प्रतिनिधियों के बीच बहस शुरू हो गई। आरोप-प्रत्यारोप, गाली-गलौज और नारेबाजी के बीच मामला धीरे-धीरे हिंसक झड़प की ओर बढ़ गया। पार्षद प्रतिनिधियों को बाहर निकालने की बात पर विवाद इतना बढ़ गया कि कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा और भाजपा पार्षद प्रतिनिधि नरेंद्र शर्मा के बीच हाथापाई हो गई। यह हाथापाई इतनी हिंसक हो गई कि पूर्व पार्षद टोनी मदान और अरोड़ा समर्थकों के बीच भी संघर्ष हो गया।

माहौल बिगड़ते देख पुलिस को बुलाना पड़ा। पुलिस जब मौके पर पहुंची तो कुछ युवा अशोक अरोड़ा के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। पुलिस ने इन युवाओं को नारेबाजी करने से रोका, लेकिन इस दौरान पुलिस और पार्षदों के बीच भी तीखी झड़प हुई। करीब आधे घंटे तक यह ड्रामा चलता रहा। आरोप-प्रत्यारोप, गाली-गलौज, खुली टिप्पणी और विवाद की स्थिति बनी रही। हाथापाई के बाद पार्षदों ने बीच-बचाव का प्रयास किया, लेकिन विवाद का समाधान नहीं हो पाया। इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल नगर निकाय की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सुरक्षा व्यवस्था की भी पोल खोल दी है।

कुर्सी से उठते ही दोनों आपस में भिड़ गए।

विधायक अशोक अरोड़ा का कथन

 

विधायक अशोक अरोड़ा ने इस घटना के पीछे राजनीतिक साजिश और नगर परिषद में चल रहे घोटालों का जिक्र किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि बैठक में मैंने ईओ (नगर निगम अधिकारी) से पूछा था कि जब बैठक बाहर आयोजित की गई है, तो यहां क्यों बैठा हुआ है।

अरोड़ा का कहना है कि, “मैंने पूछा था कि अगर बैठक बाहर हो रही है तो यहां क्यों बैठे हैं, लेकिन उससे पहले ही बाहरी व्यक्तियों ने मेरे साथ गाली-गलौज शुरू कर दी। फिर उन्होंने जानलेवा हमला किया। जब मेरा सुरक्षा कर्मी अंदर आया तो बाहरी लोगों ने उस पर भी हमला कर दिया और ड्यूटी में बाधा डाली।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि, “थानेसर नगर परिषद में बहुत बड़े घोटाले हुए हैं, जिनकी जांच हाई कोर्ट के सिटिंग जज से कराई जानी चाहिए। यह सब राजनीतिक साजिश का हिस्सा है ताकि मेरी आवाज दबाई जा सके।”

पूर्व पार्षद नरेंद्र शर्मा का बयान

 

पूर्व पार्षद नरेंद्र शर्मा ने आरोप लगाया कि, “पहले विधायक अशोक अरोड़ा ने मुझे मारने की कोशिश की। उन्होंने ही विवाद शुरू किया। मैं ने कहा था कि यह सब नगर परिषद और उनके विवादों का नतीजा है।”

उन्होंने आगे कहा कि, “वह उखड़ गए और फिर उन्होंने मारने के लिए उठते हुए अपने सुरक्षाकर्मी के हाथ में पिस्टल दिखाए। यह स्थिति बेहद गंभीर थी। मैं खुद भी भयभीत हो गया था।” शर्मा ने यह भी दावा किया कि, “यह सब राजनीतिक द्वेष और भ्रष्टाचार के कारण हुआ है। यह बैठक भी इसी कारण विवाद का केंद्र बनी।”

पुलिस की भूमिका और कार्रवाई

 

घटना के बाद पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची, लेकिन स्थिति नियंत्रण से बाहर हो चुकी थी। पुलिस ने नारेबाजी कर रहे युवाओं को रोकने का प्रयास किया, लेकिन स्थिति और बिगड़ गई। पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन विवाद जारी रहा। पुलिस ने इस मामले में दोनों पक्षों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में FIR दर्ज की है। आरोप है कि दोनों पक्षों ने मिलकर सरकारी कार्य में बाधा डाली, गाली-गलौज की और हाथापाई की। साथ ही, घटना के दौरान हुई हिंसा में शामिल लोगों की पहचान कर कार्रवाई की जा रही है। पुलिस का कहना है कि, “हमने स्थिति को नियंत्रित कर लिया है और आगामी जांच शुरू कर दी है। इस घटना में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ

 

यह घटना केवल एक स्थानीय विवाद नहीं है बल्कि यह स्थानीय राजनीति, पार्षदों और नेताओं के बीच के तनाव का द्योतक है। इस तरह की घटनाएं न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती हैं, बल्कि समाज में भी अस्थिरता का संकेत देती हैं। स्थानीय जनता और राजनीतिक दलों का मानना है कि इस तरह के विवाद न सिर्फ नगर परिषद की छवि धूमिल करते हैं, बल्कि जनता के बीच विश्वास भी कमजोर हो जाता है। सामाजिक रूप से देखा जाए तो, इस तरह की हिंसक झड़पें समाज में अस्थिरता और अनिश्चितता को जन्म देती हैं। यह जरूरी हो जाता है कि सभी पक्ष मिलकर इस स्थिति का शांतिपूर्ण समाधान निकालें और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचें।

भविष्य की दिशा और जरूरी कदम

 

इस घटना के बाद प्रशासन और पुलिस दोनों को चाहिए कि वे सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाएं। बैठकें जैसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के दौरान हिंसा से बचने के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी, इस तरह के विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के प्रयास किए जाने चाहिए। नेताओं और पार्षदों को चाहिए कि वे अपने मतभेदों को बातचीत के जरिए हल करें, न कि हिंसा और नारेबाजी का रास्ता अपनाएं।

अगले कदम के रूप में स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वह इस घटना की जांच कर दोषियों को उचित सजा दिलाए। साथ ही, जनता में जागरूकता फैलाने और विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।

चर्चा का विषय बनी हिंसक झड़प

थानेसर नगर परिषद हाउस में शुक्रवार को हुई हिंसक झड़प पूरे जिले और प्रदेश में चर्चा का विषय बन गई है। यह घटना इस बात का संकेत है कि राजनीतिक द्वेष, भ्रष्टाचार और असहिष्णुता जैसी प्रवृत्तियों को रोकने के लिए अभी और कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। सभी पक्षों का उद्देश्य होने चाहिए कि वे विवादों को बातचीत और समझौते के माध्यम से हल करें और नगर प्रशासन की छवि को मजबूत बनाएं। साथ ही, नागरिकों की सुरक्षा और लोकतंत्र की गरिमा का ख्याल रखते हुए, इस तरह की घटनाओं को दोबारा न होने देने का संकल्प लेना चाहिए।

यह घटना हमें यह भी सिखाती है कि लोकतंत्र में संवाद और सहमति ही सर्वोपरि हैं, और हिंसा का रास्ता कभी भी समाधान नहीं हो सकता। समाज और प्रशासन दोनों को मिलकर ऐसी घटनाओं से सबक लेकर, एक स्वस्थ, शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण माहौल बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे।

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