सिरसा लोकसभा का लेखा जोखा: हरियाणा में 2 पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षों की चुनावी लड़ाई: पंजाबी-बागड़ी वोट बैंक पर जोर, राम रहीम का डेरा भी फैक्टर

सिरसा से भाजपा ने डा. अशोक तंवर और कांग्रेस ने कुमारी सैलजा को टिकट दिया है।

नरेन्द्र सहारण, सिरसा। Sirsa Lokabha Seat: सिरसा लोकसभा सीट इस बार काफी चर्चा में है। यहां से कांग्रेस के ही दो पूर्व प्रदेशाध्यक्ष आमने-सामने हैं। इतना ही नहीं, सिरसा के गांव चौटाला से 4 नेता लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। यहां से इस बार कांग्रेस ने कद्दावर नेता कुमारी सैलजा को यहां से टिकट दिया है। हरियाणा की सीट राजस्थान और पंजाब से सटी हुई है। यही कारण है कि यहां राजस्थान और पंजाब के नेता भी प्रचार में जुटे हैं।

सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच

वहीं भाजपा ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके डॉ. अशोक तंवर को मैदान में उतारा है। वह ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) और आम आदमी पार्टी (AAP) में भी रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव से ऐन वक्त पहले पाला बदलकर भाजपा में आ गए थे। इसके अलावा इनेलो ने संदीप लोट और जजपा ने रमेश खटक को टिकट दिया है। सिरसा में सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है। सिरसा में इनेलो पिछली बार की तुलना में अपना वोट प्रतिशत बढ़ाएगी, जिसका सीधा असर कांग्रेस पर पड़ेगा।

4 बिंदुओं से जानें सिरसा का सियासी समीकरण

  1. यहां कांग्रेस की सैलजा कुमारी को लेकर लोगों के बीच चर्चाएं ज्यादा है। 26 साल बाद सिरसा लौटी सैलजा को देखने भीड़ उमड़ रही है। मगर उस भीड़ में ऐसे लोग भी हैं जो नरेन्द्र मोदी को पीएम बनना देखना चाहते हैं।
  2.  सिरसा लोकसभा में दो बेल्ट हैं। एक बागड़ी तो दूसरी पंजाबी बेल्ट। पंजाबी बेल्ट में सैलजा का जोर ज्यादा है तो वहीं बागड़ी बेल्ट में भाजपा, इनेलो और कांग्रेस मुकाबले में हैं। चौटाला के गढ़ कहे जाने वाले डबवाली में मोदी नाम की चर्चा ज्यादा है।
  3.  शहर में कांग्रेस और भाजपा दोनों में मुकाबला दिख रहा है। अशोक तंवर के सामने सैलजा की मजबूत स्थिति को देखते हुए भाजपा ने यहां चुनावी रणनीति को बदल दिया है। ऐसे में भाजपा ने अशोक तंवर के बजाय पीएम मोदी के चेहरे को आगे किया है। भाजपा अपनी इस रणनीति में कामयाब भी होती दिख रही है। वहीं सैलजा के चुनाव प्रचार से हुड्‌डा गुट नदारद दिखाई दे रहा है। सैलजा के पक्ष में बीरेंद्र सिंह, रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी और सचिन पायलट जैसे नेता प्रचार कर रहे हैं।
  4. फतेहाबाद में सैलजा को चंद्रमोहन का साथ मिला है। हालांकि फतेहाबाद में कोई बड़ा नेता सैलजा के साथ नहीं है। वहीं भाजपा उम्मीदवार को राज्यसभा सांसद सुभाष बराला, रतिया के विधायक लक्ष्मण नापा और फतेहाबाद में दुड़ाराम जैसे नेताओं का साथ मिला है।

सिरसा सीट में 5 जिलों की 9 विधनासभाएं

सिरसा लोकसभा के अंतर्गत 2 जिले सिरसा और फतेहाबाद आते हैं, जिनमें 9 विधानसभाएं हैं। सिरसा, रानियां, ऐलनाबाद, कालांवाली, डबवाली, फतेहाबाद, रतिया, टोहाना और नरवाना शामिल है। इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 19,21,875 है। इसमें पुरुष मतदाता 10,15,706 और महिला मतदाता 90,06,11 है।

ये है जातिगत समीकरण

सिरसा संसदीय सीट आरक्षित है। यहां अनुसूचित जाति के 8.13 लाख वोटर हैं। वहीं जाट समुदाय 3.58 लाख, जट्ट सिख 1.90 लाख, पंजाबी समुदाय (खत्री, अरोड़ा, मेहता) 1.15 लाख, बनिया 90 हजार, कंबोज 90 हजार, ब्राह्मण 61 हजार, बिश्रोई 48 हजार, पिछड़ा वर्ग (कुम्हार, सैनी, अहीर, गुज्जर, खाती, सुनार) 1.41 लाख, अन्य (मुस्लिम, क्रिश्चियन, जैन आदि) 18 हजार हैं।

चौटाला से ज्यादा विकास मोदी ने करवाया

चौटाला गांव और तेजाखेड़ा गांव के बीच से भारत माला प्रोजेक्ट के तहत एक्सप्रेसवे बनकर तैयार हो गया है। इसमें डबवाली के नौ गांव चौटाला, सकताखेड़ा, अबूबशहर, शेरगढ़, अलीकां, डबवाली, जोगेवाला, सुकेराखेड़ा और आसाखेड़ा की जमीन अधिग्रहित की गई है।

एक्सप्रेस वे के बनने से लोगों को फायदा
एक्सप्रेसवे डबवाली में राजस्थान सीमा से पंजाब सीमा तक 34.08 किलोमीटर लंबा है। यह एक्सप्रेस वे अमृतसर से गुजरात के जामनगर तक है। इस एक्सप्रेस बनने से अमृतसर से जामनगर की दूरी 1430 से घटकर 1256 किलोमीटर रह गई है। एक्सप्रेस वे के बनने से गुजरात की जामनगर, राजस्थान की बाड़मेर, बीकानेर और पंजाब की बठिडा रिफाइनरी आपस में जुड़ गई हैं। इससे डबवाली इलाके के युवाओं को सीधा फायदा पहुंचा है। यही कारण है कि डबवाली हलके में मोदी ज्यादा लोकप्रिय हैं।

गांव चौटाला में पीएम मोदी की चर्चा ज्यादा

चौटाला गांव में मोदी नाम की चर्चा इस बार डबवाली विधानसभा के सबसे बड़े गांव चौटाला की फिजा बदली-बदली सी है। इस गांव में चौटाला परिवार और कुमारी सैलजा से ज्यादा पीएम मोदी की चर्चा है। गांव की चौपाल से लेकर बाजार तक बस एक ही नाम सुनने को आया कि मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे। लोगों का कहना है कि कांग्रेस प्रत्याशी को सिर्फ अनुसूचित जाति के वोट मिलेंगे, बाकी वोट मोदी के नाम पर भाजपा उम्मीवार अशोक तंवर को जाएंगे।

सिरसा में डेरा वोट होता है निर्णायक

सिरसा लोकसभा चुनाव में डेरा वोट निर्णायक होता है। सिरसा में डेरा सच्चा सौदा, डेरा जगमालवाली, डेरा भूमणशाह हैं। डेरा सच्चा सौदा का वोटर वहीं वोट करता है, जहां डेरे की पॉलिटिकल विंग वोट करने का आदेश करती है। हालांकि, अभी तक डेरे की ओर से समर्थकों के पास कोई संदेश नहीं आया है। पिछले दिनों सीएम नायाब सैनी ने डेरा भूमणशाह में जाकर डेरा प्रमुख से मुलाकात की थी।

जानें क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार

वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र भाटिया ने कहा कि कुमारी सैलजा अशोक तंवर की तुलना में ज्यादा मजबूत लग रही हैं। अशोक तंवर जब कांग्रेस में थे तो केंद्रीय चेहरा हुआ करते थे। मगर बार-बार पार्टियां बदलने से जनता में उनकी छवि सैलजा के मुकाबजे कमजोर है। कांग्रेस के पक्ष में बात यह है कि कुमारी सैलजा दो बार और पिता उनके चार बार सांसद रह चुके हैं। सैलजा ने सांसद रहते यहां रेलवे, शिक्षा और खेल में काम कराए थे। वहीं गांवों में जिस प्रकार भाजपा का विरोध हो रहा है, उसका फायदा कांग्रेस को कहीं ना कहीं मिल रहा है। हरियाणा में बिना पर्ची खर्ची के नौकरियां लगी हैं और आयुष्मान योजना से कई गरीबों का मुफ्त उपचार हुआ है, इसका फायदा जमीनी स्तर पर भाजपा को देखने को मिलेगा।

 

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