Sonipat News: सोनीपत में टैक्सी चालक के घर पर ईडी की रेड, भाई विदेश में, लेह-लद्दाख के साथ ब्रिटेन से तार जुड़े; जानें क्या है मामला
नरेन्द्र सहारण, सोनीपत : Sonipat News: शहर के मयूर विहार की गली नंबर 24 में रहने वाले टैक्सी चालक के घर पर शुक्रवार ईडी के अधिकारियों ने छापेमारी की। दिनभर टीम के अधिकारी मकान में दस्तावेज को खंगालते रहे। छापेमारी से दिनभर हड़कंप मचा रहा। बताया जा रहा है कि टैक्सी चालक का भाई विदेश में बैठकर फर्जी डिजिटल करंसी का कारोबार कर रहा है। हजारों लोगों को मुनाफे का लालच देकर इस करंसी में निवेश करवाया जाता है लेकिन उन्हें मुनाफा नहीं दिया। शुक्रवार को लेह-लद्दाख और सोनीपत में छापेमारी की गई। ईडी के अधिकारियों ने सोनीपत के मकान से कई दस्तावेज भी अपने कब्जे में लिए हैं। देर रात तक टीम के अधिकारी जांच करते रहे लेकिन उन्होंने किसी से बात नहीं की। देर शाम को ईडी के अधिकारियों को घर से रुपयों से भरा एक बैग मिला है जिसमें 70-80 लाख रुपये थे।
आठ साल से विदेश में है नरेश
नकली क्रिप्टो करंसी मामले को लेकर शुक्रवार सुबह आठ बजे मयूर विहार की गली नंबर 24 में रहने वाले टैक्सी चालक रमेश गुलिया के घर पर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की छापेमारी की गई। गांव लाठ के रहने वाले रमेश तीन भाई महेश व नरेश हैं। उसका भाई नरेश करीब आठ साल से विदेश में रह रहा है। बताया जा रहा है कि नरेश पर आरोप है कि वह फर्जी क्रिप्टो करंसी के कारोबार में धोखाधड़ी, जालसाजी समेत कई अन्य मामलों को शामिल है। इसलिए ईडी की टीम जांच के लिए पहुंची। टीम के साथ पहुंचे सुरक्षा बल व महिला सुरक्षा कर्मियों ने छापेमारी के समय किसी को अंदर जाने या बाहर जाने नहीं दिया। ईडी के अधिकारी रमेश गुलिया से दिनभर पूछताछ करते रहे। टीम ने घर से कई दस्तावेज भी अपने कब्जे में लिए हैं। सूत्रों ने बताया कि घर से लाखों रुपये कैश भी बरामद किया है लेकिन ईडी के किसी भी अधिकारी ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
यह था मामला
नकली क्रिप्टो करंसी के मामले में ईडी द्वारा लेह-लद्दाख और सोनीपत में मयूर विहार में छापेमारी की गई है।टैक्सी ड्राइवर रमेश गुलिया का बड़ा भाई नरेश गुलिया पूरे कारोबार को चला रहा है। नकली क्रिप्टो करंसी के जरिए लोगों के साथ बड़े स्तर पर धोखाधड़ी की गई है। कंपनी के भारत में दो प्रमोटर थे जिसमें सोनीपत का नरेश गुलिया और एक अन्य चन्नी सिंह हैं। वर्ष 2019 में कंपनी को जानबूझकर भंग कर दिया गया था। सूत्र बता रहे हैं कि इसके बाद रियल एस्टेट का व्यवसाय करते हुए नकली क्रिप्टो करंसी के कारोबार से जुटाए गए रुपयों से जम्मू में जमीन खरीदी गई।
इस तरह फंसाते थे लोगों को
साल 2017 में इमोलिऐंट क्वाइन के नाम से एक क्रिप्टो करंसी का एप्लीकेशन तैयार किया गया और और इसे डिजिटल करंसी के माध्यम से बिटक्वाइन के बराबर चलाने का कारोबार शुरू किया गया। इसके तहत 100 डालर में खाता खोला जाता था। एक चेन सिस्टम के तहत अलग-अलग खाते खोले जाते थे। चेन सिस्टम के तहत एक क्वाइन के रेट बढ़ जाते थे। लोगों को क्वाइन एक्सचेंज करने के नाम पर लालच दिया जाता था। ज्यादा से ज्यादा लोगों को करंसी से जोड़ने को लेकर इंसेंटिव का लालच दिया जाता था। कमीशन इंसेंटिव क़े अलग-अलग स्लैब बनाए गए थे।आरोपितों ने कई राज्यों के लाखों लोगों लोगों को लालच देकर इस करंसी से जोड़ा। लगभग 2508 निवेशकों को इमोलिऐंट क्वाइन लिमिटेड के नाम से फर्जी क्रिप्टो करंसी कारोबार में जोड़कर आरोपितों ने 7.34 करोड़ से भी ज्यादा पैसे जमा किए थे। बदले में किसी को भी किसी प्रकार से कोई रिटर्न या मुद्रा वापस से नहीं दी गई।
आर्मी से वीआरएस लेकर इस धंधे में उतारा नरेश गुलिया
नरेश गुलिया विदेश में बैठकर यह कारोबार हैंडल कर रहा है। स्वजन व पड़ोसियों ने बताया कि लंबे समय से नरेश सोनीपत नहीं आया है। नरेश 1995 में आर्मी में भर्ती हुआ था, उसने जबलपुर में ट्रेनिंग की थी। बाद में उसने वीआरएस ले ली थी। उसके बाद दिल्ली में एक शख्स के संपर्क में आने से उसने नकली क्रिप्टो करंसी का यह धंधा शुरू किया था। जानकारी के मुताबिक जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पांच मार्च, 2020 को लेह पुलिस स्टेशन में एआर मीर और अजय कुमार चौधरी के खिलाफ पर एफआइआर दर्ज की थी। जांच के लिए जिला मजिस्ट्रेट लेह ने एक समिति गठित की थी, उनके एजेंटों के खिलाफ जांच की थी। मामले में पता चला कि एआर मीर और उनके एजेंट लेह में इमोलिएंट क्वाइन लिमिटेड के नाम से एक नकली क्रिप्टो करंसी का कारोबार चला रहे, जिसे सील कर दिया गया।
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