Sonipat News: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने नाबालिग के अपहरण और दुष्कर्म के दोषियों को सुनाई कठोर सजा, दोषी को 20 साल की कैद

नरेन्‍द्र सहारण, सोनीपत : Sonipat News: हाल ही में एक बेहद चिंताजनक और दिल दहला देनेवाले मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने एक नाबालिग दिव्यांग लड़की के अपहरण और दुष्कर्म के आरोपियों को सजा सुनाई है। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश नरेंद्र की अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य आरोपी विकास को 20 वर्ष की कठोर कैद की सजा सुनाई, वहीं उसके साथी सोनू को पांच वर्ष की कैद की सजा दी गई। आरोपी विकास पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है, और अगर वह जुर्माना अदा करने में असफल रहता है, तो उसे 23 महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी। वहीँ, सोनू पर 3,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है, और उसकी नॉन-पेमेंट की स्थिति में उसे चार महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

घटना का विवरण

इस मामले की शुरुआत उस समय हुई जब पीड़िता की मां ने 9 अक्टूबर, 2023 को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने लिखा कि उनकी बेटी, जो एक हाथ और पैर से दिव्यांग है, स्कूल जाने के लिए घर से निकली थी लेकिन शाम तक वापस नहीं लौटी। मां ने अपनी बेटी की तलाश अपनी ओर से की लेकिन उसे कहीं कोई सुराग नहीं मिला। अंततः, उन्होंने पुलिस को सूचित किया कि उनकी बेटी का अपहरण होने की संभावना है। पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए जांच प्रारंभ की और पीड़िता को रोहतक से बरामद किया।

पुलिस की कार्रवाई

जांच के दौरान, पीड़िता ने बताया कि उसका अपहरण खरखौदा के विकास और थाना खुर्द के सोनू ने किया। पीड़िता ने बयान दिया कि विकास ने उसे एक खंडहर में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया और उसे बंधक बना लिया। सोनू ने इस कार्य में विकास का साथ दिया। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और उनके खिलाफ साक्ष्य एकत्रित करने का कार्य शुरू किया।

कोर्ट की सुनवाई

फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान, अभियोजन पक्ष ने अपने गवाहों और साक्ष्यों को पेश किया। पीड़िता के बयान को मुख्य आधार माना गया। कोर्ट ने दोनों आरोपियों की धाराओं को अलग-अलग मानते हुए सजा का निर्धारण किया। विकास को 20 वर्ष की कड़ी सजा सुनाने के पीछे उसका गंभीर अपराध और दिव्यांग पीड़िता के प्रति की गई दुष्कर्म की घटना शामिल थी। कोर्ट ने उसकी मानसिकता और समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए सख्त सजा का निर्णय लिया। सोनू को भी सजा दी गई, हालांकि उसकी सजा विकास की तुलना में कम थी। यह सजा उसे इस काम में साथी बनने के लिए दी गई थी।

सामाजिक प्रभाव

इस मामले ने एक बार फिर से समाज में सुरक्षा, न्याय और सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता को उजागर किया है। नाबालिगों का विशेषकर दिव्यांग बच्चों का शोषण एक गंभीर समस्या है जिसे पूरी सख्ती से निपटने की जरूरत है। इस घटना ने न केवल पीड़िता और उसके परिवार को प्रभावित किया, बल्कि पूरे समाज में एक असुरक्षा की भावना को जन्म दिया है।

न्याय प्रणाली का प्रभाव

फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन ऐसे ही मामलों में त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए किया गया था। इस मामले में, न्यायपालिका ने अपनी संवेदनशीलता और गंभीरता का प्रमाण प्रस्तुत किया। दोषियों को कठोर सजा देकर कोर्ट ने यह संदेश दिया है कि समाज में ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

पीड़ितों को न्याय दिलाने में सक्रिय भागीदारी

इस घटना ने यह स्पष्ट किया है कि नाबालिगों और विशेष रूप से दिव्यांग बच्चों की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है। समाज को चाहिए कि वह इस प्रकार के मामलों के प्रति जागरूक रहे और पीड़ितों को न्याय दिलाने में सक्रिय भागीदारी निभाए। इसके अतिरिक्त, प्रशासन को भी इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

इस मामले की सुनवाई को लेकर संवेदनशीलता और न्याय की आवश्यकता का संदेश समाज में फैलना ज़रूरी है ताकि इस प्रकार के अपराधों में कमी लाई जा सके और इसे लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ सके।

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