Sonipat News: सोनीपत में देश को मिला पहला संविधान संग्रहालय, कई खूबियों से है लैस

नरेन्द्र सहारण, सोनीपत: Sonipat News: ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी, सोनीपत में शनिवार को देश के पहले संविधान संग्रहालय का उद्घाटन किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अनूठे संग्रहालय में भारत के संविधान से संबंधित दस्तावेज, कलाकृतियां, और संविधान के निर्माण में योगदान देने वाले सभी 300 सदस्यों की प्रतिमाएं और उनकी जानकारी प्रदर्शित की गई हैं। यह संग्रहालय न केवल शैक्षणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि संविधान के प्रति लोगों की समझ और जुड़ाव को बढ़ाने की दिशा में एक अनोखी पहल भी है।
आधुनिक प्रौद्योगिकी और ऐतिहासिक धरोहर का संगम
तीन मंजिला भवन में स्थापित इस संग्रहालय की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह ऐतिहासिक धरोहर को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ प्रस्तुत करता है। संग्रहालय के प्रथम तल पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जहां लोग संविधान से जुड़े सवालों के जवाब बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की आवाज में सुन सकते हैं।
यहां संविधान से संबंधित जानकारियों को लिखित, ऑडियो-विजुअल, और अनुभवात्मक प्रारूप में प्रदर्शित किया गया है। दूसरे और तीसरे तल पर अत्याधुनिक तकनीकों और कला प्रदर्शनी के माध्यम से संविधान की कहानी को जीवंत रूप में पेश किया गया है। संग्रहालय में एक थिएटर भी बनाया गया है, जहां संविधान पर आधारित डाक्यूमेंट्री और फिल्में दिखाई जाएंगी।
संग्रहालय में आगंतुकों की सुविधा और जानकारी को रोचक बनाने के लिए एक रोबोट गाइड भी उपलब्ध रहेगा। दिसंबर 2024 से यह संग्रहालय आम जनता के लिए निशुल्क खोला जाएगा। इसका निर्माण अमेरिका के प्रसिद्ध संविधान संग्रहालय से प्रेरणा लेकर किया गया है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का संबोधन
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संग्रहालय की पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह भारत के संविधान के महत्व को समझने और उसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक बेहतरीन प्रयास है। उन्होंने कहा, “हमारा देश दुनिया के सबसे मजबूत लोकतंत्रों में से एक है। हमारे संविधान के मूल्यों को आज पूरी दुनिया में अपनाया जा रहा है। हमने हमेशा वसुधैव कुटुंबकम् का संदेश दिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं।”
उन्होंने संविधान के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन का आधार भी है। संविधान ने देश में समानता की नींव रखी और इसे एक जीवंत लोकतंत्र बनाया।
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का बयान
केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी इस मौके पर संविधान के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हमारा संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह हमारे लिए गर्व और गौरव का प्रतीक है। यह हमें स्वतंत्रता, समानता, और बंधुत्व का संदेश देता है।”
उन्होंने अनुच्छेद-370 का उल्लेख करते हुए कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर को यह अनुच्छेद पसंद नहीं था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में इसे हटाया गया, जो संविधान की मूल भावना को और सशक्त करता है।
मेघवाल ने यह भी बताया कि जब संविधान लिखा जा रहा था, तो समानता को सर्वोपरि रखा गया। उन्होंने फ्रांसीसी क्रांति का उल्लेख करते हुए कहा कि डॉ. आंबेडकर ने स्वतंत्रता, समानता, और बंधुत्व के विचार को अपनाया, लेकिन भारतीय संदर्भ में समानता को सबसे अधिक महत्व दिया।
सांसद नवीन जिंदल का योगदान
सांसद नवीन जिंदल, जो इस परियोजना के प्रमुख प्रणेता हैं, ने कहा कि हमारा देश संविधान के कारण ही लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने इस संग्रहालय को भावी पीढ़ियों के लिए एक ऐसा माध्यम बताया, जिसके जरिए वे संविधान के निर्माण, उसके क्रियान्वयन, और विकास को समझ सकेंगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह संग्रहालय संविधान के प्रति जागरूकता बढ़ाने और लोगों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों से अवगत कराने का एक सशक्त माध्यम बनेगा।
संविधान संग्रहालय की परिकल्पना: अमेरिका से प्रेरणा
जिंदल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. सी. राजकुमार ने बताया कि इस संग्रहालय की परिकल्पना उन्हें अमेरिका के संविधान संग्रहालय से प्रेरणा लेकर आई। उन्होंने कहा, “हमारे देश में बहुत से लोग संविधान में मिले अधिकारों के बारे में नहीं जानते। इस कारण वे अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं। यह संग्रहालय लोगों को संविधान को समझने और उससे जुड़ने में मदद करेगा।”
संविधान संग्रहालय: लोकतांत्रिक जागरूकता की ओर एक कदम
यह संग्रहालय भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की एक अनूठी प्रस्तुति है। यहां संविधान निर्माण की प्रक्रिया से लेकर इसके प्रभाव और विकास तक की यात्रा को प्रदर्शित किया गया है। इसके माध्यम से नई पीढ़ी को संविधान के महत्व और उसकी उपयोगिता के बारे में जानकारी मिलेगी।
ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में स्थापित यह संविधान संग्रहालय भारत की लोकतांत्रिक विरासत को संरक्षित और प्रचारित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आधुनिक तकनीक और ऐतिहासिक धरोहर के मिश्रण से यह संग्रहालय न केवल लोगों को शिक्षित करेगा, बल्कि संविधान के प्रति उनकी आस्था और जुड़ाव को भी मजबूत करेगा। यह पहल देश की भावी पीढ़ी को उनके अधिकारों और कर्तव्यों से अवगत कराने के साथ-साथ भारतीय लोकतंत्र को और सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध होगी।
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