Bengal News: राशन घोटाले के आरोपी मंत्री ज्योतिप्रिय की पत्नी-बेटी के नाम पर 58 एफडी, ईडी की चार्जशीट में खुलासा 

कोलकाता, बीएनएम न्यूज। Bengal News: ईडी ने पहले ही दावा किया था कि राशन घोटाले का पैसा विभिन्न क्षेत्रों में निवेश किया गया था। इस बार ईडी सूत्रों के मुताबिक राज्य के वन मंत्री व पूर्व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक की पत्नी मणिदीपा मल्लिक और बेटी प्रियदर्शनी मल्लिक के नाम पर 58 फिक्स्ड डिपाजिट(एफडी) का पता चला है। जांचकर्ताओं ने पाया कि 58 एफडी में से प्रत्येक में औसतन पांच लाख रुपये हैं। जांच के मुताबिक फिक्स्ड डिपाजिट के लिए जुटाई गई कुल रकम करीब 2 करोड़ 89 लाख है? केंद्रीय जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, राशन वितरण घोटाले में उनके द्वारा सौंपी गई पहली चार्जशीट में भी इस का जिक्र किया गया है।

ईडी ने एफडी की 2 करोड़ 89 लाख राशि को जब्त करन की प्रक्रिया शुरू की

एफडी की खोज के बाद, कुछ जांचकर्ताओं का मानना है कि भविष्य में वित्तीय रूप से सुरक्षित रहने के लिए घोटाले की राशि को लंबी अवधि के लिए संग्रहीत किया गया था। ईडी इस बात की जांच कर रही है कि क्या ये फिक्स्ड डिपाजिट मंत्री ज्योतिप्रिय के आदेश पर किए गए थे। ईडी सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने इस बड़ी रकम को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इससे पहले ईडी सूत्रों ने बताया था कि तीन फर्जी कंपनियों के नाम पर भ्रष्टाचार का कालाधन सफेद किया गया और उन्हें बंद कर दिया गया है। मंत्री की पत्नी और बेटी उन कंपनियों में कई बार निदेशक रही हैं। हालांकि ईडी ने आरोप पत्र में ‘टर्म डिपाजिट’ लेबल का इस्तेमाल किया है न कि ‘फिक्स्ड डिपाजिट’ का। हालांकि व्यावहारिक दृष्टि से दोनों में कोई खास अंतर नहीं है।

बाकिबुर और ज्योतिप्रय समेत 12 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर

भ्रष्टाचार की जांच के सिलसिले में ईडी पहले ही ज्योतिप्रिय की पत्नी और बेटी के बयान दर्ज कर चुकी है। इनके नामों का भी आरोप पत्र में उल्लेख किया गया है। हालांकि, 162 पन्नों की चार्जशीट में उन्हें आरोपित के रूप में नामित नहीं किया गया है। ईडी ने मंगलवार को कोलकाता सिटी सेशन कोर्ट में बाकिबुर और ज्योतिप्रय समेत 12 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। ईडी सूत्रों के मुताबिक, आरोप पत्र में ज्योतिप्रिया, बाकिबुर के अलावा उनके नाम पर 10 फर्जी कंपनियों के नाम शामिल हैं। जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक इन कंपनियों के जरिए भ्रष्टाचार की काली कमाई को सफेद किया गया है।