Punjab News: एक स्कूल ऐसा भी, एक स्टूडेंट – एक टीचर, सरकार के दावे पर सवाल

नरेन्द्र सहारण बठिंडा: एक तरफ पंजाब सरकार शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही है। वहीं दूसरी ओर आम लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ने के लिए भेजने से परहेज कर रहे हैं। ऐसा ही नजारा बठिंडा के गांव कोठे बुध सिंह वाला के सरकारी प्राइमरी स्मार्ट स्कूल में देखने को मिला। इस स्कूल में पिछले 3 साल से सिर्फ एक बच्चा पढ़ने आ रहा है. जबकि मात्र एक शिक्षक ही पढ़ाने आ रहा है।

पंजाब सरकार ने इस स्कूल को जारी किया ग्रांट

हालांकि पंजाब सरकार ने इस स्कूल को आधुनिक तकनीक से लैस करने के लिए ग्रांट जारी किया है। इसके बाद भी लोग अभी भी इस स्कूल में अपने बच्चों का दाखिला कराने से कतरा रहे हैं। इस स्कूल में तीन साल से अकेले पढ़ रहे छात्र भिंडर सिंह ने कहा कि उनके गांव के बच्चे प्राइमरी स्कूलों में पढ़ना पसंद कर रहे हैं। पांचवीं कक्षा के छात्र भिंडर सिंह ने कहा कि वह अपने साथी छात्रों को सरकारी प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं लेकिन उनके दोस्त सरकारी प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने के लिए उत्सुक हैं। साथ ही उसने कहा कि उन्हें लगता है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा नहीं है।

अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने से इंकार कर रहे ग्रामीण

वहीं स्कूल की शिक्षिका सरबजीत कौर का कहना है कि वह पिछले मई में इस स्कूल में आईं थीं। उस समय विद्यालय में केवल एक ही विद्यार्थी था, हालांकि गांव कोठे बुध सिंह वाला की आबादी करीब 350 है, लेकिन ग्रामीण अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने से इंकार कर रहे हैं। शिक्षा विभाग नियमित रूप से ग्रामीणों को स्कूल और सरकार द्वारा की जा रही व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी देता है, लेकिन फिर भी ग्रामीण बच्चों को पढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इस संबंध में शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर नियमित शिविरों का आयोजन किया जाता रहा है।

अपने बच्चों को स्मार्ट स्कूलों में भेजें अभिभावक

वहीं कोठे बुध सिंह वाला के प्राइमरी स्कूल में एक भी विद्यार्थी के दाखिले को लेकर डिप्टी डीईओ का कहना है कि सरकार व शिक्षा विभाग की ओर से अच्छी सुविधाएं देने का प्रयास किया जा रहा है। पंजाब के हर गांव में एक प्राइमरी स्कूल खोला गया है, जिनमें छात्र पढ़ने के लिए आते हैं, कुछ विद्यालय ऐसे हैं जिनमें छात्रों की संख्या तो कम है लेकिन सरकार प्रत्येक विद्यालय में पढ़ाने के लिए एक शिक्षक उपलब्ध कराती है। उन्होंने कहा कि हम हर साल पूरी कोशिश करते हैं कि उस गांव में अधिक से अधिक बच्चों का नामांकन हो और अभिभावक अपने बच्चों को स्मार्ट स्कूलों में भेजें ताकि उन्हें सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ मिल सके

 

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