केंद्र सरकार ने स्कूलों में प्रवेश की उम्र सीमा को लेकर राज्यों को फिर दिया सुझाव

नई दिल्ली, BNM News: स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही केंद्र सरकार ने फिर से सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को बालवाटिका और पहली कक्षा में प्रवेश की उम्र सीमा एक समान रखने का सुझाव दिया है। इसके तहत बालवाटिका में प्रवेश की उम्र सीमा 3 वर्ष से अधिक और पहली कक्षा में प्रवेश की उम्र सीमा 6 वर्ष रखने को कहा है। केंद्र सरकार ने राज्यों को यह निर्देश तब दिया है, जब कई राज्यों में मौजूदा समय में पहली कक्षा में प्रवेश की उम्र अलग-अलग है। वहीं स्कूली शिक्षा के ढांचे में शामिल की गई बालवाटिका कक्षाओं में प्रवेश की अभी तक उम्र की की कोई सीमा नहीं थी। जिन राज्यों में यह व्यवस्था लागू थी, वह अपने तरीके से प्रवेश दे रहे थे।

बालवाटिका में प्रवेश की उम्र रखें 3 वर्ष से अधिक तो पहली कक्षा में 6 वर्ष

 

पहली कक्षा में प्रवेश की उम्र 6 वर्ष रखने को लेकर शिक्षा मंत्रालय ने पहली बार पहल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने के बाद की थी। हालांकि, इसके बाद कर्नाटक, गुजरात व असम जैसे कई राज्यों ने प्रवेश की उम्र सीमा को एक समान रखने के मंत्रालय के सुझावों को स्वीकारा था। साथ ही इसे अगले कुछ सालों में चरणबद्ध तरीके से लागू करने को लेकर सहमति भी दी थी। इस बीच स्कूली शिक्षा के ढांचे में बालवाटिका को भी शामिल किए जाने के बाद मंत्रालय ने राज्यों को इसमें प्रवेश के दौरान भी उम्र सीमा का पालन करने को कहा है।

केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश जैसे राज्य में हैं अलग उम्र

 

शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश, बिहार सहित करीब 22 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में पहली कक्षा में प्रवेश की उम्र सीमा पहले ही 6 वर्ष है, जबकि गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली और केरल सहित करीब 14 राज्यों में पहली कक्षा में प्रवेश की उम्र 5 से साढ़े 5 वर्ष थी। हालांकि पिछले 2 सालों से मंत्रालय की पहल के बाद गुजरात, कर्नाटक, असम जैसे कई राज्यों ने इसे दूसरे राज्यों के समान 6 वर्ष करने की पहल की है। वहीं केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश जैसे राज्य अभी भी पहली कक्षा में दाखिले की उम्र 5 या फिर साढ़े 5 वर्ष रखने को लेकर अड़े हुए है। स्कूली शिक्षा को 10 प्लस 2 के ढांचे से निकालकर 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 में तब्दील किया गया है। इस ढांचे के शुरू के पांच साल को बुनियादी स्तर (फाउंडेशनल स्टेज) नाम दिया गया है।

इसलिए प्रवेश की उम्र में एकरूपता लाने पर है जोर

 

मंत्रालय का मानना है कि राज्यों में पहली कक्षा में दाखिले की उम्र सीमा अलग-अलग होना स्कूली शिक्षा की एक बड़ी विसंगति है। इससे नामांकन अनुपात की गणना में गड़बड़ी पैदा होती है। इसके साथ ही इसका दूसरा सबसे बड़ा खामियाजा उन बच्चों को भुगतना पड़ता है, जिनके अभिभावक ऐसी नौकरियों में है, जो एक राज्य से दूसरे राज्यों में शिफ्ट होते रहते है। ऐसे में उम्र की सीमा एक समान न होने से उन्हें दाखिले में दिक्कत होती है। इसके अतिरिक्त उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश सहित कई प्रतियोगी परीक्षाओं के आवेदन में उन्हें नुकसान होता है।

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