सोनीपत के महेंद्र हत्याकांड में ट्रायल कोर्ट से बरी किए जा चुके तीन पूर्व सैन्य अधिकारियों को उम्रकैद

नरेन्‍द्र सहारण, चंडीगढ़ः Sonipat News:  वर्ष 1998 में सोनीपत में पूर्व सरपंच महेंद्र सिंह की हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट से बरी किए जा चुके सेना के तीन पूर्व अधिकारियों व एक अन्य को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने गुरुवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। घटना के समय तीनों सेवा में थे। ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई के दौरान वर्ष 2002 में सेना के रिकार्ड और अधिकारियों के इस बयान को स्वीकार किया था कि तीनों आरोपित कैप्टन आनंद, कैप्टन युद्धवीर सिंह और कैप्टन राजकुमार घटना के समय रुड़की में थे। इसी आधार पर इन्हें बरी कर दिया गया था। इस फैसले को राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट में जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की पीठ ने अपने आदेश में सभी को हत्या का दोषी ठहराया। रिकार्ड की जांच करने के बाद हाई कोर्ट ने यह भी पाया कि ट्रायल कोर्ट ने प्रस्तुत प्रासंगिक साक्ष्यों की अनदेखा की थी।

यह था मामला

 

17 अक्टूबर, 1998 को सोनीपत के आहुलाना गांव के पूर्व सरपंच महेंद्र सिंह व देवेंद्र अपने चचेरे भाई रमेश से बातचीत कर रहे थे। तभी एस्टीम कार से कैप्टन आनंद, कैप्टन युद्धवीर व कैप्टन सुरेश कुमार वहां आए। कुछ देर बाद ही तीनों के साथी आहुलाना के राजकुमार व बिजेंद्र भी मोटरसाइकिल से वहां आ गए। इनमें से बिजेंद्र ने पिस्तौल से महेंद्र सिंह को गोली मार दी। इसके बाद राजकुमार ने भी महेंद्र सिंह पर ताबड़तोड़ चार-पांच गोलियां दाग दीं जिससे उनकी मौत हो गई। घटना को अंजाम देने के बाद सभी वहां से भाग गए थे। जांच में पता लगा कि महेंद्र सिंह व राजकुमार के बीच पंचायत चुनाव के दौरान झगड़ा हो गया था। इसी वजह से घटना को अंजाम दिया गया। मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि बचाव पक्ष को यह साबित करना चाहिए था कि गवाहों के बयान और बरामदगी जाली या मनगढ़ंत थी। ऐसा करने में वह विफल रहा। हमारे गन्नौर संवाददाता के अनुसार हत्याकांड के दोषियों को सजा मिलने पर पूर्व सरपंच महेंद्र सिंह के भाई रमेश ने संतोष जताया और कहा कि हमारे परिवार को 26 साल बाद न्याय मिला है।

चुनावी रंजिश में की थी हत्या

 

आहुलाना गांव में वर्ष 1998 में हुए गांव के पूर्व सरपंच महेंद्र सिंह हत्याकांड के मामले में हाईकार्ट ने हत्या में संलिप्त तीन पूर्व सैन्य अधिकारियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। आरोपितों को वर्ष 2002 में सोनीपत कोर्ट ने बरी कर दिया था, लेकिन अब हाईकोर्ट ने सोनीपत कोर्ट के फैसले को रद कर दिया। महेंद्र सिंह के स्वजनों ने हाईकोर्ट के फैसले पर संतोष जताते हुए कहा कि उन्हें 26 साल बाद न्याय मिला है।

आरोपित आनंद, युद्धवीर व राजकुमार आहुलाना गांव के ही रहने वाले हैं। तीनों सेना के पूर्व अधिकारी रहे हैं। सरपंच चुनाव की रंजिश रखते हुए आरोपितों ने महेंद्र सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस पर थाना गन्नौर में केस दर्ज किया गया था।

पंचायत चुनाव में हुआ था झगड़ा

 

मृतक महेंद्र सिंह के भाई रमेश द्वारा पुलिस थाना में दर्ज करवाई गई शिकायत के अनुसार महेंद्र सिंह व राजकुमार की पंचायत चुनाव को लेकर झगड़ा हो गया था। इसके बाद महेंद्र सिंह का सांसद चुनाव के दौरान बिजेंद्र सिंह से भी कहासुनी हो गई थी, लेकिन बाद में दोनों परिवारों का समझौता भी हो गया था। रमेश का आरोप है कि समझौता होने के बाद भी झगड़े की रंजिश रखते हुए आनंद, युद्धवीर सिंह, राजकुमार व बिजेंद्र ने उसके भाई की हत्या कर दी थी।

 

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