New Criminal Laws: देश में लागू हुए 3 नए आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता के तहत पहला मामला हुआ दर्ज, जानें किस पर हुई कार्रवाई

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूजः देशभर में आज रात 12 बजे से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। 51 साल पुराने सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) लेगी। भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय अधिनियम (BNS) लेगा और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के प्रावधान लागू होंगे।
महिलाओं से जुड़े ज्यादातर अपराधों में पहले से ज्यादा सजा मिलेगी। इलेक्ट्रॉनिक सूचना से भी FIR दर्ज हो सकेगी। कम्युनिटी सेवा जैसे प्रावधान भी लागू होंगे। अंग्रेजों के जमाने से चल रहे तीन आपराधिक कानून 1 जुलाई से बदल गए हैं। जिसके तहत दिल्ली के कमला मार्केट थाने में भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत पहला मामला दर्ज हो गया है।
पहली एफआईआर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के फुटओवर ब्रिज के नीचे अवरोध पैदा करने और सामान बेचने के आरोप में एक रेहड़ी-पटरी वाले के खिलाफ आईपीसी की धारा 285 के तहत दर्ज हुई है। बताया जा रहा है कि यह रेहड़ी-पटरी वाला आरोपी बिहार का रहने वाला है।

आरोपी का जुर्म क्या है, कौन सी धारा लगी?

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर फुटओवर ब्रिज को बाधित कर अपनी दुकान चलाने पर रेहड़ी-पटरी वाले पर नए क्रिमिनल कानून के तहत केस दर्ज किया गया है। रेहड़ी पटरी वाले पर भारतीय भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 173 के तहत पहली FIR दर्ज कराई गई है। वहीं उसपर दूसरे क्रिमिनल कानून की धारा 285 के तहत आरोप लगाया गया है।
एफआईआर में दिए गए विवरण के अनुसार, आरोपी मुख्य सड़क के पास एक ठेले पर तंबाकू उत्पाद और पानी बेच रहा था, जिससे राहगीरों को परेशानी और असुविधा हो रही थी। आस-पास गश्त कर रहे पुलिस अधिकारियों ने आरोपी से अपना ठेला हटाने का अनुरोध किया, लेकिन उसने उनके निर्देशों की अवहेलना की। इसके बाद दिल्ली पुलिस को यह कार्रवाई करनी पड़ी।

नए क्रिमिनल कानून के बारे में

बीएनएस में 358 धाराएं हैं, जो आईपीसी में 511 से कम है। इसमें 21 नए अपराध शामिल किए गए हैं, 41 अपराधों के लिए कारावास की अवधि बढ़ाई गई है, 82 अपराधों के लिए जुर्माना बढ़ाया गया है, 25 अपराधों के लिए न्यूनतम सजा पेश की गई है और छह अपराधों के लिए दंड के रूप में सामुदायिक सेवा शुरू की गई है। इसके अलावा, 19 धाराओं को हटा दिया गया है।
बीएनएसएस में सीआरपीसी में 484 की तुलना में 531 धाराएं हैं, जिसमें 177 धाराओं में बदलाव, नौ धाराएं और 39 उप-धाराएं जोड़ी गईं और 14 धाराएं हटाई गईं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, जिसमें 166 धाराएं हैं, को भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) द्वारा प्रतिस्थापित किया जा रहा है, जिसमें 170 धाराएं होंगी, 24 धाराओं में बदलाव, दो नई उप-धाराएं जोड़ी जाएंगी और छह धाराएं हटाई जाएंगी।

नए क्रिमिनल कानून में ये है प्रावधान

  • यौन उत्पीड़न के मामलों में 7 दिनों के भीतर रिपोर्ट जमा करानी होगी।
  • ऑनलाइन शिकायत दर्ज होने के तीन दिन के अंदर एफआइआर।
  • एफआइआर से लेकर कोर्ट के फैसले की सुनवाई ऑनलाइन होगी।
  • कोर्ट में पहली सुनवाई से पहले 60 दिनों के अंदर आरोप तय करना होगा।
  • भगोड़े अपराधियों पर 90 दिनों के अंदर केस।
  • आपराधिक मामलों में सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के अंदर फैसला।
  • 7 साल से ज्यादा सजा पाने वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच जरूरी।

पुराने मामले आईपीसी के तहत निपटाए जाएंगे: स्पेशल सीपी

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सीपी छाया शर्मा ने बताया कि पुराने मामलों को आईपीसी के तहत निपटाया जाएगा। एक जुलाई से जब नए मामले दर्ज किए जाएंगे, तो उन पर बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) की धाराएं लागू होंगी। सभी को इन धाराओं का पालन करना होगा। अब नए मामलों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धाराओं के तहत निपटाया जाएगा।

तीन नए विधेयक

भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 रह गई हैं। संशोधन के जरिए इसमें 20 नए अपराध शामिल किए हैं, तो 33 अपराधों में सजा अवधि बढ़ाई है। 83 अपराधों में जुर्माने की रकम भी बढ़ाई है। 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान है। छह अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है।

पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा से मिली मंजूरी

भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को 12 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार ने लोकसभा में तीन संशोधित आपराधिक विधियकों को पेश किया था। इन विधेयकों को लोकसभा ने 20 दिसंबर, 2023 को और राज्यसभा ने 21 दिसंबर, 2023 को मंजूरी दी।

राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बने कानून

राज्यसभा में विधेयकों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए जाने के बाद ध्वनि मत से पारित किया गया था। इसके बाद 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद विधेयक कानून बन गए। लेकिन इनके प्रभावी होने की तारीख 1 जुलाई, 2024 रखी गई। संसद में तीनों विधेयकों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इनमें सजा देने के बजाय न्याय देने पर फोकस किया गया है।

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