अमेरिका में दर्दनाक हादसा: हरियाणा के दो दोस्त जगुआर कार में जिंदा जले, परिवारों में मातम

रोमी (बाएं) और विशाल (दाएं) की फाइल फोटो।
नरेंद्र सहारण, कैथल : अमेरिका के कैलिफोर्निया के सैक्रामेंटो शहर में एक भीषण सड़क हादसे में हरियाणा के दो युवा दोस्तों की दुखद मौत हो गई जब उनकी जगुआर कार एक तेज रफ्तार ट्रक से टकराकर आग के हवाले हो गई। इस हृदय विदारक घटना में कैथल जिले के सिरसल गांव निवासी अरुण जांगड़ा उर्फ रोमी (24) और करनाल जिले के कोयर गांव निवासी विशाल (22) ने अपनी जान गंवा दी। ये दोनों युवक बेहतर भविष्य की तलाश में अपनी ज़मीनें बेचकर अमेरिका गए थे लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। इस हादसे ने न केवल उनके परिवारों के सपनों को चकनाचूर कर दिया है बल्कि विदेश में बसने की चाह रखने वाले कई युवाओं के लिए एक दर्दनाक सबक भी छोड़ गया है।
कैलिफोर्निया की सड़कों पर मौत का तांडव
भारतीय समय के अनुसार सोमवार रात को अमेरिका के कैलिफोर्निया में एक भयानक सड़क हादसा हुआ, जिसने हरियाणा के दो परिवारों पर दुखों का पहाड़ तोड़ दिया। अरुण जांगड़ा उर्फ रोमी और विशाल, जो अपनी जगुआर कार से घूमने निकले थे, एक ऐसे हादसे का शिकार हो गए जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
प्रत्यक्षदर्शियों और पुलिस रिपोर्टों के अनुसार, यह हादसा उस समय हुआ जब दोनों दोस्त अपनी जगुआर कार में यात्रा कर रहे थे। कार कथित तौर पर तेज रफ्तार में थी और बेकाबू होकर पलट गई। कार कई बार पलटी खाते हुए सड़क पर फिसलती रही और अंततः सामने से आ रहे एक भारी भरकम ट्रक से जा टकराई। टक्कर इतनी भीषण थी कि जगुआर कार में तुरंत आग लग गई। आग की लपटें इतनी तेज़ी से फैलीं कि अंदर फंसे दोनों युवकों को बाहर निकलने का कोई मौका नहीं मिला। वे कार के भीतर ही जिंदा जल गए।
हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। फायर ब्रिगेड कर्मियों ने काफी मशक्कत के बाद कार में लगी भीषण आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। आग बुझने के बाद, दोनों युवकों के शवों को कार से बाहर निकाला गया और तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। हालांकि, डॉक्टरों ने उन्हें देखते ही मृत घोषित कर दिया।
घटना का एक विचलित करने वाला वीडियो भी सामने आया है, जिसमें दुर्घटनाग्रस्त जगुआर कार को ट्रक से टकराने के बाद धूं-धूं कर जलते हुए देखा जा सकता है। यह वीडियो इस हादसे की भयावहता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है ताकि दुर्घटना के सटीक कारणों का पता लगाया जा सके, जिसमें कार की अत्यधिक गति और नियंत्रण खोने के संभावित कारण शामिल हैं।
रोमी और विशाल: सपनों की उड़ान का दुखद अंत
कैथल जिले के पुंडरी क्षेत्र के गांव सिरसल के रहने वाले अरुण जांगड़ा उर्फ रोमी अपने परिवार का इकलौता बेटा था। उसके पिता चिनाई का काम करते हैं, और परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद सामान्य थी। रोमी के परिवार में उसकी मां और एक छोटा भाई भी है। अभी तक अविवाहित रोमी ने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने और उन्हें एक बेहतर जीवन देने का सपना देखा था।
करीब दो साल पहले रोमी ने कनाडा जाने के लिए अपने परिवार की एक एकड़ ज़मीन बेची थी। यह ज़मीन उनके लिए न केवल एक संपत्ति थी बल्कि उनकी मेहनत और भविष्य की उम्मीदों का प्रतीक भी थी। टूरिस्ट वीज़ा पर कनाडा पहुंचने के बाद रोमी ने वहां कुछ दिनों तक काम किया। थोड़े पैसे इकट्ठा होने के बाद उसने कनाडा में रहने वाले अपने कुछ जानकारों से और पैसे उधार लिए और अमेरिका चला गया। अमेरिका में वह ट्रक चलाने का काम करने लगा। वह अपनी कमाई का एक हिस्सा नियमित रूप से अपने घर भेजता था, ताकि उसके परिवार की मदद हो सके। परिवार ने यह सोचकर उसे विदेश भेजा था कि वह उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करेगा, लेकिन नियति ने कुछ और ही लिख रखा था।
करनाल का युवा: ‘डंकी’ रूट का दुर्भाग्यपूर्ण यात्री
करनाल के कोयर गांव का रहने वाला विशाल अपने परिवार का एक और युवा सदस्य था जिसने अमेरिका में बेहतर भविष्य की तलाश की। विशाल की एक बड़ी बहन है जिसकी शादी करनाल में हुई है और वह अब अपने पति के साथ पुर्तगाल में रहती है। विशाल की मां का निधन तब हो गया था जब वह छोटा था और उसके पिता कर्म सिंह और बड़ी बहन ने ही उसे पाला था।
विशाल के पिता कर्म सिंह पहले खेती का काम करते थे लेकिन पिछले कुछ समय से वे बीमार चल रहे हैं। परिवार की चार एकड़ ज़मीन ठेके पर दी हुई थी। विशाल को अमेरिका भेजने के लिए उसके चाचा ने परिवार की एक किला ज़मीन बेच दी थी। इसके अलावा, विशाल को अमेरिका भेजने के लिए करीब 14 से 15 लाख रुपये रिश्तेदारों से कर्ज भी लिया गया था।
विशाल 2022 में ‘डंकी’ रास्ते से अमेरिका पहुंचा था। ‘डंकी’ रूट उन अवैध और खतरनाक रास्तों को संदर्भित करता है जिनके माध्यम से लोग बिना उचित दस्तावेज़ों के किसी देश में प्रवेश करते हैं। यह मार्ग अक्सर जानलेवा होता है और इसमें कई तरह के जोखिम शामिल होते हैं। अमेरिका पहुंचकर विशाल भी ट्रक चलाने का काम करने लगा, जैसा कि रोमी कर रहा था। यह एक आम बात है कि भारतीय युवा, खासकर हरियाणा और पंजाब से, अमेरिका में ट्रक ड्राइविंग के पेशे में संलग्न होते हैं, क्योंकि इसमें कमाई के बेहतर अवसर होते हैं।
विशाल के मामा भी यूके में रहते हैं और उनके पास यूके की नागरिकता है, जो दर्शाता है कि उसके परिवार के कुछ सदस्य विदेश में सफलतापूर्वक बस चुके थे। शायद इसी बात ने विशाल को भी अमेरिका जाने के लिए प्रेरित किया होगा, इस उम्मीद में कि वह भी अपने परिवार के लिए एक बेहतर भविष्य बना पाएगा।
दोस्ती का सफर और अंतिम यात्रा
रोमी और विशाल दोनों ही अमेरिका में ट्रक चला रहे थे और एक साथ रहते थे। सुमित विशाल के चाचा के बेटे ने बताया कि घटना के समय विशाल और रोमी ट्रक छोड़कर अपनी जगुआर कार से फ्रिजनों में अपने घर लौट रहे थे। यह एक सामान्य दिनचर्या का हिस्सा था जब वे काम से लौट रहे थे।
नियति का खेल देखिए जिस जगुआर कार में वे खुशी-खुशी घूमने निकले थे वही उनकी अंतिम यात्रा का साधन बन गई। अत्यधिक गति, बेकाबू होना और फिर ट्रक से भीषण टक्कर इन सभी कारकों ने मिलकर एक ऐसी त्रासदी को जन्म दिया जिसने दो युवा जिंदगियों को पल भर में छीन लिया।
परिवारों पर टूटा दुखों का पहाड़: अब क्या होगा?
रोमी और विशाल के परिवारों को इस दुखद घटना की जानकारी भारतीय समय के अनुसार सोमवार रात को हुए हादसे के बाद मंगलवार को मिली। यह खबर उनके लिए वज्रपात से कम नहीं थी।
रोमी के पिता के मुताबिक, उनके परिवार ने यह सोचकर अपने बेटे को विदेश भेजा था कि भारत में खेती-बाड़ी से केवल गुज़ारा हो सकता है, लेकिन अमेरिका जाकर उनका बेटा परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार करेगा। उन्होंने सपने संजोए थे कि रोमी अमेरिका में सफल होगा और उनके जीवन में खुशहाली लाएगा। लेकिन इस हादसे ने उनके सभी अरमानों पर पानी फेर दिया। एक बेटा खोना किसी भी माता-पिता के लिए असहनीय पीड़ा होती है, और यह विशेष रूप से तब और बढ़ जाती है जब वह इकलौता हो और बेहतर भविष्य के सपनों के साथ विदेश गया हो।
विशाल के परिवार के लिए भी यह एक बड़ा झटका है। उन्होंने विशाल को अमेरिका भेजने के लिए अपनी ज़मीन बेची थी और भारी कर्ज लिया था। अब न केवल उन्होंने अपना बेटा खो दिया है, बल्कि उन पर भारी वित्तीय बोझ भी आ गया है। विशाल की बहन जो खुद पुर्तगाल में रहती है और उसके पिता जो पहले से ही बीमार चल रहे हैं, इस खबर से टूट गए होंगे।
अब इन परिवारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने बेटों के पार्थिव शरीर को भारत वापस लाने की है। विदेश में हुई मौतों के मामलों में शवों को वापस लाने की प्रक्रिया अक्सर लंबी और जटिल होती है, जिसमें कानूनी औपचारिकताएं और वित्तीय खर्च शामिल होते हैं। दोनों परिवार गरीब पृष्ठभूमि से हैं, और ऐसे में उन्हें इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सरकार और समुदाय की मदद की आवश्यकता होगी।
विदेश में बेहतर भविष्य की तलाश
यह घटना हरियाणा और पंजाब के उन अनगिनत युवाओं के लिए एक चेतावनी है जो बेहतर भविष्य और आर्थिक समृद्धि की तलाश में विदेशों का रुख करते हैं। अक्सर, वे इसके लिए अपनी ज़मीनें बेचते हैं, भारी कर्ज लेते हैं, और कई बार ‘डंकी’ जैसे खतरनाक और अवैध रास्तों का सहारा लेते हैं।
इस मामले में, रोमी और विशाल दोनों ही ट्रक चला रहे थे, जो कि अमेरिका में भारतीय अप्रवासियों के बीच एक लोकप्रिय पेशा है। हालांकि, लंबे समय तक गाड़ी चलाना, थकावट और अज्ञात सड़कों पर ड्राइविंग से जुड़े जोखिम भी काफी होते हैं।
विदेशों में काम करने वाले अप्रवासियों को अक्सर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
कानूनी और दस्तावेज़ीकरण के मुद्दे: कई युवा अवैध या अस्थायी वीज़ा पर जाते हैं, जिससे उन्हें कानूनी सुरक्षा और अधिकारों से वंचित रहना पड़ता है।
वित्तीय बोझ: विदेश जाने के लिए लिया गया भारी कर्ज एक बड़ा दबाव होता है, जिससे उन्हें लगातार काम करने और पैसे कमाने पर मजबूर होना पड़ता है।
सामाजिक अलगाव और मानसिक स्वास्थ्य: परिवार और दोस्तों से दूर रहना, एक नए माहौल में ढलना और काम का दबाव मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है।
सुरक्षा जोखिम: ‘डंकी’ जैसे अवैध रास्तों पर यात्रा करना अत्यंत खतरनाक होता है, जिसमें जानलेवा दुर्घटनाओं, शोषण और मानव तस्करी का जोखिम होता है।
कार्यस्थल सुरक्षा: कुछ पेशे जैसे ट्रक ड्राइविंग, में लंबे घंटे और थकाऊ यात्राएं शामिल होती हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
इस दुखद घटना को एक सबक के रूप में देखा जाना चाहिए कि विदेश में बेहतर जीवन की तलाश में निकलने से पहले सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार किया जाए। युवाओं और उनके परिवारों को चाहिए कि वे कानूनी और सुरक्षित तरीकों का ही पालन करें, और जोखिम भरे रास्तों से बचें। सरकारों और सामाजिक संगठनों को भी इस मुद्दे पर जागरूकता पैदा करने और युवाओं को सही मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए आगे आना चाहिए।
परिवारों को समर्थन और जागरूकता
अब रोमी और विशाल के परिवारों को न केवल अपने बेटों के गम में डूबे रहना होगा बल्कि उनके पार्थिव शरीर को वापस लाने और अंतिम संस्कार की व्यवस्था करने की चुनौती का भी सामना करना होगा। भारतीय दूतावास और स्थानीय प्रशासन को इन परिवारों की हर संभव सहायता करनी चाहिए ताकि वे अपने प्रियजनों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार कर सकें।
इसके साथ ही, इस घटना को एक उदाहरण के रूप में लेते हुए, सरकार, गैर-सरकारी संगठनों और सामुदायिक नेताओं को विदेशों में बसने के इच्छुक युवाओं के बीच जागरूकता अभियान चलाने चाहिए। उन्हें वैध वीज़ा प्रक्रियाओं, सुरक्षित यात्रा मार्गों और विदेशों में काम करने से जुड़े वास्तविक जोखिमों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।
यह भी महत्वपूर्ण है कि भारत में युवाओं के लिए पर्याप्त रोज़गार के अवसर पैदा किए जाएं ताकि उन्हें अपनी ज़मीनें बेचकर या खतरनाक रास्तों से विदेश जाने की ज़रूरत न पड़े। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि-आधारित उद्योगों और कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
एक दर्दनाक अंत और अनसुलझे सवाल
कैलिफोर्निया में हुई यह दर्दनाक दुर्घटना सिर्फ दो जिंदगियों का अंत नहीं है, बल्कि यह उन हजारों सपनों का भी प्रतीक है जो हर साल विदेश की मिट्टी में दफन हो जाते हैं। रोमी और विशाल ने अपने परिवारों के लिए एक बेहतर भविष्य बनाने का सपना देखा था, लेकिन यह सपना एक जलती हुई कार में राख हो गया।
यह घटना हमें याद दिलाती है कि समृद्धि की चाहत में उठाए गए जोखिम कितने भारी पड़ सकते हैं। अब यह समाज और सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वे इन परिवारों को सहारा दें और यह सुनिश्चित करें कि ऐसी त्रासदी दोबारा न हो। यह हादसा एक मार्मिक चेतावनी है कि विदेशों में ‘गोल्डन’ अवसर हमेशा उतने सुनहरे नहीं होते जितने वे दिखते हैं, और कई बार इनकी कीमत ज़िंदगी से भी चुकाई जा सकती है।
इस घटना के बाद, क्या आप विदेश में भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा और चुनौतियों के बारे में और अधिक जानना चाहेंगे, या भारत से अवैध प्रवासन के कारणों पर चर्चा करना चाहेंगे?