उदय सहारण ने पूरा किया पापा का सपना, नाना के निधन से पहले कही थी दिल छूने वाली बात, मां ने रोते हुए सुनाई दास्ता

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। अंडर-19 टीम इंडिया के कप्तान उदय सहारण (Uday Saharan) शानदार बल्लेबाज के साथ बेहतरीन फील्डर भी है। उन्हें बचपन से ही क्रिकेट का बहुत शौक था। वो घर पर भी बॉल से तोड़फोड़ करते थे। जब घरवालों से डांट पड़ती तो वो नाराज हो जाते थे, लेकिन बस क्रिकेट की धुन थी। सिर्फ इतना ही नहीं अपने नाना के निधन से ठीक पहले हुई मुलाकात में उन्होंने नाना से कहा था, यार नानू भगवान से 2 साल की मोहलत मांग लो, मैं टीम इंडिया की जर्सी पहनकर खेलूंगा और आप मुझे बल्लेबाजी करते हुए देखेंगे। यह बात उदय सहारण की मां शालिनी ने बताया है।
जिद और जुनून ने उदय को बनाया को काबिल
बता दें कि श्रीगंगानगर के उदय सहारण अंडर-19 टीम इंडिया के कप्तान हैं, जो इन दिनों दक्षिण अफ्रीका में चल रहे वर्ल्ड कप में टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। उदय सहारण को उनकी जिद और जुनून ने इस काबिल बनाया है। उनके संघर्ष की कहानी पर परिवार का मानना है कि उदय शुरू से ही खुद अपना मुकाम बनाना चाहते थे और उन्होंने यह कर भी दिखाया। उदय ने 14 साल की उम्र में क्रिकेट यात्रा शुरू की और खेल में महत्वपूर्ण प्रभाव डालने की महत्वाकांक्षा के साथ पंजाब चले गए। पिछले पांच वर्षों में वह अंडर-14, अंडर-16 और अंडर-19 श्रेणियों में पंजाब का प्रतिनिधित्व करते हुए रैंक में आगे बढ़े हैं। मध्यक्रम के बल्लेबाज को गुवाहाटी में 2023 U19 चैलेंजर्स ट्रॉफी में उत्कृष्ट प्रदर्शन के बाद कप्तानी मिली। उन्होंने इंडिया डी टीम का नेतृत्व करते हुए पांच मैचों में 99 की औसत से 297 रन बनाए।
दुबई में आयोजित 2023 एशिया कप में सहारन ने उल्लेखनीय बल्लेबाजी का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तान के खिलाफ अर्धशतकीय पारी खेली। उनका शानदार फॉर्म हाल ही में दक्षिण अफ्रीका और अफगानिस्तान से जुड़े त्रिकोणीय अंडर-19 टूर्नामेंट में जारी रहा, जहां उन्होंने मेजबान दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शानदार 112 रन बनाए। विश्व कप से पहले पांचवें नंबर के बल्लेबाज ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अभ्यास मैच में 74 रन बनाकर अपने कौशल का प्रदर्शन किया।
फोटो- उदय सहारण अपने पिता संजीव सहारण के साथ
उदय सहारण ने पिता के सपने को पूरा किया
बता दें कि उदय सहारण के पिता डॉ. संजीव सहारण ए श्रेणी के क्रिकेट कोच हैं। डॉ. सहारण ने कहा है कि उनका सपना बहुत बड़ा क्रिकेटर बनने का था, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया और वो डॉक्टर बन गए। हालांकि क्रिकेट में मुकाम नहीं मिल पाई, लेकिन उन्होंने बेटे का सपना पूरा करने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। वो उदय सहारण को 10 से 12 घंटे अभ्यास करवाया। अब उनके बेटे ने अपने पिता का अधूरा सपना पूरा किया है। डॉ. सहारण ने बताया कि उदय सहारण ने कभी किसी खिलाड़ी जैसा बनने की बात नहीं की। अक्सर कई युवा सचिन और विराट जैसा क्रिकेटर बनने की बात करते है, वो खुद का मुकाम बनाएगा। ताकि लोग उसी तरह पसंद करे जैसे विराट और सचिन को पसंद करते हैं।
घर पर बल्लेबाजी से करते थे तोड़फोड़
उदय सहारण की मां शालिनी ने कहा हैं कि उदय बचपन में हमेशा घर पर बॉल से तोड़फोड़ करते थे। डांटने पर कई बार नाराज भी होते है, लेकिन उन्हें तो बस क्रिकेट की धुन थी। वो बताती हैं कि उदय हमेशा क्रिकेट में आगे बढ़ने के लिए ही प्रयास करते है। शालिनी ने बताया कि उदय की अपने नाना से खूब बनती थी, वो उनके साथ खेलते है। अपने नाना के निधन से ठीक पहले जब वो उनसे मिले तो बस इतना ही कहा- यार नानू गॉड से 2 साल की मोहलत मांग लो, मैं और आप साथ में क्रिकेट ग्राउंड जाएंगे, मैं इंडिया की जर्सी पहनकर खेलूंगा और आप मुझे देखेंगे। वो बताती हैं कि उदय सहारण को खुद पर इतना विश्वास था, वह अंडर-19 टीम इंडिया का कप्तान तो बना, लेकिन देखने वाले उसके नाना नहीं हैं।
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पिता ही बने कोच
उदय सहारण ने क्रिकेट खेलने की शुरुआत श्रीगंगानगर की मयूर क्रिकेट एकेडमी से लगभग 12 साल की उम्र में की। उनके कोच और पिता डॉ. संजीव सहारण उन्हें अपने साथ महाराजा गंगासिंह स्टेडियम लेकर जाते थे। उन्होंने क्रिकेट खेलने की शुरुआत करीब 12 साल की उम्र में मयूर क्रिकेट एकेडमी से की। अपने पिता से प्रोत्साहित होकर उदय फाजिल्का का प्रतिनिधित्व करने के लिए बठिंडा चले गए, जहां पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा प्रदान किए गए बुनियादी ढांचे ने उनके कौशल को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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