पश्चिम बंगाल में केंद्रीय मंत्री ने किया दावा, सात दिनों के अंदर देश में लागू हो जाएगा CAA

कोलकाता, BNM News : लोकसभा चुनाव की घोषणा में कुछ दिन शेष हैं। उससे पहले देश में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के क्रियान्वयन की खबरें आ रही हैं। केंद्रीय राज्यमंत्री शांतनु ठाकुर ने दावा करते हुए कहा कि देश में अगले एक सप्ताह के भीतर सीएए लागू किया जाएगा। बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के बनगांव से भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने कहा कि मैं ये गारंटी दे रहा हूं कि अगले सात दिनों में सिर्फ बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश में सीएए को तेजी से कार्यान्वित किया जाएगा। मतुआ समुदाय के नेता शांतनु ठाकुर ने इससे पहले बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के काकद्वीप में एक रैली में भी इसी तरह का दावा किया।

बंगाल में मतुआ समुदाय को होगा ज्यादा फायदा

 

उन्होंने कहा कि सीएए लागू करने को लेकर कोई संशय नहीं है। इससे पहले कई रिपोर्ट में कहा गया कि इस कानून के नियमों को लोकसभा चुनाव से पहले अधिसूचित किया जाएगा। ऐसे में माना जा रहा है कि संशोधित नागरिकता कानून (CAA) लागू होने से सबसे ज्यादा फायदा बंगाल में मतुआ समुदाय को होगा। इससे पहले दिसंबर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीएए को देश का कानून बताते हुए कहा था कि इसके लागू होने से कोई नहीं रोक सकता है। उन्होंने बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस को लेकर सीएए को लेकर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया था।

तृणमूल कांग्रेस ने CAA को देश के लिए विभाजनकारी बताया

इधर, इस दावे पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए पुरजोर विरोध किया और सीएए को देश के लिए विभाजनकारी बताया। तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि ममता बनर्जी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि बंगाल में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) किसी हाल में लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेता लोकसभा चुनाव से पहले इस तरह के झूठे वादे कर राजनीतिक नौटंकी करने का प्रयास कर रहे हैं।

क्या है CAA कानून

दरअसल, दिसंबर 2019 में संसद से पारित इस कानून का उद्देश्य 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत के पड़ोसी देशों में बसे बांग्लादेश, पाकिस्तान व अफगानिस्तान से आए छह समुदायों हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाइयों सहित प्रताड़ना झेल चुके गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है। तृणमूल कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि इसमें मुसलमानों को भी शामिल किया जाए।

बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे

 

2019 में यह कानून पारित होने के बाद देश के कुछ हिस्सों में इसको लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद कोरोना महामारी और लॉकडाउन आ गया। इसके चलते इस कानून का अब तक क्रियान्वयन नहीं हो सका है। हालांकि, इन देशों से आने वाले नागरिकों को इसके बावजूद नागरिकता दी जा रहा है। कुछ विशेष मामलों में मुसलमानों को भी नागरिकता दी जा रही है।

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