UP News: शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने पर विचार करे सरकार, हाईकोर्ट ने कहा- यह धनराशि जीवनयापन के लिए नाकाफी

प्रयाग राज, BNM News। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों को दिए जा रहे मानदेय को जीवन यापन के लिए जरूरी धनराशि से काफी कम माना है। शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने पर विचार कर निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार को चार हफ्ते में एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है।  कोर्ट ने उम्मीद जताई कि उच्च स्तरीय कमेटी अगले 3 माह में सहानुभूतिपूर्वक विचार कर नियमानुसार शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने पर उचित निर्णय लेगी। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने जितेंद्र कुमार भारती सहित 10 याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है।

समान कार्य समान वेतन की मांग मानने से इन्कार

हालांकि, कोर्ट ने समान कार्य समान वेतन की मांग मानने से इन्कार कर दिया है। लेकिन कोर्ट ने कहा कि इतना मानदेय दिया जाना चाहिए, जिससे महंगाई को देखते हुए गरिमा के साथ जीवन यापन हो सके। याची का कहना था कि शिक्षामित्र विभिन्न स्कूलों में पिछले 18 वर्षों से सहायक अध्यापक की तरह पढ़ा रहे हैं। उन्हें काफी कम मानदेय 10 हजार रुपये महीने दिया जा रहा है। इसलिए समान कार्य समान वेतन के स्थापित विधि सिद्धांत के तहत नियमित सहायक अध्यापक को मिल रहा न्यूनतम वेतनमान दिया जाए अथवा मानदेय का पुनरीक्षण कर बढ़ाया जाए।

उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा

 

राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि याचीगण संविदा पर कार्यरत हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे लोगों को समान कार्य समान वेतन देने से अपने फैसलों में इन्कार किया है।

कोर्ट ने कहा

 

शिक्षामित्र संविदा पर कार्यरत हैं। कोर्ट यह तय नहीं कर सकती कि उन्हें समान कार्य समान वेतन का लाभ दिया जाए। यह तय करना विशेषज्ञ प्राधिकारी का काम है। इसलिए याचीगण सरकार से संपर्क करें। इस पर विचार के लिए कोर्ट ने उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है।

 

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