ईरान में 3 न्यूक्लियर ठिकानों पर अमेरिका का हमला, ईरान का इजरायल पर जवाबी हमला, 10 शहरों में मिसाइलों की बारिश

वाशिंगटन/तेहरान। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बार फिर तनाव की नई लकीर खिंच गई है। अमेरिका और ईरान के बीच छिड़ी जंग ने वैश्विक स्तर पर चिंता की लहर दौड़ा दी है। इस संघर्ष का आरंभ उस समय हुआ जब अमेरिकी सेना ने ईरान के तीन न्यूक्लियर साइट्स फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर बड़े पैमाने पर हमला कर दिया। इस कार्रवाई के बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष और तेज हो गया और इसका प्रभाव पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में महसूस किया गया। ईरान की फोर्डो न्यूक्लियर रिसर्च साइट पर हमले में छह बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल किया गया। हमले के बाद पश्चिम एशिया में अपने सभी सैन्य ठिकानों पर अधिकतम अलर्ट जारी किया है।
ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन (AEOI) ने हमलों के बाद जारी बयान में कहा कि पिछले कुछ दिनों से दुश्मन की ओर से किए जा रहे बर्बर हमलों के क्रम में रविवार तड़के फोर्डो, नतांज और इस्फहान में देश के परमाणु ठिकानों पर ईरान के दुश्मनों ने हमला किया। बयान में कहा गया कि यह कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून विशेष रूप से परमाणु अप्रसार संधि (NPT), का खुला उल्लंघन है। ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हमले के बाद तेहरान भड़का हुआ है। ईरान ने इजरायल के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते करते हुए 10 से ज्यादा शहरों पर मिसाइलें दागी हैं। इन शहरों में राजधानी तेल अवीव और हाइफा जैसे शहर भी हैं।
अमेरिका का ईरान पर हमला: ट्रम्प का राष्ट्रव्यापी संबोधन
घटना की शुरुआत उस समय हुई जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने देश के नाम अपने संबोधन में कहा कि ईरान की अहम न्यूक्लियर साइट्स पूरी तरह से तबाह कर दी गई हैं। यह बयान दुनिया के सामने एक बड़े युद्ध की आशंका को जन्म देता है। ट्रम्प ने अपने भाषण में कहा, “आज हमने ईरान की सबसे महत्वपूर्ण न्यूक्लियर साइटों को नष्ट कर दिया है। यह कदम हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में है। फोर्डो पर बमों की एक पूरी खेप गिराई गई है। अब समय है कि ईरान शांति की राह अपनाए, नहीं तो हम और भी बड़े और निर्णायक कदम उठाने को तैयार हैं।”
हमले का उद्देश्य और रणनीति
अमेरिका ने यह कार्रवाई विशेष रूप से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने के उद्देश्य से की है। ट्रम्प के अनुसार, ईरान अपने परमाणु हथियार बनाने के प्रयासों में लगा था, जो वैश्विक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा था। इस हमले में फोर्डो नामक साइट को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है, जो माना जा रहा है कि ईरान का प्रमुख परमाणु स्थल था। अमेरिकी सेना ने इस कार्रवाई के लिए बड़े पैमाने पर विमानों और मिसाइलों का प्रयोग किया, जिससे ईरान की परमाणु क्षमता को पूरी तरह से खत्म करने का प्रयास किया गया।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और विवाद
अमेरिका के इस कदम ने विश्वभर में हलचल मचा दी है। कई देश इस कार्रवाई का समर्थन कर रहे हैं, तो वहीं कुछ देशों ने इसकी निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय देशों ने इस घटना को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बताया है। खास बात यह है कि अमेरिका की यह कार्रवाई अचानक हुई, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है।
ईरान का जवाब: इजराइल पर दागी मिसाइलें
अमेरिका के हमले के तुरंत बाद ईरान ने भी अपने कदम उठाए। ईरान ने इजराइल पर मिसाइलें दागीं, जिसमें कहा गया कि यह जवाबी कार्रवाई है। इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) ने एक बयान में कहा, “हमने इजराइल के 14 महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाया है। यह हमारा सबसे बड़ा हमला है और हम अपने देश की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।”
मिसाइल हमले का स्थान और प्रभाव
ईरानी मिसाइलें हाइफा और तेल अवीव के मिलिट्री ठिकानों पर गिरीं। टाइम्स ऑफ इजराइल की रिपोर्ट के अनुसार, इन मिसाइलों ने कई जगहों पर नुकसान पहुंचाया है। हाइफा में एक सामरिक केंद्र को निशाना बनाया गया, जबकि तेल अवीव में भी कई सैन्य स्थलों पर मिसाइलें गिराई गईं। इस हमले में कई लोगों को चोटें आई हैं, और कुछ जगहों पर नुकसान भी हुआ है।
मिसाइल हमले का उद्देश्य और रणनीति
ईरान का यह कदम अमेरिका के खिलाफ अपना बदला लेना था, साथ ही यह संदेश देना भी कि वह अपने देश की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। ईरान ने यह भी घोषणा की है कि यदि अमेरिका या अन्य देशों ने कोई और हमला किया तो उसका जवाब और भी बड़ा होगा।
3. संघर्ष का व्यापक प्रभाव: मौतें, घायल और क्षति
3. मृतकों की संख्या और घायल
ईरान में स्थिति
अमेरिका-ईरान युद्ध का सबसे भयावह पहलू है मानवीय नुकसान। ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स न्यूज एजेंसी के अनुसार, 13 जून से अब तक ईरान में 657 लोगों की मौत हो चुकी है। इन मौतों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं। घायल का आंकड़ा 2000 से अधिक पहुंच चुका है। हालांकि ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मृतकों की संख्या 430 और घायलों को 3,500 बताया है। इन आंकड़ों में अंतर इस बात का संकेत है कि संघर्ष की वास्तविक स्थिति कितनी भयावह है।
इजराइल में स्थिति
इजराइल में भी संघर्ष का असर देखने को मिला है। यहां पर 24 लोगों की मौत हो चुकी है और 900 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इन घायलों में महिलाएं, बच्चे और सैनिक शामिल हैं। इस संघर्ष के दौरान इजराइल के कई शहरों में मिसाइलें गिरीं, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ है।
इजराइल में घायल और नुकसान
ईरान की मिसाइलों ने इजराइल के कई इलाकों में तबाही मचाई। टाइम्स ऑफ इजराइल की रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में 10 से अधिक जगहों पर मिसाइलें गिरीं। इन घटनाओं में कई घर, अस्पताल और सैन्य ठिकाने क्षतिग्रस्त हुए हैं। राहत एजेंसियों ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया, जिससे घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स और राहत कार्य
मेडिकल और राहत एजेंसियों का कहना है कि मिसाइल गिरने से कई स्थानों पर नुकसान हुआ है। राहत कार्यों में तेजी लाने के लिए टीमें जुटी हुई हैं। सुरक्षा एजेंसियां भी सक्रिय हैं और हालात पर नजर रख रही हैं।
मानवीय संकट और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संघर्ष ने मानवीय संकट खड़ा कर दिया है। दोनों देशों में नागरिकों की मौत और घायल होने का सिलसिला जारी है। अस्पतालों में चिकित्सा संसाधनों की कमी और आपूर्ति बाधित हुई है। पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संघर्ष को लेकर विश्व समुदाय की प्रतिक्रिया मिश्रित है। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों पक्षों से शांति कायम करने की अपील की है। अमेरिका का कहना है कि उसकी कार्रवाई आवश्यक थी, जबकि ईरान और इजराइल अपनी-अपनी सुरक्षा का हवाला देते हुए प्रतिक्रिया कर रहे हैं। यूरोपीय देश शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में कदम उठाने का आग्रह कर रहे हैं।
संघर्ष का भविष्य
यह संघर्ष अभी बहुत ही जटिल मोड़ पर है। यदि युद्ध इसी तरह जारी रहता है तो क्षेत्रीय स्थिरता खतरे में पड़ जाएगी। दोनों पक्षों को समझदारी दिखाने और बातचीत का रास्ता अपनाने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए हस्तक्षेप कर रहा है।
वैश्विक स्तर पर तनाव
अमेरिका ने ईरान पर अपने फैसले के तहत एक बड़ा कदम उठाया है, जो वैश्विक स्तर पर तनाव का कारण बन गया है। ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई कर अपनी ताकत का परिचय दिया है। दोनों देशों के बीच संघर्ष का यह दौर मानवीय नुकसान, आर्थिक नुकसान और क्षेत्रीय अस्थिरता का संकेत है। यदि युद्ध इसी रफ्तार से चलता रहा तो उसकी कीमत मानव जीवन के लिहाज से बहुत भारी पड़ेगी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि वह इस स्थिति को संभालने के लिए तुरंत कदम उठाए और शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में प्रयास करे, जिससे क्षेत्र में स्थिरता और मानवता की रक्षा हो सके।