ईरान में 3 न्यूक्लियर ठिकानों पर अमेरिका का हमला, ईरान का इजरायल पर जवाबी हमला, 10 शहरों में मिसाइलों की बारिश

वाशिंगटन/तेहरान। ईरान पर हमले को लेकर दो सप्ताह में निर्णय लेने की घोषणा को दरकिनार करते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार तड़के तीन ईरानी परमाणु संयंत्रों पर हमला किया। इनमें से पहाड़ के नीचे बने चर्चित फोर्डो परमाणु संयंत्र पर जीबीयू-57 बंकर बस्टर बम से हमला किया गया जबकि नातांज और इस्फहान के संयंत्रों पर टामहाक क्रूज मिसाइलें दागी गईं। हमले के बाद ट्रंप ने कहा, ईरान के प्रमुख परमाणु संयंत्र पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं। जबकि ईरान ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताते हुए खतरनाक दुष्परिणामों की चेतावनी दी है। इसी के साथ ईरान ने इजरायल पर बड़े हमले किए हैं। बताया गया है कि इजरायल के 14 शहरों पर हुए मिसाइल हमलों में 86 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। ईरान पर अमेरिका के हमले के बाद विश्व राजनीति भी गरमा गई है। रूस, चीन और ज्यादातर मुस्लिम देशों ने अमेरिकी कदम की निंदा की है।
अमेरिकी हमले के जवाब में ईरान ने इजरायल पर बड़ा हमला किया। बताया गया है कि ईरान ने दो हजार किलोमीटर तक मार करने वाली अपनी हाइपरसोनिक मिसाइल खैबर का इस हमले में इस्तेमाल किया और इस मिसाइल ने अन्य बैलेस्टिक मिसाइलों के साथ डिफेंस सिस्टम को गच्चा देते हुए इजरायली शहरों में भारी नुकसान पहुंचाया है। इसके जवाब में इजरायल ने भी ईरानी शहरों पर ताजा हमले किए हैं।
सात बी-2 विमानों से गिराए 14 बंकर बस्टर बम
अमेरिका ने अपनी कार्रवाई में सात बी-2 बमवर्षक स्टील्थ विमानों का इस्तेमाल किया। इन विमानों से फोर्डो परमाणु संयंत्र पर 14 बंकर बस्टर बम गिराए गए। प्रत्येक बम चट्टानी सतह के 60 मीटर भीतर जाकर फटता है और बर्बादी फैलाता है। चूंकि फोर्डो परमाणु संयंत्र पहाड़ के 90 मीटर नीचे बना था, इसलिए बी-2 विमानों से एक के बाद एक कई बम डाले गए। एक के बाद दूसरा बम पहले वाले रास्ते से ही भीतर जाता है और वहां जाकर फटता है। इसके चलते दूसरा बम मूल सतह से 120 मीटर नीचे तक जा सकता है। इससे फोर्डो संयंत्र के ढांचे का बर्बाद हो जाना तय है। स्टील्थ बी-2 विमान को रडार नहीं पकड़ सकता है, बावजूद इसके अमेरिकी वायुसेना ने उनकी रक्षा के लिए 125 लड़ाकू विमान भी ईरान के आकाश में भेजे थे। सभी विमान हमले के बाद सुरक्षित अमेरिकी ठिकानों पर लौट गए। अमेरिका ने इस कार्रवाई को आपरेशन मिडनाइट हैमर का नाम दिया था।
ट्रंप का राष्ट्रव्यापी संबोधन
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि ईरान को अब शांति की राह पर चलना चाहिए। हम ईरान के साथ युद्ध नहीं बल्कि वार्ता करना चाहते हैं। हमला ईरान पर नहीं, उसके परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए हुआ है। ट्रंप ने कहा, ईरान ने अगर शांति की राह नहीं पकड़ी तो भविष्य में और ज्यादा बड़े हमले होंगे क्योंकि ईरान में हमले के लिए अभी बहुत से स्थान बाकी हैं। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी कार्रवाई पर प्रसन्नता जाहिर की है और राष्ट्रपति ट्रंप का आभार जताया है। कहा है कि उनकी और राष्ट्रपति ट्रंप की नीति समान है, हम शक्ति के उपयोग से शांति स्थापित करने के पक्षधर हैं। तुर्किये में मौजूद ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने कहा, परमाणु मसले पर कूटनीति का समय गुजर चुका है, अब उनका देश आत्मरक्षा के अधिकार के अनुसार कार्रवाई करेगा। इसके दुष्परिणामों के लिए अमेरिका का युद्धोन्मुखी आचरण और गैरकानूनी कृत्य जिम्मेदार होंगे। अरागची ने बताया कि वह मास्को जा रहे हैं जहां पर वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलकर उन्हें ताजा हालात की जानकारी देंगे और उससे निपटने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। इस बीच ईरान ने कहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम जारी रहेगा।
हमले का उद्देश्य और रणनीति
अमेरिका ने यह कार्रवाई विशेष रूप से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने के उद्देश्य से की है। ट्रम्प के अनुसार, ईरान अपने परमाणु हथियार बनाने के प्रयासों में लगा था, जो वैश्विक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा था। इस हमले में फोर्डो नामक साइट को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है, जो माना जा रहा है कि ईरान का प्रमुख परमाणु स्थल था। अमेरिकी सेना ने इस कार्रवाई के लिए बड़े पैमाने पर विमानों और मिसाइलों का प्रयोग किया, जिससे ईरान की परमाणु क्षमता को पूरी तरह से खत्म करने का प्रयास किया गया।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और विवाद
अमेरिका के इस कदम ने विश्वभर में हलचल मचा दी है। कई देश इस कार्रवाई का समर्थन कर रहे हैं, तो वहीं कुछ देशों ने इसकी निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय देशों ने इस घटना को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बताया है। खास बात यह है कि अमेरिका की यह कार्रवाई अचानक हुई, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है।
ईरान ने इजराइल पर दागी मिसाइलें
अमेरिका के हमले के तुरंत बाद ईरान ने भी अपने कदम उठाए। ईरान ने इजराइल पर मिसाइलें दागीं, जिसमें कहा गया कि यह जवाबी कार्रवाई है। इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) ने एक बयान में कहा, “हमने इजराइल के 14 महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाया है। यह हमारा सबसे बड़ा हमला है और हम अपने देश की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।”
मिसाइल हमले का स्थान और प्रभाव
ईरानी मिसाइलें हाइफा और तेल अवीव के मिलिट्री ठिकानों पर गिरीं। टाइम्स ऑफ इजराइल की रिपोर्ट के अनुसार, इन मिसाइलों ने कई जगहों पर नुकसान पहुंचाया है। हाइफा में एक सामरिक केंद्र को निशाना बनाया गया, जबकि तेल अवीव में भी कई सैन्य स्थलों पर मिसाइलें गिराई गईं। इस हमले में कई लोगों को चोटें आई हैं, और कुछ जगहों पर नुकसान भी हुआ है।
ईरान का यह कदम अमेरिका के खिलाफ अपना बदला लेना था, साथ ही यह संदेश देना भी कि वह अपने देश की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। ईरान ने यह भी घोषणा की है कि यदि अमेरिका या अन्य देशों ने कोई और हमला किया तो उसका जवाब और भी बड़ा होगा।
ईरान में स्थिति
अमेरिका-ईरान युद्ध का सबसे भयावह पहलू है मानवीय नुकसान। ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स न्यूज एजेंसी के अनुसार, 13 जून से अब तक ईरान में 657 लोगों की मौत हो चुकी है। इन मौतों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं। घायल का आंकड़ा 2000 से अधिक पहुंच चुका है। हालांकि ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मृतकों की संख्या 430 और घायलों को 3,500 बताया है। इन आंकड़ों में अंतर इस बात का संकेत है कि संघर्ष की वास्तविक स्थिति कितनी भयावह है।
इजराइल में स्थिति
इजराइल में भी संघर्ष का असर देखने को मिला है। यहां पर 24 लोगों की मौत हो चुकी है और 900 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इन घायलों में महिलाएं, बच्चे और सैनिक शामिल हैं। इस संघर्ष के दौरान इजराइल के कई शहरों में मिसाइलें गिरीं, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ है।
इजराइल में घायल और नुकसान
ईरान की मिसाइलों ने इजराइल के कई इलाकों में तबाही मचाई। टाइम्स ऑफ इजराइल की रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में 10 से अधिक जगहों पर मिसाइलें गिरीं। इन घटनाओं में कई घर, अस्पताल और सैन्य ठिकाने क्षतिग्रस्त हुए हैं। राहत एजेंसियों ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया, जिससे घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स और राहत कार्य
मेडिकल और राहत एजेंसियों का कहना है कि मिसाइल गिरने से कई स्थानों पर नुकसान हुआ है। राहत कार्यों में तेजी लाने के लिए टीमें जुटी हुई हैं। सुरक्षा एजेंसियां भी सक्रिय हैं और हालात पर नजर रख रही हैं।
मानवीय संकट और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संघर्ष ने मानवीय संकट खड़ा कर दिया है। दोनों देशों में नागरिकों की मौत और घायल होने का सिलसिला जारी है। अस्पतालों में चिकित्सा संसाधनों की कमी और आपूर्ति बाधित हुई है। पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संघर्ष को लेकर विश्व समुदाय की प्रतिक्रिया मिश्रित है। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों पक्षों से शांति कायम करने की अपील की है। अमेरिका का कहना है कि उसकी कार्रवाई आवश्यक थी, जबकि ईरान और इजराइल अपनी-अपनी सुरक्षा का हवाला देते हुए प्रतिक्रिया कर रहे हैं। यूरोपीय देश शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में कदम उठाने का आग्रह कर रहे हैं।
संघर्ष का भविष्य
यह संघर्ष अभी बहुत ही जटिल मोड़ पर है। यदि युद्ध इसी तरह जारी रहता है तो क्षेत्रीय स्थिरता खतरे में पड़ जाएगी। दोनों पक्षों को समझदारी दिखाने और बातचीत का रास्ता अपनाने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए हस्तक्षेप कर रहा है।
वैश्विक स्तर पर तनाव
अमेरिका ने ईरान पर अपने फैसले के तहत एक बड़ा कदम उठाया है, जो वैश्विक स्तर पर तनाव का कारण बन गया है। ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई कर अपनी ताकत का परिचय दिया है। दोनों देशों के बीच संघर्ष का यह दौर मानवीय नुकसान, आर्थिक नुकसान और क्षेत्रीय अस्थिरता का संकेत है। यदि युद्ध इसी रफ्तार से चलता रहा तो उसकी कीमत मानव जीवन के लिहाज से बहुत भारी पड़ेगी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि वह इस स्थिति को संभालने के लिए तुरंत कदम उठाए और शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में प्रयास करे, जिससे क्षेत्र में स्थिरता और मानवता की रक्षा हो सके।