USA vs PAK: पाकिस्तान के खिलाफ अमेरिकी टीम की जीत में भारतीय मूल के खिलाड़ियों का बड़ा योगदान, जानें उनके बारे में
न्यूयार्क, एजेंसियां : पहली बार टी-20 विश्व कप (T 20 World Cup) खेल रही अमेरिकी टीम ने अपने दूसरे ही मैच में 2009 की चैंपियन और 2022 में उपविजेता रही पाकिस्तानी टीम को सुपर ओवर में पटखनी देकर सनसनी मचा दी। इस ऐतिहासिक जीत में भारतीय मूल के खिलाड़ियों को अहम योगदान रहा, जिनकी बदौलत क्रिकेट का ककहरा सीख रहे अमेरिका ने पाकिस्तान जैसी दिग्गज टीम को धूल चटाई। इनमें से कई क्रिकेटर प्रथम श्रेणी में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद बेहतर मौके की तलाश में अमेरिका पहुंचे तो कुछ क्रिकेट में एक और अवसर चाहते थे।
करियर बनाने अमेरिका पहुंचे मोनांक पटेल
अमेरिका की कप्तानी कर रहे मोनांक पटेल ने पाकिस्तान के विरुद्ध अर्धशतकीय पारी खेली और वह इस विश्व कप में पचासा जड़ने वाले रोहित शर्मा के बाद दूसरे कप्तान भी बन गए। मोनांक को उनकी पारी के लिए प्लेयर आफ द मैच चुना गया। अहमदाबाद में जन्में मोनांक उन चुनिंदा लोगों में से हैं, जिन्हें भारत में अवसर नहीं मिला तो क्रिकेट में करियर बनाने के लिए अमेरिका में आकर बस गए। राष्ट्रीय टीम के लिए नहीं खेलने के दौरान वह सप्ताह में तीन दिन भारतवंशी बच्चों को क्रिकेट के गुर सिखाते थे और कोचिंग क्लीनिक चलाते थे। मोनांक के पिता दिलीप पटेल भी विकेटकीपर-बल्लेबाज थे और उन्हें गुजरात में जिला स्तर पर क्रिकेट खेला है। मोनांक ने भी 11 वर्ष की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था और आणंद जिले की अंडर-15 टीम में उनका चयन भी हो गया था। तब अपने प्रदर्शन से मोनांक ने गुजरात क्रिकेट संघ के मुख्य कोच अंशुमन गायकवाड़ का ध्यान भी खींचा, लेकिन दुर्भाग्य से वह गुजरात की सीनियर टीम में जगह नहीं बना सके। इसके बाद वह 2014 में अमेरिका आ गए और ग्रीन कार्ड लेकर न्यूजर्सी में बस गए। तब शायद मोनांक भी नहीं जानते होंगे कि 10 वर्ष बाद उन्हें अमेरिकी टीम की कप्तानी करने का अवसर मिलेगा।
नीतिश कुमार ने चौका जड़ बचाया मैच
पाकिस्तान के विरुद्ध अंतिम गेंद पर अमेरिका को पांच रन चाहिए थे और भारतीय मूल के नीतिश कुमार ने चौका जड़कर मैच को सुपर ओवर में पहुंचा दिया। उसके बाद क्या हुआ ये सबने देखा। 2011 में जब महेंद्र सिंह धौनी के छक्के ने भारत को विश्व कप दिलाया और विराट कोहली उभरते सितारे थे तब स्कूल में पढ़ने वाले नीतिश कुमार कनाडा के लिए जिंबाब्वे के विरुद्ध 16 वर्ष 283 दिन की उम्र में 50 ओवरों का विश्व कप खेलकर सबसे युवा खिलाड़ी होने का विश्व रिकार्ड बनाया था। 13 वर्ष बाद हारिस रऊफ की आखिरी गेंद पर उनका चौका उनके करियर का सबसे सुनहरा पल था।
सौरभ नेत्रवलकर ने 14 साल बाद लिया हार का बदला
पाकिस्तान के विरुद्ध सुपर ओवर डालने वाले सौरव नेत्रवलकर ने इससे पहले मोहम्मद रिजवान और इफ्तिखार अहमद के विकेट लिए। सुपरओवर में भी उन्होंने केवल 13 रन दिए और टीम की जीत की पटकथा लिखी। मुंबई के रहने वाले नेत्रवलकर 2010 में अंडर-19 विश्व कप में भारतीय टीम का हिस्सा थे। तब पाकिस्तान ने क्वार्टर फाइनल में भारत को हराया था। अब 14 साल बाद उसी गेंदबाज ने अंडर-19 विश्व कप में मिली हार का हिसाब इस तरह लिया। अंडर-19 विश्व कप के बाद नेत्रवलकर को कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करने के बाद अमेरिका की कार्नेल यूनिवर्सिटी में एमएस करने के लिए छात्रवृत्ति मिली और वह पढ़ाई करने चले गए। हालांकि वह खुद को क्रिकेट से कभी अलग कर पाए और अमेरिकी क्रिकेट में हर स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करके उन्होंने सुर्खियां बटोरी। क्रिकेट से इतर उन्हें सिलिकान वैली में ओरेकल के कार्यालय में देखा जा सकता है जहां वह सीनियर कर्मचारी हैं ।
नोश्तुष केंजिगे ने स्क्वाश छोड़कर खेला क्रिकेट
तमिल मूल के अमेरिकी नोश्तुष केंजिगे ने पाकिस्तान के विरुद्ध तीन विकेट लिए। केंजिगे माता-पिता के साथ ऊटी छोड़कर अमेरिका आ बसे थे। 13 वर्ष की उम्र में स्पिनर बनने से पहले वह बाएं हाथ के मध्यम तेज गेंदबाज थे। जब वह 18 वर्ष के हुए तो उनके माता-पिता ने उन्हें बेंगलुरु भेज दिया, जहां उन्हें केएससीए का प्रथम डिविजन लीग खेला। उन्हें अहसास हो गया कि कर्नाटक की टीम में भी जगह बनाना मुश्किल है तो वह अमेरिका लौट आए। वाशिंटगन में नौकरी के दौरान वह स्क्वाश खेला करते थे और वहीं उन्हें न्यूयार्क में क्लब क्रिकेट के बारे में पता चला। उन्होंने नौकरी छोड़ी और आईसीसी के डब्ल्यूसीए डिविजन 4 में अमेरिका के लिये खेले।
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