विश्व हिंदी परिषद का सम्मान समारोह: हिंदी के गौरव और भविष्य पर मंथन, सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्र हुए सम्मानित

हिंदी विषय में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले मेधावी छात्रों का सम्मान समारोह
नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की परीक्षाओं में हिंदी विषय में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले मेधावी छात्रों को सम्मानित करने के लिए विश्व हिंदी परिषद द्वारा एक समारोह का आयोजन नई दिल्ली के हरियाणा भवन में किया गया। शैक्षणिक सत्र 2024-25 के इन होनहार छात्रों को प्रोत्साहित करने और हिंदी के प्रति उनके समर्पण को मान्यता देने के उद्देश्य से आयोजित इस समारोह में हिंदी भाषा के वर्तमान और भविष्य पर गहन चर्चा की गई।
समारोह की गरिमामयी उपस्थिति
इस महत्वपूर्ण अवसर पर राज्यसभा सांसद दर्शना सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं, जिनकी उपस्थिति ने समारोह को और भी गरिमा प्रदान की। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रख्यात विद्वान डॉ. मार्कण्डेय राय और वरिष्ठ हिंदी सेवी ब्रह्मानंद पांडेय जी ने अपनी उपस्थिति से समारोह की शोभा बढ़ाई। इन प्रतिष्ठित हस्तियों की उपस्थिति ने हिंदी भाषा के संवर्धन और सम्मान के प्रति विश्व हिंदी परिषद के प्रयासों को बल दिया।
दर्शना सिंह का प्रेरणादायक संबोधन
मुख्य अतिथि दर्शना सिंह ने अपने संबोधन में हिंदी भाषा के महत्व और उसके सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के इतने वर्षों बाद भी हिंदी को उसका यथोचित स्थान नहीं मिल सका है। यह एक कटु सत्य है जो अक्सर हिंदी प्रेमियों को पीड़ा देता है। हालांकि, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हिंदी शीघ्र ही अपने गौरव को पुनः प्राप्त करेगी। यह विश्वास हिंदी के भविष्य के प्रति उनकी अटूट आस्था को दर्शाता है।
दर्शना सिंह ने लॉर्ड मैकॉले की शिक्षा प्रणाली के प्रभाव पर भी चिंता व्यक्त की, यह बताते हुए कि हम आज भी लॉर्ड मैकॉले की शिक्षा प्रणाली के प्रभाव से पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाए हैं। यह कथन इस बात को रेखांकित करता है कि औपनिवेशिक मानसिकता ने भारतीय शिक्षा प्रणाली और विशेष रूप से हिंदी के विकास पर किस तरह नकारात्मक प्रभाव डाला है। हालांकि, उन्होंने इस निराशा के बीच आशा की किरण भी दिखाई।
उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2020 में प्रारंभ की गई नई शिक्षा नीति (NEP) के अंतर्गत हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। यह सराहना दर्शाती है कि नई शिक्षा नीति हिंदी को बढ़ावा देने और उसे मुख्यधारा में लाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में मेडिकल शिक्षा एवं अनुसंधान कार्यों के हिंदी में संपन्न होने का उदाहरण देते हुए बताया कि हिंदी अब उच्च शिक्षा में भी अपने पांव जमा रही है। यह एक क्रांतिकारी परिवर्तन है जो यह सिद्ध करता है कि हिंदी केवल बोलचाल की भाषा नहीं, बल्कि ज्ञान और विज्ञान की भाषा बनने की क्षमता रखती है।
दर्शना सिंह ने आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से हिंदी के प्रचार को मिली नई ऊर्जा का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यूट्यूब एवं अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से हिंदी के प्रचार को नई ऊर्जा प्राप्त हुई है। यह बात बिल्कुल सही है, क्योंकि आज डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने हिंदी को एक वैश्विक मंच प्रदान किया है, जिससे यह करोड़ों लोगों तक आसानी से पहुंच पा रही है। उन्होंने एक महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किया कि हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी है तथा यह विविध भाषाओं को जोड़ने का सेतु भी बन सकती है। यह दृष्टिकोण हिंदी को एक नई ऊर्जा के रूप में प्रस्तुत करता है जो भारत की भाषाई विविधता को एकजुट कर सकती है।
युवा पीढ़ी को हिंदी से जोड़ना आवश्यक
विश्व हिंदी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव विपिन कुमार ने अपने वक्तव्य में हिंदी को सशक्त बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हिंदी को सशक्त बनाने के लिए युवा पीढ़ी को इससे जोड़ना आवश्यक है। यह एक सर्वमान्य सत्य है कि किसी भी भाषा के अस्तित्व और विकास के लिए उसकी युवा पीढ़ी का उससे जुड़ाव अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए हिंदी विषय में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को सम्मानित किया गया। विपिन कुमार ने इसे हिंदी के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया। छात्रों का सम्मान न केवल उन्हें प्रेरित करेगा, बल्कि अन्य छात्रों को भी हिंदी के अध्ययन के लिए प्रोत्साहित करेगा। यह पहल सुनिश्चित करती है कि हिंदी केवल एक पाठ्यपुस्तक विषय न रहे, बल्कि युवा पीढ़ी के जीवन का एक अभिन्न अंग बने।
भारतीय भाषाओं के समन्वय से हिंदी बनेगी विश्वभाषा
विश्व हिंदी परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डीपी मिश्र ने हिंदी को विश्वभाषा का दर्जा दिलाने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं के समन्वय से ही हिंदी को विश्वभाषा का दर्जा दिलाया जा सकता है। यह विचार अत्यंत दूरगामी है क्योंकि भारत की भाषाई विविधता उसकी सबसे बड़ी शक्ति है। सभी भारतीय भाषाओं के साथ मिलकर हिंदी न केवल पहचान मजबूत करेगी बल्कि वैश्विक मंच पर भी उपस्थिति दर्ज करा पाएगी।
डीपी मिश्र ने शासन और प्रशासन में हिंदी के प्रयोग पर बल देते हुए कहा कि यदि हमें 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है तो हिंदी के व्यापक विकास को सुनिश्चित करना होगा। यह एक रणनीतिक मांग है, क्योंकि किसी भी देश के विकास में उसकी अपनी भाषा का उपयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रशासन में हिंदी का प्रयोग न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगा बल्कि आम जनता तक सरकारी सेवाओं की पहुंच को भी सुनिश्चित करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति को समझने के लिए हिंदी का ज्ञान आवश्यक है। यह कथन इस बात को रेखांकित करता है कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। हिंदी के माध्यम से ही भारत की समृद्ध विरासत और ज्ञान परंपरा को समझा जा सकता है।
राजभाषा विभाग के अधिकारियों का सम्मान
इस अवसर पर राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए उनके विशिष्ट योगदान के लिए विश्व हिंदी परिषद द्वारा हिंदी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन व्यक्तियों के समर्पण और कड़ी मेहनत को मान्यता देता है जो सरकारी स्तर पर हिंदी के प्रयोग और प्रचार के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। सम्मानित होने वाले अधिकारी थे-
राजेश श्रीवास्तव (संयुक्त निदेशक, राजभाषा), राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय
रघुवीर शर्मा (उपनिदेशक, राजभाषा), राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय
हरीश रावत (उपनिदेशक, राजभाषा), राजभाषा विभाग, वित्त मंत्रालय
इन अधिकारियों का सम्मान यह दर्शाता है कि हिंदी के विकास में सरकारी विभागों और उनके अधिकारियों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। यह सम्मान उन्हें भविष्य में भी हिंदी के लिए और अधिक कार्य करने के लिए प्रेरित करेगा।
समारोह में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
समारोह में परिषद के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ.श्रवण कुमार,दिल्ली प्रदेश के शैक्षिक प्रकोष्ठ के संयोजक प्रो. श्रीनिवास त्यागी, अध्यक्ष प्रो. हर्षबाला शर्मा, उपाध्यक्ष डॉ. प्रतिभा राणा एवं डॉ. दीनदयाल, महामंत्री डॉ. प्रीति सहित अनेक प्रतिष्ठित महाविद्यालयों के प्राध्यापक एवं परिषद के सदस्यगण उपस्थित रहे, जिन्होंने समारोह को एक अकादमिक और बौद्धिक माहौल प्रदान किया।
दिल्ली प्रदेश (सामान्य प्रकोष्ठ) कार्यकारिणी के गठन पर चर्चा
समारोह के दौरान एक महत्वपूर्ण चर्चा भी हुई, जिसमें दिल्ली प्रदेश (सामान्य प्रकोष्ठ) कार्यकारिणी के गठन पर विचार-विमर्श किया गया। इस चर्चा में विश्व हिंदी परिषद के महासचिव और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की उपस्थिति रही, जो इस पहल के महत्व को दर्शाता है।
इस बैठक में कई महत्वपूर्ण सदस्य शामिल हुए, जिनमें-
ऋचा बनर्जी, पूर्व संयुक्त निदेशक (राजभाषा), आकाशवाणी
अभिलाषा मिश्रा, पूर्व उप-निदेशक राजभाषा विभाग एवं वर्तमान में केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड की राजभाषा अधिकारी
इनके साथ-साथ दिल्ली प्रदेश सामान्य प्रकोष्ठ कार्यकारिणी के कई अन्य सदस्यों ने भी भाग लिया। यह बैठक हिंदी के प्रचार-प्रसार को जमीनी स्तर पर मजबूत करने और दिल्ली जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में हिंदी गतिविधियों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
हिंदी के उज्ज्वल भविष्य की ओर एक कदम
विश्व हिंदी परिषद द्वारा आयोजित यह सम्मान समारोह न केवल मेधावी छात्रों को सम्मानित करने का एक मंच था, बल्कि यह हिंदी भाषा के भविष्य, उसकी चुनौतियों और संभावनाओं पर विचार-विमर्श का एक महत्वपूर्ण अवसर भी था। दर्शना सिंह, विपिन कुमार और डीपी मिश्र जैसे वक्ताओं ने हिंदी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसका उचित स्थान दिलाने के लिए विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। राजभाषा विभाग के अधिकारियों का सम्मान और दिल्ली प्रदेश कार्यकारिणी के गठन पर चर्चा ने यह सिद्ध किया कि हिंदी के विकास के लिए बहुआयामी प्रयासों की आवश्यकता है।
यह समारोह इस बात का प्रमाण है कि हिंदी के प्रति समर्पण और प्रयास लगातार जारी हैं। शिक्षा के क्षेत्र में प्रशासनिक कार्यों में और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर हिंदी की बढ़ती पहुंच उसके उज्ज्वल भविष्य का संकेत है। भारतीय भाषाओं के समन्वय और युवा पीढ़ी के जुड़ाव से हिंदी निश्चित रूप से अपने गौरव को पुनः प्राप्त करेगी और एक विश्वभाषा के रूप में अपनी पहचान बनाएगी। यह समारोह हिंदी के प्रेमियों और संरक्षकों के लिए एक नई ऊर्जा और प्रेरणा का स्रोत बना जिससे यह आशा बलवती हुई कि हिंदी जल्द ही वह स्थान प्राप्त करेगी जिसकी वह हकदार है।
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